गरीबों, किसानों, बेरोजगारों, दलितों, मजदूरों, पिछड़ों के मुद्दे जैसे कहीं पीछे छूट गए हैं और देश में सिर्फ एक ही मुद्दा बच गया है- हिंदू-मुसलमान का. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां हिंदू और मुसलमान के सवाल पर आपस में उलझी हुई हैं. याद नहीं आता कि राजनीतिक शब्दावली में हिंदू-मुसलमान शब्दों का इतने दुस्साही ढंग से खुलकर इस्तेमाल आखिरी बार कब किया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि वो केवल मुसलमान पुरुषों की पार्टी है या उसे मुस्लिम महिलाओं की भी चिंता है? यही नहीं वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस पुराने बयान की भी याद दिला रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का भी है.
पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस कथित बयान के लिए उन पर निशाना साध चुके हैं जो कांग्रेस के मुताबिक राहुल ने दिया ही नहीं था. राहुल गांधी की मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात के बाद एक उर्दू अखबार इंक़लाब में छपा कि राहुल ने उनसे कहा कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है. इस बैठक को आयोजित कराने वाले कांग्रेस नेता नदीम जावेद के हवाले से आज फिर उसी अखबार ने छापा कि खबर सही थी.
उधर, हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर बयान देने में कांग्रेस के नेता भी पीछे नहीं हैं. शशि थरूर ने कहा कि अगर 2019 में बीजेपी जीती तो भारत हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा. दिग्विजय सिंह भी मैदान में आ गए. उन्होंने पाकिस्तानी तानाशाह ज़िया उल हक़ की याद दिला दी और आरोप लगाया कि जैसे ज़िया उल हक़ ने पाकिस्तान में धार्मिक अतिवाद को बढ़ावा दिया वैसे ही भारत में सत्तारूढ़ दल कथित हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहा हैं. थरूर के बयान पर काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि आज उनके दफ्तर पर बीजेपी के युवा कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया.
कोलकाता की एक अदालत ने उन्हें नोटिस भी जारी कर दिया. कांग्रेस से निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर थरूर के समर्थन में आ गए हैं. एनडीटीवी डॉट कॉम पर लिखे अपने ब्लॉग में उन्होंने कहा कि थरूर ने हिंदू पाकिस्तान के बारे में सही बयान दिया है. इन सारे विवादों के बीच कांग्रेस ने एक बार फिर सफाई दी है. उसने कहा कि वो किसी एक की नहीं सबकी है और बीजेपी ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह देश को बांट कर राज करना चाह रही है.
अगले लोक सभा चुनाव से पहले देश में ध्रवीकरण करने की ये कोशिशें सामाजिक ढांचे को बुरा नुकसान पहुंचा सकती हैं. आवाज़ें भी उठने लगी हैं. हरभजन सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 50 लाख की आबादी वाला देश वर्ल्ड कप फुटबॉल के फाइनल में खेला और हम हिंदू-मुसलमान खेल रहे हैं. अफसोस है कि दोनों ही बड़ी पार्टियां इसमें एक-दूसरे से पीछे नहीं हैं. क्या हिंदू-मुसलमान की बहस में असली मुद्दे पीछे छूट गए हैं? क्या देश के मतदाताओं को धर्म के नाम पर गुमराह करने की सियासी कलाबाज़ियां उनके लिए वोटों की फसल उगा पाएगी?
(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)
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This Article is From Jul 16, 2018
क्या हिंदू-मुसलमान की बहस में असली मुद्दे पीछे छूट गए हैं?
Akhilesh Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:जुलाई 16, 2018 21:08 pm IST
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Published On जुलाई 16, 2018 21:08 pm IST
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Last Updated On जुलाई 16, 2018 21:08 pm IST
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