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This Article is From Feb 18, 2020

क्या कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया और भारत सक्षम हैं?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 18, 2020 23:06 pm IST
    • Published On फ़रवरी 18, 2020 22:43 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 18, 2020 23:06 pm IST

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि उनका विश्लेषण बताता है कि कोरोना वायरस के कारण चीन में करीब 15 करोड़ की आबादी सरकारी पाबंदी में है कि वे अपने घरों से कितने दिनों में और कितनी देर के लिए घर से बाहर निकल सकते हैं. घर से बाहर निकलने पर उनके शरीर का तापमान चेक होता है, डॉक्टर चेक कर एक प्रमाण देता है, फिर परिचय पत्र दिखाना होता है तब कोई सोसायटी से बाहर अपने पड़ोस में जा पाता है. एक समय में घर से एक ही आदमी बाहर जा सकता है. वो भी रोज़ नहीं. जैसे जियान शहर में तीन पर एक ही बार बाहर जाने की इजाज़त है और वो भी दो घंटे. जियान की आबादी 1 करोड़ 20 लाख है. जियान की आबादी दिल्ली से कुछ कम है लेकिन कल्पना कीजिए कि कोरोना वायरस के कारण इतने बड़े शहर को घरों में बंद कर दिया जाए तो उसका मंज़र क्या होगा. इसके कारण बिजनेस पर जो असर पड़ा है वो चीन के अलावा भारत सहित अन्य देशों के अलग अलग सेक्टरों को प्रभावित करने लगा है. उसका अलग से हिसाब किताब किया जा रहा है जो बता रहा है कि एक वायरस कितनी तेज़ी से अर्थव्यवस्थाओं की कमर तोड़ सकता है. बड़ी संख्या में नौकरियां जाने लगी हैं. भारत में दवा उद्योग पर गहरा असर पड़ा है. पारासिटामोल की कीमतें बढ़ने लगी हैं.

वुहान शहर के wuchang अस्पताल के निदेशक की इस वायरस से मौत हो गई है. वे इस अस्पताल में न्यूरो सर्जन के रूप में काम करते थे. इससे पहले वुहान में ही इस बीमारी को लेकर आगाह करने वाले डॉक्टर ली की कोरोना से मौत हो गई है. 1700 मेडिकल वर्कर संक्रमण की चपेट में हैं. दवा की कमी होनी लगी है. खास तरह के गाउन की कमी होने लगी है जिसे पहन कर मेडिकल वर्कर मरीज़ के नज़दीक जाते हैं. जापान में सर्जिकल मास्क की कमी होने की भी खबर छपी दिखी. इस वायरस के दो महीने हो चुके हैं. चीन में ही 1800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 72 हज़ार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.

भारत में इसका असर सीमित है. केरल में तीन केस कंफर्म हुए हैं. जापान के एक बंदरगाह पर लगे डायमंड प्रिंसेज जहाज़ में छह भारतीय कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं. लेकिन भारत में इस वायरस का विस्तार नहीं होता है. इसके क्या कारण हो सकते हैं, वही वायरस तेज़ी से चीन में फैलता है लेकिन चीन के बाहर उसके फैलने की रफ्तार कम होती है. क्या भारत में भी कभी इस तरह के वायरस का हमला हो सकता है? तब हमारे यहां ऐसी स्थिति से निपटने की क्या तैयारी है, किस तरह के संस्थान हैं, किस तरह की नीति है?

सीएनएन बिजनेस ने लिखा है कि चीन के सेंट्रल बैंक ने नगदी नोट नष्ट किए जा रहे हैं. नोट के ज़रिए भी संक्रमण के फैलने की बात सामने आ रही है. न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि कोरोना वायरस यानी जो नया वायरस है वो सामान्य मौसमी फ्लू से 20 गुना ज़्यादा ख़तरनाक है. बीबीसी की रिपोर्ट में चीन के सीसीडीसी यानी चाइनीज़ सेंटर फॉर डिजीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि 80 प्रतिशत मामले नरम हैं. यानी उनका नतीजा घातक नहीं है. जो बुजुर्ग हैं उन पर ज़्यादा असर होता है. संक्रमण की चपेट में भले ही 72000 से अधिक लोग आए हैं लेकिन उस अनुपात में 2.3 प्रतिशत लोगों की ही मौत हुई है. मरने वालों में पुरुषो की संख्या बहुत ज़्यादा है. चीन के हुबेई प्रान्त में सबसे अधिक मौत हुई है. सोमवार को ही चीन में 98 लोगों की मौत हो गई जिनमें से 93 लोग हुबेई के ही हैं.

आखिर हुबेई में यह वायरस क्यों फैल रहा है, क्यों घातक है? हांगकांग में तो मेडिकल वर्कर इस बात को लेकर भी प्रदर्शन कर रहे हैं कि चीन से लगी सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया जाए. हांगकांग में मार्च के मध्य तक स्कूल बंद हैं. कॉलेजों में क्लास ऑनलाइन होने लगा है. किसी भी बीमारी या महामारी की दो चुनौतियां होती हैं. एक उसका इलाज और दूसरा उससे जुड़ी भ्रांतियों का इलाज. हर बीमारी अपने साथ नई भ्रांतियां नए मिथक लेकर आती है. इन भ्रांतियों से लड़ना भी कम मुश्किल नहीं होता लेकिन क्या कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया और भारत सक्षम है? कोरोना वायरस जिसका नाम इस वक्त covid-19 रखा गया है. दुनिया भर में इस वायरस के बारे में काफी कुछ छप चुका है.

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