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This Article is From Oct 25, 2018

मोदी सरकार के 'संकट मोचन'

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 25, 2018 22:36 pm IST
    • Published On अक्टूबर 25, 2018 22:36 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 25, 2018 22:36 pm IST
वे देश के सबसे मशहूर जासूस हैं. पाकिस्तान और चीन के मुद्दों पर उनकी गहरी पकड़ है. सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी के पीछे उनका दिमाग माना जाता है. और आज वे देश के सबसे ताकतवर नौकरशाह हैं. बात हो रही है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की जो अब मोदी सरकार के संकटमोचक के रूप में उभर रहे हैं. वह चाहे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर लगे यौन दुर्व्यवहार के आरोप हों या फिर सीबीआई के भीतर जंग, पिछले दो हफ्तों में मोदी सरकार पर आए इन संकटों को हल करने में उन्होंने एक बड़ी भूमिका निभाई है.

अजीत डोभाल अमूमन कैमरे के सामने कम आते हैं. लेकिन आज सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान में वे जमकर बोले. सियासत और अर्थव्यवस्था से जुड़े मसलों पर भी उन्होंने दो टूक राय रखी. उन्होंने साफ कहा कि मजबूर नहीं मजबूत सरकार चाहिए. डोभाल बोले कि 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा. इसके लिए कमजोर गठबंधन की नहीं बल्कि निर्णायक नेतृत्व और मजबूत सरकार की जरूरत है. ठीक वैसी ही जैसी पिछले चार साल चली है.

डोभााल का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 में बीजेपी को बहुमत न मिलने पर खिचड़ी सरकार बनने की संभावना जताई जा रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि उनका लक्ष्य मोदी को रोकना है. राहुल ने आज डोभाल के बयान पर कोई टिप्प्णी नहीं की.

कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस कर्नाटक मॉडल को केंद्र में लागू कर सकती है जिसमें कांग्रेस के समर्थन से छोटी पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री बनाना तक शामिल है. लेकिन डोभााल मानते हैं कि इससे लोकतंत्र कमजोर होगा. और कमजोर लोकतंत्र देश को सॉफ्ट पॉवर बना देगा. जबकि अब जरूरत हार्ड पॉवर बनने की है. उन्होंने चीन का उदाहरण देकर समझाया कि कैसे 1970 तक भारत चीन से आगे था, लेकिन वहां बदलाव हुआ.

उन्होंने आगाह किया कि सरकार को तकनीक को प्रोत्साहन देना होगा. उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो दीवाली के दीये और गणेश चीन में बनेंगे और हमारे कुम्हार खत्म हो जाएंगे. डोभााल का कहना है कि भारत भी आज उसी बदलाव के मुहाने पर खड़ा है. लेकिन आज जरूरत कड़े फैसले करने की है. उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को लेकर उत्साहित है. डोभाल ने अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि लोकप्रिय फैसलों के नाम पर राष्ट्रीय हितों की अनदेखी नहीं कर सकते. डोभाल ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए संकट है जिसका सामना करना पड़ेगा.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस बात का भी जिक्र किया कि देशभक्ति सरकार की बपौती नहीं है. देश का हर नागरिक देशभक्त है. उन्होंने इशारों ही इशारों में औद्योगिक घरानों को लेकर लगते आरोपों का जिक्र किया. डोभाल ने कहा कि सभी निजी कंपनियां भ्रष्ट नहीं हैं और सबको शक की नजरों से देखने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए.

डोभाल ने शिकायत की कि हमारे विमर्श में नकारात्मकता हावी है. उन्होंने कहा कि हम लंबी योजनाएं नहीं बनाते. कोई यह लेख प्रकाशित नहीं होता कि 2030 में भारत कहां होगा.  उन्होंने कहा कि नेगेटिव बातों को कमजोर करके न आंका जाए क्योंकि एक गलती भी बहुत भारी हो सकती है. उन्होंने कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया और कहा कि अगर नेहरू ने कश्मीर पर पटेल की बात मानी होती तो बात कुछ और होती. उन्होंने कहा कि झूठी धारणाएं बनाने से देश अस्थिर होता है. आज तकनीक के जोर के चलते ऐसी झूठी धारणाएं बनाने के कई ठिकाने हैं. उन्होंने कहा कि आज भी देश में ऐसे कई लोग हैं जो देश की इच्छाशक्ति को कमजोर करने में लगे हैं.

