मेडल जीता 2019 में, कब मिलेंगे इनाम के पैसे?

सोनिया 2018 में दिल्ली में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी जीत चुकी हैं. फ़िलहाल स्‍वास्‍थ्‍य ठीक न होने के कारण रिंग से बाहर बैठी हैं.

मेडल जीता 2019 में, कब मिलेंगे इनाम के पैसे?

कोच जगदीश के साथ महिला बॉक्‍सर सोनिया चहल

"मैंने, निख़त ज़रीन और मनीषा ने 2019 के एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीते. लेकिन अभी तक इनाम के पैसे नहीं मिले. उसी टूर्नामेंट में कुछ खिलाड़ियों को पैसे मिल गये. फ़ोन पर पूछा तो एक अधिकारी कहते हैं कि बजट ख़त्म हो गया. बताइये हम अपने इनाम के पैसों के लिए कहां जाएं?", ये बयान है सोनिया चहल (57 किग्रा) का, जो दिल्ली केआईजी स्टेडियम में कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल देख रही हैं. सोनिया 2018 में दिल्ली में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी जीत चुकी हैं. फ़िलहाल स्‍वास्‍थ्‍य ठीक न होने के कारण रिंग से बाहर बैठी हैं. सोनिया चहल और उनके कोच जगदीश सिंह की एक जैसी ही शिकायत है. कोच जगदीश तो अब अपने मसले को अदालत तक ले जाने की बात कह रहे हैं. 

दिल्ली के आईजी स्टेडियम में 9 से लेकर 11 जून तक बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए महिला बॉक्सिंग की ट्रायल्स हो रही है. इस ट्रायल पर सबकी नज़र इसलिए भी है कि मैरीकॉम से लेकर वर्ल्ड चैंपियन निख़त ज़रीन और ओलिंपिक पदक विजेता लवलीना बोर्गोहैन भी इसमें हिस्सा ले रही हैं. 

39 साल की मैरीकॉम और वर्ल्ड चैंपियन निख़त पर सभी कोचों की भी नज़र है. कोच जगदीश दोनों की तारीफ़ करते हैं और कहते हैं कि भारतीय महिला बॉक्सिंग का स्तर पहले से कहीं बेहतर हुआ है. उन्हें आगे भी भारतीय महिला बॉक्सर्स से बहुत उम्मीदें हैं. वो कहते हैं कि भिवानी में अब बहुत-सी महिला बॉक्सर्स बड़े स्तर पर धमाल मचाने को तैयार हो रही हैं. लेकिन कोच जगदीश कहते हैं कि अब भी खेलों को लेकर लाल फ़ीताशाही ख़त्म नहीं हुई है. वो कहते हैं, "अधिकारी समझते नहीं हैं कि जो इनाम के पैसे होते हैं उसकी खिलाड़ियों और कोच को कितनी ज़रूरत होती है. ये लड़कियां गरीब घरों से आती हैं. इनाम के पैसे मिलते हैं तो इनके खाने और न्यूट्रिशन पर खर्च होता है. आप वक्त पर पैसे न दें तो क्या फ़ायदा?  न तो कुछ खिलाड़ियों के पैसे मिले और न ही मेरे क़रीब 4.50 लाख रुपये. ऊपर से अलग-अलग नियमों को हवाला देकर मुश्किलें खड़ी करते हैं."

ओलिंपिक पदक विजेता विजेन्दर सिंह भी कोच जगदीश से भिवानी में  ट्रेनिंग ले चुके हैं. उनके पांच खिलाड़ियों (विजेन्दर, अखिल, दिनेश, विकास कृष्ण और कविता चहल) को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. आज भी भिवानी कोच जगदीश क़रीब 70 लड़कों और 40  लड़कियों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते हैं. कोच जगदीश की 2 लड़कियां मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल्स में हिस्सा भी ले रही हैं. उनका मानना है कि इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स से महिला बॉक्सर्स कम से कम 2-3 मेडल ज़रूर जीतेंगी और पेरिस ओलिंपिक्स 2024 में भी पहले से बेहतर प्रदर्शन होगा. 

विमल मोहन NDTV इंडिया में एसोसिएट एडिटर (स्पोर्ट्स) और न्यूज़ एंकर हैं...
 

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.