बाबा की कलम से : भारतीय क्रिकेट बोर्ड की हालत, दफ्तरों पर हो रहा है लाखों का खर्च

अनिरुद्ध चौधरी

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट बोर्ड की हालत ये है कि उसके कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी के पास तीन दफ्तर हैं। उनका दिल्ली का दफ्तर सात सितारा होटल मौर्या शेरेटन के एक महंगे सुइट से चलता है, जिसके दो कमरों के साजो-समान पर बीसीसीआई ने 40 लाख खर्च किए।

इस होटल का किराया एक साल का करोड़ों में है। यह जानकारी निकाली है, बिहार के आदित्य वर्मा ने जो श्रीनिवासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए और आखिरकार श्रीनिवासन को बीसीसीआई की कुर्सी छोडनी पड़ी। यदि आदित्य वर्मा की बात को सही माने तो अनिरुद्ध चौधरी ने एडम चैडविक को बीसीसीआई के म्यूजियम समिति का सदस्य बनाया, जिसके लिए एक बड़ी धन राशि कंस्लटेशन फीस के तौर पर ली गई। एडम चैडविक एमसीसी के क्यूरेटर भी हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि बीसीसीआई के कोषाद्यक्ष का दफ्तर पूणे और चेन्नई में भी है, हालांकि बीसीसीआई के सभी पदाधिकारी अवैतनिक होते हैं। मगर इस दुधारू बोर्ड के पास पैसे की तो कमी नहीं है और इसी का फायदा लोग उठाते हैं।

आदित्य वर्मा के आरोपों की लिस्ट काफी लंबी है, उनका कहना है कि पहले बोर्ड ने बेंगलौर की नेशनल क्रिकेट अकादमी को भंग कर दिया और अब बोर्ड के अधिकारी जैसे रत्नाकर शेट्टी और अनिरुद्ध चौधरी दुनियाभर के बोर्डों में घूम रहे हैं कि नेशनल क्रिकेट अकादमी का सही ब्लू प्रिंट क्या होना चाहिए?

य़े अधिकारी इंग्लैड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रिका का दौरा कर चुके हैं। दरअसल, अनिरुद्ध चौधरी को श्रीनिवासन कैंप का माना जाता है। उनके पिता रणवीर मंहिद्रा भी बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे हरियाणा में कांग्रेस के विधायक भी रह चुके हैं और अनिरुद्ध के दादा बंसी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, हालांकि अनिरुद्ध चौधरी अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हैं। उनका कहना है कि उनके दफ्तर की साजसज्जा पर इतना खर्च नहीं किया गया है।

चौधरी का कहना है कि खर्च पर मुहर बोर्ड की फाइनेंस समिति लगाती है, जिसे बोर्ड की कार्यसमिति भी अनुमोदित करती है। साथ ही अनिरुद्ध चौधरी का यह भी कहना है कि एडम चैडविक को म्युजियम समिति का सदस्य शशांक मनोहर के कार्यकाल में बनाया गया था, लेकिन बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने मजाक में कहा कि क्रिकेट बोर्ड का यह हाल है कि गनीमत समझो अनिरुद्ध ने कोषाद्यक्ष का दफ्तर भिवानी में नहीं खोला, क्योंकि वे वहीं के रहने वाले हैं। ऐसा बीसीसीआई के इतिहास में हो चुका है, जब ज्योति वाजपेयी कोषाध्यक्ष बने थे तब वह कानपुर से ही काम काज किया करते थे और एक तरह से दफ्तर भी वहीं था।

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मगर तब बीसीसीआई का अपना कोई आधिकारिक ऑफिस नहीं होता था। अब बकायदा बोर्ड का एक ऑफिस है, जो मुबंई के वानखेड़े स्टेडियम में है, मगर जहां का अध्यक्ष होता है वहीं बीसीसीआई का अमला शिफ्ट हो जाता है। जगमोहन डालमिया के अध्यक्ष बनने के बाद सारा कुछ चेन्नई से कोलकाता जा रहा है।

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