विज्ञापन
This Article is From Jan 31, 2018

राहुल की जैकेट और राजनीति की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता 

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 31, 2018 20:30 pm IST
    • Published On जनवरी 31, 2018 19:39 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 31, 2018 20:30 pm IST
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जैकेट सुर्खियों में है. मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में एक कंसर्ट के दौरान राहुल गांधी ने मशहूर फैशन कंपनी बरबेरी की एक जैकेट पहनी, जिसके बारे में बीजेपी ने दावा किया कि यह 70 हजार रुपये की है. बीजेपी ने चुटकी लेते हुए उन्हें सूट-बूट की उनकी पुरानी टिप्पणी की याद दिलाई. बीजेपी की मेघालय इकाई ने इस पर ट्वीट किया और पार्टी के उत्तर-पूर्व राज्यों के प्रभारी महासचिव राम माधव ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाया.

हालांकि बाद में कई कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बचाव में उतर आए. रेणुका चौधरी ने इसे हंसकर टालते हुए कहा कि वो बीजेपी वालों को ऐसी जैकेट 700 रुपये में भी दिला सकती हैं. पंजाब में कांग्रेस के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि राहुल हमेशा गरीबों के साथ खड़े नजर आते हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि नेता अगर अपने वेतन को अच्छे कपड़ों पर खर्च करें तो क्या दिक्कत है.

यह भी पढ़ें : सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं, ये नेता भी पहनते हैं महंगे कपड़े

यह बात सच है कि हमारे सांसदों और विधायकों को वेतन मिलता है. यह भी सच है कि इनमें से अधिकांश को मौजूदा वेतन नाकाफी लगता है. बीच-बीच में सांसदों की ओर से वेतन बढ़ाने की मांग होती रही है. अगर भत्तों को अलग कर दिया जाए तो सांसद को 50 हजार रुपये महीना मिलता है. अभी कुछ दिन पहले ही बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने लोक सभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर सुझाव दिया कि जिन सांसदों की आमदनी करोड़ों में है उन्हें वेतन नहीं लेना चाहिए. इस पर उन्हीं की पार्टी के एक सांसद रामचरित्र निषाद ने विरोध जताया है. निषाद ने कहा कि फिर लोगों की सेवा करने के लिए सांसद बनने की जरूरत ही क्या है. खैर, ये सारी बातें अलग हैं. पर करना जरूरी है क्योंकि बात सांसदों के वेतन की भी हो रही थी.

नेताओं के महंगे कपड़े पहनना कोई नई बात नहीं है. उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में महंगी कन्नी शॉल का जिक्र किया है जो सर्दियों में कई नेताओं के कंधों पर नजर आती है. राहुल गांधी ने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सूट को लेकर तंज कसा था जो उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात के समय पहना था. इसमें सुनहरे धागों से उनका नाम कढ़ा हुआ था. तब कांग्रेस ने दावा किया था कि यह सूट 10 लाख रुपये का है. इसी सूट को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को सूट-बूट की सरकार बताया था. ये ऐसा जुमला था जो सरकार पर चिपक गया. सरकार ने इसे गंभीरता से लिया. इस सूट की नीलामी कर उससे हमेशा के लिए पीछा छुड़ा लिया गया. इसके बाद पीएम मोदी कभी किसी सूट में ही नजर नहीं आए. बीजेपी उसके बाद से लोगों को याद दिलाते नहीं थकती की उसकी पार्टी की सरकार गरीबों को समर्पित है. यह बात सिर्फ भाषणों तक ही सीमित नहीं रही. सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और यहां तक कि विज्ञापनों में भी गरीब, मजदूर और उपेक्षित वर्ग की बात होने लगी. सिर्फ एक कटाक्ष किस हद तक गहरा असर डाल सकता है. सूट-बूट की सरकार का तंज इसका उदाहरण है. अब बीजेपी यही तंज राहुल गांधी पर कस रही है.

राहुल गांधी पर कोई पाबंदी नहीं है कि वह इतनी महंगी जैकेट न पहनें या किसी अच्छे होटल में खाना खाने न जायें. लेकिन सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को यह ध्यान रखना होता है कि उनके हर क्रियाकलाप पर सबकी नजरें होती हैं. राहुल गांधी खेतों में भी चले हैं. दलितों के घरों में उन्हें रात भी बिताई है. मछुआरों के साथ उनके फोटो आए हैं. बजट एयरलाइंस में यात्रा करते हुए सहयात्रियों के साथ सेल्फी लेना और उनके सामान उतारने में मदद करने की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब चलती हैं. 

