बिहार के 'लेनिनग्राद' बेगूसराय से कन्हैया ने ठोकी ताल

बिहार में सबसे अधिक राजस्व देने वाला ज़िला बेगूसराय के एक गांव का लड़का जेएनयू गया था रिसर्च करने. आज उसने बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार के नाते पर्चा भर दिया.

बिहार के 'लेनिनग्राद' बेगूसराय से कन्हैया ने ठोकी ताल

बिहार का बेगूसराय इन दिनों तरह-तरह के सराय में बदल गया है. सराय का मतलब होता तो लंबे सफर का छोटा सा ठिकाना, जहां यात्रि अंधेरे होने पर सुस्साते हैं और अगली सुबह अपनी यात्रा पर निकल पड़ते हैं. दिल्ली में एक है जुलैना सराय. यूसुफ सराय. बिहार में सबसे अधिक राजस्व देने वाला ज़िला बेगूसराय के एक गांव का लड़का जेएनयू गया था रिसर्च करने. आज उसने बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार के नाते पर्चा भर दिया. किसे पता था कि 2016 की घटना 2019 के बेगूसराय की तस्वीर बना रही थी. सोशल ट्रांसफोर्मेशन इन साउथ अफ्रीका 1994-2015 विषय पर उसकी पीएचडी है. 11 फरवरी 1990 को नेल्सन मंडेला 27 साल बाद जेल से रिहा हुए थे. अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कन्हैया मंडेला के बाद अफ्रीका में आ रहे समाजिक बदलाव का अध्ययन कर रहे थे. कन्हैया के प्रोफेसर का नाम है सुबोध नारायण मलकर. स्कूल ऑफ इंटरनेशल स्टडीज का छात्र रहे हैं.

मगर कन्हैया की सियासी पीएचडी के प्रोफेसर बेगूसराय की जनता बन गई है. आज जब अपने गांव बीहट से पर्चा भरने के लिए निकले तो कचहरी तक पहुंचते-पहुंचते लोगों का रेला उमड़ पड़ा. 12 किलोमीटर लंबा रोड शो था. इस रोड शो में देश भर से आए तरह-तरह के संगठन, अपने खर्चे से आए छात्र, पेशेवर लोग भी थे जो कन्हैया के लिए आए हैं. कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह का 2016 में निधन हो चुका है. मां मीना देवी आंगनवाड़ी वर्कर हैं. वही आंगनवाड़ी वर्कर जो समय-समय पर अपनी मामूली सैलरी के भुगतान और बढ़ाने का आंदोलन करती रहती हैं.

बिहार में आंगनवाड़ी वर्कर को 5,650 रुपया महीना मिलता है. 5600 रुपया कमाने वाली का बेटा बेगूसराय के धनिकों के बीच चुनाव लड़ने निकला है. आसान नहीं है, लेकिन इंटरनेट पर कन्हैया को चुनाव लड़ने के लिए पैसा मिल गया है. लोगों ने दिया है. बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल में पढ़ा है. पटना के कॉमर्स कॉलेज का छात्र रहा है. उसके बाद जेएनयू आ गया. जिस पार्टी का 16वीं लोकसभा में मात्र एक सांसद है, वो भी केरल से. जिनका नाम है सीएन जयदेवन. उस सीपीआई का कन्हैया बिहार के चुनाव का एक चर्चित उम्मीदवार बन गया है. बेगूसराय का इलेक्शन इंटरनेशनल हो गया है.

