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This Article is From Jul 07, 2015

इनसे बड़े पत्रकार हो क्या?

Gaurav Tamrakar
  • Blogs,
  • Updated:
    जुलाई 08, 2015 00:17 am IST
    • Published On जुलाई 07, 2015 23:59 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 08, 2015 00:17 am IST
इंदौर की एक सभा में कभी कैलाश विजयवर्गीय ने शिवराज सिंह की मौजूदगी में कहा था कि सीएम ने मुझे शोले का ठाकुर बना दिया है, दोनों हाथ काट दिए हैं, कुछ काम करने नहीं देते। इसके बाद स्थानीय अख़बारों में उन्हें कई बार ठाकुर लिखा गया लेकिन ठाकुर अब कहानी को शोले के क्लाइमैक्स पर ले जाने को बेताब नज़र आ रहा है- यानी वह सीन जब ठाकुर, गब्बर के हाथ काट देता है।

कैलाश जी, कैलाश पर्वत जैसे अडिग हैं विपक्षी तो क्या परिवार के मामा-ताई तक उन्हें नहीं डिगा पाए। कैलाश भिया के शहर इंदोर में तो उनका डंका बजता है, आसमान में बादल कम हो सकते हैं लेकिन भिया को हर छोटी-बड़ी बधाई देने वाले पोस्टर शहर में बादल की तरह हर मौसम छाए रहते हैं। कैलाश अपने भक्तों में फ़र्क नहीं करते- युवराज उस्ताद, मुन्ना डॉक्टर, हेमंत यादव और मनोज परमार जैसे डॉन पर बड़े भिया का हाथ और जेब दोनों है।

हो सकता है भिया उस विचारधारा पर यकीन करते हों कि नफ़रत बुराई से करो बुरे इंसान से नहीं। बड़े धार्मिक हैं कैलाश भिया, भजन गाते हैं डांडिया भी कर लेते हैं और घर की इज़्ज़त देर शाम घर से निकले वह भी भिया को पसंद नहीं। पर देश की परंपरा और संस्कृति को बचाने में लगे रहते हैं तभी तो निर्भया कांड के बाद वो गरजे थे, लड़कियों को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए। कैलाश भिया बुज़ुर्गों को वैतरणी पार करा देते हैं, स्वर्ग सिधार गए लोगों का भी खयाल रखते हैं, जब मेयर थे तब तो भगवान के पास पहुंच गए लोगों को भी पेंशन दी गई, जनता का इतना खयाल कोई रख पाया है क्या?

वो साधुजनों का साथ कभी नहीं छोड़ते, याद करिए जब सब आसाराम को अकेला छोड़ रहे थे तो उन्होंने कहा था कि आसाराम बापू को फंसाया जा रहा है, पीड़ित लड़की राजनीति से प्रेरित आरोप लगा रही है। वो मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा से भी मिलने गए थे। कैलाश भिया बेहद सीधे और सरल हैं और ये मीडियावाले उनके बयान को तोड़ मरोड़ और कई बार तो निचोड़कर पेश कर देते हैं। भिया ने कह दिया है हमसे बड़े पत्रकार हो क्या?

याद है एक बार अंग्रेजी बोलने वाले अर्नब गोस्वामी को भी धो डाला, तब समर्थकों ने उसका वीडियो खूब फारवर्ड किया था। मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में वो ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिल्ली भले की ना उड़ा पाए हों लेकिन वो खिल्ली में उनका जोड़ नहीं। टीवी पर हम सबने देखा है एफर्टलेस खिल्ली, बेशर्मी जैसे पोहे में ऊपर से डले हुई इंदौरी सेव की तरह, आहाहा! मज़ा आ गया।

पत्रकार केवल ख़बरें लिखते हैं, कैलाश भिया तो किस्मत लिखते हैं, यकीन ना हो तो इंदौर के परदेशीपुरा, नंदानगर वालों से पूछ लो, हरियाणा के खट्टर जी से पूछ लो और अब तो ममता दीदी भी जान जाएंगी। कैलाश भिया आप तो अपने आप में स्कूल ऑफ जर्नलिज्म हैं, आप के बाद आप के भक्त भी पूछ रहे हैं इनसे बड़े पत्रकार हो क्या?

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