डोभाल की ये सारी बातें सरकार की सोच की झलक देती हैं. सरकार में उनका लगातार बढ़ रहा कद भी इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि वे जो भी कहते हैं उसे गंभीरता से लिया जाता है. दो दिन पहले सीबीआई के भीतर चली जंग पर निर्णायक फैसला करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. सूत्रों के अनुसार मंगलवार रात दस बजे डोभाल प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले. साढ़े दस बज फैसला किया गया कि आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा जाएगा. रात पौने एक बजे सीबीआई दफ्तर को पुलिस ने घेर लिया. रात एक बजे डोभाल ने डीओपीटी सचिव चंद्रमौली और अतिरिक्त सचिव पीके त्रिपाठी को पीएमओ तलब किया. सीवीसी की कार्रवाई को अमल में लाया गया. पौने दो बजे छुट्टी पर भेजने का आदेश जारी कर दिया. दो बजे नए सीबीआई अंतरिम प्रमुख एम नागेश्वर राव ने कार्यभार संभाल लिया. यह पूरा घटनाक्रम डोभाल के काम करने के तरीके को दिखाता है. किस तरह से उन्होंने इस कार्रवाई को अंजाम दिया जिसे कुछ लोग सीबीआई पर सर्जिकल स्ट्राइक भी कह रहे हैं.

इससे पहले दो बड़े सर्जिकल ऑपरेशन में डोभाल की भूमिका रही है. सितंबर 2016 में उड़ी में हुए हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना के बहादुर कमांडो ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान में आतंकवादियों के लांच पैड को ध्वस्त कर दिया था. इससे पहले मणिपुर में हुए आतंकवादी हमलों का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा पर करीब दो किलोमीटर घुसकर सैनिक कार्रवाई की थी. डोभाल की यही खूबियां उन्हें बाकियों से अलग करती हैं.

विदेश राज्यमंत्री रहे एमजे अकबर पर जब यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे तो विदेश दौरे से वापसी के बाद उन्होंने इस्तीफे से इनकार कर दिया था. लेकिन डोभाल ने उनसे मुलाकात की. उन्हें इन आरोपों की गंभीरता के बारे में बताया तथा इनसे सरकार की छवि को हो रहे नुकसान की जानकारी दी. फिर डोभाल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले और अकबर के इस्तीफे के फैसले पर विचार किया.

सरकार ने उनकी जिम्मेदारियों को भी बढ़ा दिया है. इसी महीने सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की सहायता करने दीर्घावधि रणनीतिक रक्षा समीक्षा में मदद के लिए स्ट्रैटेजिक पॉलिसी ग्रुप का पुनरुद्धार करने का फैसला किया है. इस कदम से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल देश के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह हो गए हैं. यह पॉलिसी ग्रुप अंतर-मंत्रालयी सामंजस्य के लिए तथा राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियां बनाने के दौरान सुझावों को शामिल करने के लिए सबसे अहम मैकेनिज़्म है.  

इससे पहले इस ग्रुप की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव किया करते थे, जो सरकार में सबसे वरिष्ठ नौकरशाह होते हैं. लेकिन अब इस ग्रुप की अध्यक्षता डोभाल को दे दी गई है. यह सारे घटनाक्रम दिखा रहे हैं कि डोभाल की भूमिका अब सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा तक ही सीमित नहीं रही है. बल्कि सरकार से जुड़े हर महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर उनकी छाप दिख रही है. यह उन्हें इस सरकार का संकट मोचन बनाता है.


(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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