उनकी दो और तस्वीरें हैं जो लोगों के जेहन में बसी हैं. पिछले साल जनवरी की ही उनकी एक तस्वीर है. यह उत्तराखंड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विजय संकल्प कार्यक्रम की है. इसमें राहुल गांधी नाटकीय अंदाज में अपने कुर्ते की जेब में हाथ डालते हैं और पूरा हाथ जेब से बाहर निकाल कर लोगों को दिखाते हैं कि उनका कुर्ता फटा हुआ है. इसके बाद वो कहते हैं कि "मेरा कुर्ता फटा हुआ है तो मुझे फर्क नहीं पड़ता. लेकिन मोदीजी का कपड़ा कभी फटा नहीं होगा और वो गरीब की राजनीति करते हैं."

यानी राहुल मानते हैं कि अगर गरीबों की राजनीति करनी है तो कपड़े भी उसी हिसाब से होने चाहिएं. डिजाइनर कपड़े पहनकर गरीबों के बीच नहीं जाना चाहिए. लेकिन यह बात सिर्फ पीएम मोदी या उनके अन्य विरोधी नेताओं पर ही क्यों लागू हो? जाहिर है राहुल अगर आज किसी गरीब के घर रात बिताने जायेंगे तो बरबेरी की जैकेट पहन कर नहीं जाएंगे. लेकिन सवाल यह है कि 'गरीबों या गरीबी की राजनीति' का जो पैमाना उन्होंने पीएम मोदी के लिए तय किया क्या वह खुद उन पर भी लागू होता है?
 
rahul gandhi
नोटबंदी के दौरान एटीएम के बाहर लाइन में लगे राहुल गांधी.

राहुल गांधी की ही एक दूसरी तस्वीर नोटबंदी के समय एटीएम के बाहर लगी लंबी कतार में उनके खड़े होने की है. इसमें वो एटीएम से चार हजार रुपये निकालने के लिए खड़े हुए थे. इसका मकसद यह दिखाना था कि नोटबंदी के चलते किस तरह एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगी हैं. लेकिन यह अचरज की बात है कि उसके बाद से राहुल गांधी की किसी भी एटीएम के बाहर खड़े हुए कोई तस्वीर सामने नहीं आई. यह कोई नहीं सकता कि तब निकाले गए चार हजार रुपयों के बाद राहुल को नकद पैसों की जरूरत ही महसूस नहीं हुई हो इसलिए उन्होंने एटीएम से पैसा निकाला ही नहीं. 

इसी तरह गुजरात चुनावों के दौरान भी राहुल गांधी के मंदिर दर्शन की खूब चर्चा रही. मंदिरों में कीर्तन करते हुए, झांझ बजाते हुए, मस्तक पर त्रिपुंड लगाए हुए अनेकों तस्वीरें वायरल हुईं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही वो तस्वीरें भी गायब हो गईं. ऐसा नहीं है कि बीजेपी या अन्य पार्टियों के नेताओं की ऐसी तस्वीरें नहीं आतीं. हर नेता जनता के बीच जाने का और मीडिया में सुर्खियां बटोरने की फिराक में रहता है. मौके देख कर ही तस्वीर खिंचवाने को लेकर रणनीति बनाई जाती है. स्वच्छता अभियान में पीएम मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम नेताओं की हाथ में झाड़ू पकड़े तस्वीरें सामने आईं जो रस्म अदाइगी ही साबित हुईं. कई बार तो झाड़ू लगवाने के लिए 'साफ' कचरे का भी इंतजाम किया गया.

एक तस्वीर जो मैं कभी नहीं भूल सकता वो है बीजेपी नेताओं की जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की. यह प्रदर्शन तब की यूपीए सरकार की एफडीआई नीतियों के विरोध में था. इसमें बीजेपी नेता कहीं से भैंस पकड़ कर लाए और उसके सामने बीन बजा रहे थे. वो यह संदेश देना चाहते थे कि उस सरकार से कोई मांग करना भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है. 

कई बार चुनाव नेताओं को अजीब-अजीब कपड़े पहनने पर भी मजबूर कर देते हैं. इसी चुनावी राजनीति के चक्कर में कई नेता इफ्तार पार्टियों में अरब शेखों जैसे नजर आते हैं तो वहीं कई मंदिरों में साष्टांग प्रणाम भी करने लगते हैं. वोटों की आस में राजनीति की यह फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता कई बार हास्यास्पद दृश्य भी सृजित कर देती है.

लेकिन राहुल की इस महंगी जैकेट पर शायद सवाल इसलिए ज्यादा उठ रहे हैं क्योंकि उन्होंने कपड़ों को राजनीति से जोड़ा है. जाने-अनजाने में उन्होंने एक पैमाना तय कर दिया है. जाहिर है जब आप दूसरों के लिए कसौटी तैयार करते हैं तो कई बार आपको भी उसी कसौटी पर खरे होकर उतरना पड़ता है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com