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This Article is From Jul 05, 2018

ड्रग्स माफ़िया के आगे अमरिंदर सरकार बेबस?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 05, 2018 22:18 pm IST
    • Published On जुलाई 05, 2018 22:18 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 05, 2018 22:18 pm IST
जो पुलिस पंजाब में नशे के तस्करों पर लगाम लगाती अब सरकार उसी की जांच करेगी कि पुलिस में से कितने नशे के ग़ुलाम हो चुके हैं. पुलिस ही नहीं पंजाब के सरकारी कर्मचारियों की जांच होगी कि वे नशा लेते हैं या नहीं. सरकार को भी सरकार से लड़ना पड़ रहा है. फिल्मों से लेकर मीडिया में छपी ख़बरों को याद कीजिए. सिस्टम की मदद से तस्करों ने पहले समाज को बर्बाद किया, अब वही तस्कर सिस्टम को अपनी चपेट में ले चुके हैं. क्या यह किसी भी सरकार के लिए सामान्य फैसला रहा होगा कि अपने पांच लाख कर्मचारियों की जांच करेंगे. पंजाब सरकार लगातार एक के बाद एक फैसले लेती जा रही है मगर इस फैसले पर रुक कर देखिए कि जब सरकार को सरकार पर शक है तो फिर नशे ने समाज में क्या कोहराम मचाया होगा. पिछले कुछ दिनों पुलिस से संबंधित जो खबरें आ रही हैं वो अच्छी नहीं है.

1 जुलाई को रामपुरा फुल में कांग्रेसी नेता के बेटे को नशा बेचते समय लोगों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया. एसएचओ और मुंशी ने पचास हज़ार लेकर आरोपी को छोड़ दिया. लेकिन जब लोगों ने उसे मोहल्ले में घूमते देखा तो गुस्सा गए और प्रदर्शन करने लगे. सरकार ने तुरंत जांच की और एसएचओ और मुंशी को गिरफ्तार कर लिया. फिरोज़पुर में डीएसपी दलजीत सिंह को सस्पेंड किया गया, आरोप था कि इन्होंने एक महिला को नशे की लत लगा दी. जालंघर में तैनात इंस्पेक्टर इंजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप था कि ये ड्रग माफि‍या के हाथों कठपुतली थे. गुरुदासपुर में एसएचओ राजेंद्र कुमार और सिपाही जतिंदर सिंह बर्खास्त कर दिए गए.

कोई सरकार यह कहे कि वह तीन लाख कर्मचारियों का डोप टेस्ट करेगी, यह साधारण घटना नहीं है, यह अलार्म है कि पंजाब में नशे की हालत ख़तरे के निशान से बहुत ऊपर है. खिलाड़ियों का डोप टेस्ट होता है दुनिया भर में उनके डोप टेस्ट के तीन दर्जन ही सेंटर हैं मगर यहां पांच लाख लोगों के डोप टेस्ट की बात हो रही है. सरकारी कर्मचारी जब नियुक्त किए जाएंगे तब डोप टेस्ट होगा और जब प्रमोट होंगे तब डोप टेस्ट होगा. 2016 में अकाली-भाजपा सरकार ने भी बहाली के समय 7200 सिपाहियों का डोप टेस्ट कराया था. पंजाब के अखबार पलटिए, वहां नशे से जुड़ी ख़बरें खूब मिलेंगी. जाने उन परिवारों पर क्या बीतती होगी जिनका सदस्य नशे की चपेट में आ गया है और मारा जा रहा है. 5 जुलाई के अखबारों का कुछ सैंपल आपके लिए पेश करना चाहते हैं.

पंजाब केसरी की खबर कहती है कि लुधियाना और ममदोट में चिट्टे ने दो नौजवानों की जान ली है. एक नौजवान की मौत ओवरडोज़ के कारण हुई है. अमृतसर से खबर छपी है कि पंजाब के खुफिया विभाग ने 15 करोड़ की हेरोइन के साथ 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये हेरोइन पाकिस्तान से लाया जा रहा था. अमर उजाला के अपना पंजाब पेज पर खबर छपी है कि लुधियाना में नशे से छोटे भाई की मौत, बड़े की हालत गंभीर. एक की उम्र 25 साल और दूसरे की 32 साल है. पंजाब केसरी की खबर है कि मोहाली में कांग्रेस नेता का बेटा हेरोइन की तस्करी कर रहा था. दैनिक भास्कर में ख़बर छपी है कि नशे से तरनतारन में 2 लोगों की मौत हुई ह. 33 दिनों में 46 लोगों की मौत हुई है. इन ख़बरों के कारण पंजाब सरकार हरकत में है मगर समाज को रास्ता नहीं मिल रहा कि पंजाब को नशे से कैसे बचाया जाए. अभी तक नशे के नेटवर्क की कमर नहीं तोड़ी जा सकी है.

