बिहार में बहार है, तब नीतीश कुमार क्यों बीमार हैं?

नीतीश के समर्थक मानते हैं कि जब भी कोई राजनीतिक संकट उनकी बीमारी के समय आता है तो वह मौसमी बीमारी और तात्कालिक राजनीतिक संकट का समाधान ढूंढ लेने के बाद ही जनता और मीडिया के सामने आते हैं.

बिहार में बहार है, तब नीतीश कुमार क्यों बीमार हैं?

नीतीश कुमार क्यों हैं बीमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तबीयत खराब है और सोमवार को जनसंवाद समेत उनके मीडिया से रूबरू होने के तय कार्यक्रम रद्द हो गए हैं. नीतीश कुमार की बीमारी का कारण वायरल बुखार बताया जा रहा है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि अगर यह तबीयत वायरल के कारण खराब है और एक हफ्ते तक वह अपना कामकाज नहीं संभाल पाएंगे तो इसका मतलब यह कि स्वास्थ्य सुविधा और उनके निजी चिकित्सकों का दल सब बीमार और एक्सपायर दवा के समान हो चुके हैं और इन लोगों पर भरोसा करना बेकार है. वहीं नीतीश विरोधी मानते हैं कि नीतीश ने केवल बीमारी का चादर ओढ़ रखी है. दरअसल वह मीडिया के सवालों पर फिलहाल अपने चिर-परिचित अंदाज में जवाब नहीं देना चाहते और अब मंगलवार को पार्टीवालों के सामने और मीडिया के कैमरों से दूर वह मुंह खोलेंगे. इसके साथ ही उनकी पार्टी के भविष्य की राजनीति साफ हो जाएगी.

वैसे अगर नीतीश बीमार हैं तो इस बीमारी से निजात पाने में उन्हें इतना समय क्यों लग रहा हैं? उनके समर्थक मानते हैं कि जब भी कोई राजनीतिक संकट उनकी बीमारी के समय आता है तो वह मौसमी बीमारी और तात्कालिक राजनीतिक संकट का समाधान ढूंढ लेने के बाद ही जनता और मीडिया के सामने आते हैं. अब सवाल यह है कि वह बीमार क्यों हैं, क्योंकि राजपाठ एक हफ्ते से ठप-सा हो गया है. राजनीति के जानकार नीतीश की वर्तमान बीमारी के पांच कारण बताते हैं.

पहला, सत्ता में सहयोगी लालू यादव के घर छापेमारी हुई है तो वह नहीं चाहते कि जांच एजेंसी सीबीआई के इस काम का वह मात्र इस आधार पर विरोध करें कि यह राजनीति से प्रेरित था. 

दूसरा, नीतीश इस बात को भली-भांति जानते हैं कि उनके मौन पर राजद और कांग्रेस में नाराज़गी है, लेकिन इसकी उन्हें परवाह नहीं, क्योंकि नीतीश को मालूम है कि आरोपों में दम है. उनके इस विश्वास का कारण यह नहीं है कि सीबीआई ने उन्हें सबूतों के बारे में बताया है, बल्कि सच है कि इस पूरे मामले को सबसे पहले उनकी अपनी पार्टी ने उजागर किया था. 

तीसरा, नीतीश को पिछले तीन महीने से इस मामले में हो रहे नए खुलासे के बाद आशंका थी कि उनके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आरोपों के घेरे में होंगे, लेकिन वह जानते हैं कि भले तेजस्वी इस मामले में साजिश करने वालों में शामिल नहीं हों, लेकिन लालू यादव की गलती का हर्ज़ाना उनके बेटे को उठाना पर रहा है. नीतीश तेजस्वी का भी बचाव नहीं करना चाहते.

चौथा, तेजस्वी के इस्तीफ़े के सवाल पर नीतीश विपक्ष के दबाव में जल्दीबाज़ी नहीं करना चाहते, हालांकि आरोपी होने के बाद तेजस्वी के साथ सार्वजनिक मंच पर आने पर नीतीश की भी जमकर किरकिरी होगी, लेकिन संगत से इंसान की पहचान होती है. उनकी कोशिश होगी कि तेजस्वी अगर इस्तीफा दे दें तो शायद सरकार और उनकी सार्वजनिक फजीहत कम हो.

पांचवां, नीतीश सरकार में सहयोगी लालू यादव के परिवार पर उनकी विभिन्न कंपनियों के माध्यम से अर्जित संपत्ति पर भी कुछ नहीं बोलना चाहते, क्योंकि नोटबंदी के बाद सार्वजनिक रूप से उन्होंने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि बेनामी संपत्ति रखने वालों पर कार्रवाई हो, लेकिन शायद उन्हें नहीं मालूम था कि यह जांच उनके सहयोगी के दरवाज़े से ही शुरू होगी. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश को मालूम है कि उनके पास एकमात्र पूंजी है उनकी छवि और अगर इस पर उन्होंने बार समझौता किया तो उन्हें हाशिए पर जाने में कोई ख़ास समय नहीं लगेगा.

मनीष कुमार NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...

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