पोलिटिक्स में बेगूसराय हमेशा से ही नेशनल रहा है. बिहार की राजनीति बेगूसराय के बगैर पूरी नहीं होती. एक से एक धुरंधर, विद्वान और बाहुबली टाइप के लोग अलग-अलग समय पर यहां से सासंद रहे हैं. कांग्रेस से कृष्णा शाही तीन बार और राजो सिंह दो बार सांसद रहे. कृष्णा शाही बेगूसराय से जीतने वाली एकमात्र महिला सांसद रही हैं. मेरी पड़ोसी हैं. कई बार लिफ्ट के पास मिलती हैं. सामान्य नागरिक की तरह रहती हैं. उन्हें कभी राजनीति के अतीत में जीते नहीं देखा न बात करती हैं. कभी-कभी गुझिया बनवाकर भेज देती हैं तो धनिया की चटनी भी. बेगूसराय जाती हैं तो लिट्टी ले आती हैं. 80 साल से ज्यादा की उम्र हो गई है. 2014 में बीजेपी के पास जाने से पहले यह सीट दो बार जेडीयू के पास रही. राजीव रंजन सिंह सासंद रहे फिर डॉ. मोनाज़िर हसन सांसद बने. 2014 में भोला सिंह बीजेपी से जीते. बीजेपी हारी थी तो भोला सिंह ने कहा था कि बीजेपी हारी नहीं, बल्कि आत्महत्या की है. चुनाव में बीजेपी की भाषा को ज़िम्मेदार माना था. कहा कि हार की ज़िम्मेदारी सेनापति की होती है. भोला सिंह बोलने में माहिर थे और यही बेगूसराय की फितरत है. 2018 में भोला सिंह का निधन हो गया. उनके निधन पर प्रधानमंत्री ने शोक जताया था. 

2014 में बीजेपी को यहां 428227 वोट मिले थे. राजद के तनवीर हसन को 369892 वोट मिले थे. सीपीआई के राजेंद्र सिंह को 192639 वोट मिले थे. इस बार बेगूसराय से बीजेपी के गिरिराज सिंह उम्मीदवार हैं. राजद से तनवीर हसन उम्मीदवार हैं. इन दोनों के पास 2014 के हिसाब से काफी वोट है. मगर नया नया राजनीति में आए कन्हैया भी करीब 2 लाख के वोट से शुरू कर रहे हैं. मोदी लहर में भी दो लाख मतदाताओं ने सीपीआई का साथ दिया था. कन्हैया को जीतने के लिए पहले तनवीर हसन से आगे निकलना होगा और फिर गिरिराज सिंह से. यानी कन्हैया को 235588 वोट और हासिल करने होंगे.

बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से सीपीआई सिर्फ एक बार जीती है वो भी 1967 में. राजद के तनवीर हसन, बीजेपी के गिरिराज सिंह ने पर्चा भर दिया है. तनवीर हसन इस वक्त एमएलसी हैं. कन्हैया को सुनिये फिर तनवरी हसन को भी. चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी भाषणों में सेना का ज़िक्र कम नहीं हो रहा है. पश्चिम यूपी की एक सभा में जब मुख्यमंत्री योगी ने भारतीय सेना को 'मोदी की सेना' कहा तब आयोग ने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी बातों को लेकर सतर्क रहें. नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा था कि क्या मुख्यमंत्री ने मोदी की सेना बोलकर आचार संहिता का उल्लंघन किया है? चुनाव आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भी आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चेतावनी जारी की है. चुनाव आयोग ने राजस्थान राज्यपाल कल्याण सिंह को भी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया है और राष्ट्रपति के पास कार्रवाई के लिए लिखा है, लेकिन चुनाव आयोग को लेकर आशंकाओं का दौर खत्म नहीं हुआ है. 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है और कहा है कि सत्ताधारी पार्टी के लगातार आचार संहिता के उल्लंघन के सामने चुनाव आयोग कमज़ोर दिख रहा है जो कि ठीक नहीं है.

जुलियो रिबेरो, देव मुखर्जी, हर्ष मंदर, एनसी सक्सेना, मीना गुप्ता, पिया दासगुप्ता, विभापुरी दास, अदिती मेहता, सोनालिनी मीरचंदानी, मीरा बोरवांकर, रश्मि शुक्ला, दीपक सनन, नजीब जंग, सिराज हुसैन, जवाहर सरकार, एस बालाभास्कर, सी बालाकृष्णन जैसे कई आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और अन्य सेवाओं के नौकराशाहों ने पत्र लिखा है. राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि जिस तरह से केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है उसे देखकर गहरी चिंता हो रही है. चुनाव आयोग इन उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने में कमज़ोर दिख रहा है. डर रहा है. कुछ उदाहरण दिए हैं कि प्रधानमंत्री ने 27 मार्च 2019 को एसैट के सफल परीक्षण पर राष्ट्र के नाम संबोधित किया था. आचार संहिता के कारण इसकी घोषणा डीआरडीओ पर छोड़ देनी चाहिए थी. यही नहीं यह घोषणा पब्लिक ब्रॉडकास्ट सर्विस के ज़रिए नहीं किया गया है. चुनाव आयोग ने पाया कि कोई उल्लंघन नहीं हुई है. हम मानते हैं कि चुनाव आयोग का फैसला निष्पक्षता के मानकों के आधार पर नहीं था.