स्वास्थ्य मंत्री नहीं मानते की सभी मौतें ड्रग्स के कारण हुई हैं मगर सरकार जांच भी कर रही है. नशे पर नज़र रखने वाले पत्रकार बताते हैं कि ड्रग्स न मिलने और मिलने के कारण मौतें हो रही हैं. नहीं मिलने पर नई नई मेडिकल दवाओं का कंबिनेशन ट्राई करते हैं जिसके ओवरडोज़ से मौत हो जा रही है. ज़्यादातर मौतें पंजाब के मांझा इलाके में हुई हैं.

हमारे एक और सहयोगी एस बी शर्मा ने बताया कि बठिंडा में 25 साल का बब्बू खेतों में मरा पड़ा मिला. उसके पास से इंजेक्शन और सीरींज मिली है. घोड़ों के फार्म में काम करने वाला बब्बू नशे की चपेट में आ गया. एक बेटी है और पत्नी भी हैं. पिता कहते है कि ओवरडोज़ के कारण उसकी मौत हुई है. तलवंडी साब में के रामा मंडी में 11 जून को कांग्रेस के पार्षद पुनीश महेश्वरी के 26 साल के भाई कमल चिट्टे के शिकार हो गए. ओवरडोज़ से मौत हो गई.

हमारे सहयोगी सूरज भान ने फरीदकोट के कोटकपुरा से एक रिपोर्ट भेजी थी. उस वीडियो को देख लीजिए आपको पंजाब की हालत का अंदाज़ा हो जाएगा. 22 साल के नौजवान की लाश कहीं पड़ी मिली. उसके हाथ में नशे का इंजेक्शन था. आप इसे देखकर विचलित हो सकते हैं मगर सोचिए जिन परिवारों को नशे ने खा लिया है उन पर क्या बीत रही होगी. दिखाने का यही मकसद है कि जितना किया जा रहा है वो खानापूर्ति न हो और जो हो रहा है उससे भी ज्यादा हो. मां कहती है कि वह नशे की चपेट में था, पुलिस कहती है नशे से नहीं काला पीलिया से मरा है.

नशे की समस्या को पंजाब की शान से जोड़ देना तो कभी वोट के लिए इस्तेमाल करना और फिर जस का तस छोड़ देना, इससे काम नहीं चलेगा. सरकार ने पर्याप्त रूप से वो काम नहीं किया जिससे नशे के नेटवर्क की कमर टूट जाए. सरकार बनने के चार हफ्ते में नशे को समाप्त करने का दावा किया था कैप्टन साहब ने. अब एक साल बाद गृहमंत्री को लिख रहे हैं कि नशे के खिलाफ जो कानून है जिसे हम एनडीपएस एक्ट कहते हैं, उसमें फांसी का प्रावधान जोड़ा जाए.

ये हालात हैं पंजाब के. दिल्ली के विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी ने पंजाब में ड्रग्स के 13 हज़ार से अधिक मामलों का अध्ययन किया है. इस अध्ययन इसलिए किया गया ताकि देखा जा सके कि पंजाब में नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 असरदार है या नहीं. इसी एक्ट को एनडीपीएस एक्ट कहा जाता है. विधि लॉ सेंटर का कहना है कि इसका गहन अध्ययन होना चाहिए था ताकि समझा जा सकता कि सरकार के पास जो कानूनी दायरे हैं वो नशे के नेटवर्क को रोकने में कितने कारगर हैं. हम इस पर अलग से विस्तार से बात करेंगे लेकिन इस अध्ययन से जुड़ी नेहा सिंघल से हमने पूछा कि फांसी की सज़ा दे देने से क्या नशा का नेटवर्क टूट जाएगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि हर चीज़ का इलाज आजकल फांसी हो गया है ताकि जनता को लगे कि बड़ा भारी कदम उठा लिया गया है.

नेहा का कहना है कि कहीं फांसी की सज़ा जोड़ कर बिहार जैसे हालात न हो जाएं जहां शराबबंदी के बाद लाख से ज्यादा ग़रीब लोग बंद हैं. नेहा की एक बात ग़ौर करने लायक है कि पंजाब में जितने भी कैदी हैं उनमें से 41 फीसदी से अधिक एनडीपीएस एक्ट के तहत सज़ायाफ्ता हैं. क्या यह बहुत ज़्यादा नहीं है. देखना होगा कि इनमें से नशे के नेटवर्क से जुड़े कितने लोग हैं और करियर या शिकार कितने लोग हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि पकड़ने के नाम पर नशेड़ी अंदर हैं और स्मगलर किसी और को नशेड़ी बना रहे हैं.

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