तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के लंका कांड में रावण वध का जिक्र किया है. वे लिखते हैं कि रावण के शव पर रोते हुए मंदोदरी ने कहा कि "राम बिमुख अस हाल तुम्हारा...रहा न कोऊ कुल रोवन हारा.'' यानी राम से विमुख होकर तुम्हारा यह हाल हुआ कि तुम्हारी मौत पर तुम्हारे खानदान में कोई रोने वाला ही नहीं है. लेकिन हमारे मुल्क के नेताओं ने मंदोदरी की बात गांठ बांध ली है. उन्होंने तय किया है कि वे किसी चुनाव के वक्त राम से विमुख नहीं रहेंगे.
पिछले करीब दर्जन भर चुनावों में वे राम को याद कर चुके हैं...और जब राम से काम नहीं चलता तो हिंदुत्व के कुछ और मुद्दे आ जाते हैं. मिसाल के लिए 2002 के यूपी असेंबली चुनाव के पहले अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद का शिला पूजन अभियान चला...2004 लोकसभा से पहले अयोध्या चलो अभियान चला...2007 के यूपी असेंबली से पहले राम प्रतिमा पूजन अभियान चला...2012 यूपी असेंबली से पहले अयोध्या में राष्ट्रीय संत सम्मेलन बुलाया गया...2014 लोकसभा से पहले अयोध्या में व्हीएचपी ने 84 कोसी परिक्रमा शुरू की...सितंबर 2014 के यूपी उप चुनाव से पहले लव जेहाद और घरवापसी के मुद्दे गूंजते रहे...बिहार चुनाव के वक्त गौ हत्या सुर्खियों में रही...और अब राम फिर याद आए हैं...यह सब महज इत्तेफाक तो नहीं हो सकता.
अब केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा अयोध्या में राम संग्रहालय बनाने की मुहिम पर निकले हैं. सारे दिन उनका काफिला दर्जनों मीडिया वालों के साथ पूरे अयोध्या में जमीन तलाशता रहा. एक जमीन देखने नया घाट गए, लेकिन उसके डूबने का खतरा है...दूसरी जमीन पर पता चला कि अखिलेश यादव खुद थीम पार्क बनवा रहे हैं. लेकिन अखिलेश के राम कथा पार्क से लगी जमीन उन्हें पसंद आई. महेश शर्मा कहते हैं कि यह सब वे अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तो राजस्थान से लेकर हिमाचल प्रदेश तक और केरल से अंडमान तक सरकारें बहुत कुछ करती रही हैं. लेकिन इसके लिए व्हीएचपी के कारसेवकपुरम में महेश शर्मा ने जैसी आलीशान तैयारियों से जनसभा बुलाई थी, वैसी जनसभा तो पर्यटकों को बढ़ाने के लिए पहले कभी किसी ने नहीं की.
यह सिलसिला 11 अक्टूबर को पीएम मोदी के लखनऊ के दशहरे में जय श्रीराम के उद्घोष से शुरू हुआ था...फिर 16 अक्टूबर को सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद में ऐलान किया कि 2019 से पहले राम मंदिर बन जाएगा. 17 अक्टूबर को कैबिनेट ने रामायण थीम पार्क के लिए और रकम मंजूर की...और 18 को महेश शर्मा रामायण संग्रहालय बनाने अयोध्या पहुंच गए.
अयोध्या में भगवान तो त्रेता युग में रहते थे ...कलयुग में वहां एक लाख इंसान रहते हैं जो तमाम बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. और सबसे ज्यादा परेशान तो गंदगी से हैं. अयोध्या की गलियां कूड़े से पटी पड़ी हैं. राम के नाम पर बनी राम की पैड़ी गंदगी से बजबजा रही है. लेकिन जहां वोट भगवान के नाम पर मिलता हो वहां इंसान की चिंता कौन करे?
(कमाल खान एनडीटीवी में रेजिडेंट एडिटर हैं)
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This Article is From Oct 18, 2016
कमाल की बातें : उन्होंने मंदोदरी की बात गांठ बांध ली है...
Kamal Khan
- ब्लॉग,
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Updated:अक्टूबर 19, 2016 12:16 pm IST
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Published On अक्टूबर 18, 2016 23:07 pm IST
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Last Updated On अक्टूबर 19, 2016 12:16 pm IST
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