हमारे समूह ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनाव खत्म होने तक किसी भी नेता के जीवन पर फिल्म और डॉक्यूमेंट्री जारी करने की इजाज़त न दी जाए. हमारे पत्र का जवाब नहीं मिला, लेकिन खबर मिली है कि 11 अप्रैल को यह फिल्म रिलीज हो रही है. जिस दिन मतदान है. हम मानते हैं कि इसका फिल्म बनाने, प्रचार करने का पूरा पैसा प्रधानमंत्री के खर्चे से काटा जाए. नमो टीवी के मामले में चुनाव आयोग सुस्ती से काम कर रहा है. सूचना प्रसारण मंत्रालय की इजाज़त के बगैर यह चैनल लांच हुआ है.

चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव, व तीन पुलिस अफसरों का तबादला किया, बंगाल में चार शीर्ष पुलिस अधिकारियों का तबादला किया, मगर तमिलनाडु में विपक्षी दलों की मांग के बाद भी पुलिस प्रमुख का तबादला नहीं किया गया. उन पर सीबीआई की जांच चल रही है. राज्यपाल कल्याण सिंह के बारे में कार्रवाई करने का प्रस्ताव आपके पास पड़ा है. हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आर राज्यपाल कल्याण सिंह को पद से हटा दें या इस्तीफा देने के लिए कहें. पत्र लिखने वाले पूर्व नौकरशाह एनसी सक्सेना से सुशील महापात्रा ने बात की. एनसी सक्सेना आईएएस थे और योजना आयोग के सदस्य थे. 

महाराष्ट्र के लातूर में आज प्रधानमंत्री ने पहली बार वोट दे रहे मतदाताओं से अपील की है कि आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? प्रधानमंत्री ने चुनावी रैली में यह बात कही है इसलिए आप नहीं कह सकते कि वे पहली बार वोट करने जा रहे मतदाताओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं. बल्कि वे पुलवामा के शहीदों और उसके बाद के हमले में शामिल वायुसैनिकों के नाम पर वोट देने के लिए कह रहे हैं. पहली बार वोट कर रहे मतदाता से वे अपना वोट नोटा को समर्पित करने के लिए नहीं कर रहे हैं, बीजेपी का नाम नहीं ले रहे हैं मगर साफ है कि वे बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. सेना पर सवाल करना सही नहीं है तो चुनावों में सेना का इस्तमाल करना कैसे सही है? क्या अब शहीदों के नाम पर इस तरह खुलकर वोट देने के लिए कहा जाएगा तो यह बात कहां तक रुकेगी. शहीद देश के लिए जान देता है या बीजेपी या कांग्रेस के लिए? चुनाव आयोग ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी को चेतावनी दे चुका है कि भारतीय सेना को मोदी की सेना न कहें? यहां प्रधानमंत्री पुलवामा के शहीदों और बालाकोट स्ट्राइक में शामिल जवानों के नाम पर अपना वोट समर्पित करने के लिए कह रहे हैं. क्या यह चुनाव सेना के नाम पर हो रहा है, तो फिर सेना ही क्यों न लड़ ले चुनाव? राजनीतिक दल क्यों चुनाव लड़ रहे हैं?

पीएम किसान सम्मान योजना के तहत जब दूसरी किश्त देनी थी तब आचार संहिता लग गया था. 1 अप्रैल को देना था. चुनाव आयोग ने उसकी अनुमति दे दी. उसके अलावा दो करोड़ और अधिक किसानों की पहचान कर ली गई थी मगर उन्हें दोनों किश्ते नहीं मिली थीं, उन्हें भी पैसा देने की अनुमति दी गई. आचार संहिता लगने के बाद, लेकिन दूसरी तरफ ओडिशा में नवीन पटनायक की कालिया स्कीम पर आयोग ने रोक लगा दी. इसे लेकर नवीन पटनायक भुवनेश्वर में चुनाव अधिकारी के कार्यालय पहुंच गए. नवीन पटनायक का कहना है कि रोक लगाने की शिकायत बीजेपी ने की थी. कालिया स्कीम में पांच किश्तों में 25, 000 देने की बात कही गई है.

हमारे दर्शक कई बार कमाल कर देते हैं. कहां-कहां से तस्वीरें भेज देते हैं. आज यूपी के फर्रुखाबाद ज़िले से एक दर्शक तरुण प्रताप सिंह ने हमें एक प्राइमरी स्कूल की तस्वीर भेजी. आप इस प्राइमरी स्कूल की इमारत का रंग देखिए. क्या आपको नहीं लगता कि इस स्कूल का रंग बीजेपी के झंडे से मिलता है. कुछ दिन पहले हमने बलिया से इसी तरह के एक स्कूल की तस्वीर दिखाई थी, जिसे हमारी रिपोर्ट के बाद सफेद रंग में रंग दिया गया. अब इस स्कूल को देखिए. किसी अधिकारी को अगर आचार संहिता का बेसिक ज्ञान होगा तो वह इस तरह के रंग से रंगने नहीं देता. एक दौर था जब लखनऊ में अंबेडकर पार्क में बनी हाथी की मूर्तियों को चुनाव से पहले ढंकवा दिया गया, क्योंकि हाथी की तस्वीर बसपा के झंडे के निशान से मिलती थी. आचार संहिता लागू होने के बाद इलाके में अफसरों की आवाजाही बढ़ जाती है. हो ही नहीं सकता है कि किसी की नज़र न पड़ी हो. चुनाव आयोग को यह काम खुद से करना चाहिए था. तरुण ने बताया कि उसने यह तस्वीर आज ही ली है. मोहम्मदाबाद ब्लॉक के ग्राम बहादुर नगला का स्कूल है.

जब भी चुनाव आता है, गांवों से ऐसी खबरें आने लगती हैं कि फलां गांव के लोग चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. हर राज्य से इस तरह की आवाज़ आती है. ज़ाहिर है कि गांवों में सुविधाएं ठीक से नहीं पहुंचती हैं. सड़क की मांग को लेकर ही लेकर पचासों गांवों से मतदान के बहिष्कार की खबर आ चुकी होगी. अब ये खबर उत्तर प्रदेश के ही बलिया ज़िले के एक गांव की है. जेपी का गांव कहा जाता है. सिताबदियारा के दलजीत टोला और भवन टोला गांव के लोगों ने कहा है कि वे वोट नहीं देंगे. नदी के कटान के कारण गांव गायब होता जा रहा है. इलाके में जो बांध बन रहा है उसमें इन गांवों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए इस गांव के लोगों ने शपथ ली है कि वे लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. हमारे सहयोगी करुणा सिंधु ने यह जानकारी दी है. तमिलनाडु के रमानाथपुरम ज़िले एक गांव से भी इसी तरह की खबर है. स्कूल सुविधा नहीं होने के कारण लोगों ने कहा है कि वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

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इस बीच पहले दौर के मतदान से सिर्फ़ 48 घंटे पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में एक भयानक नक्सली हमले में बीजेपी के विधायक भीमा मंडावी समेत पांच लोगों की जान चली गई. ये वारदात दंतेवाड़ा ज़िले के नकुलनार इलाके में हुई. बस्तर में पहले दौर में मतदान होना है और आज वहां प्रचार का आख़िरी दिन था... भीमा मंडावी एक चुनावी सभा को संबोधित कर लौट रहे थे कि घात लगाए नक्सलियों ने एक आईईडी के इस्तेमाल से उनकी गाड़ी को उड़ा दिया... विस्फोट इतना भयानक था कि उससे गाड़ी के परखच्चे उड़ गए और ज़मीन पर एक बड़ा गड्ढा हो गया... हमले में विधायक के अलावा गाड़ी का ड्राइवर और तीन अन्य सुरक्षा कर्मचारियों की मौत हो गई... ये चारों छत्तीसगढ़ पुलिस में थे... हमले के तुरंत बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में एक हाई लेवल बैठक बुलाकर हालात का जायज़ा लिया... उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले की आलोचना की और मारे गए विधायक भीमा मांडी को बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता बताया और उनके परिवार को सांत्वना भेजी..