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This Article is From Oct 10, 2018

#MeToo मंत्री पर यौन शोषण के आरोप, परेशानी में मोदी सरकार

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    October 10, 2018 20:42 IST
    • Published On October 10, 2018 20:42 IST
    • Last Updated On October 10, 2018 20:42 IST
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करने वाली मोदी सरकार एक मंत्री पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद बहुत परेशानी में आ गई है. सरकार के आला मंत्रियों से इस बारे में जवाब देते नहीं बन पा रहा. जिस मंत्री पर आरोप है वे अभी विदेश में हैं. कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग कर रही है. माना जा रहा है कि उनकी घर वापसी के बाद उनके भविष्य का फैसला हो. बात हो रही है विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर की.

सोशल मीडिया पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रही 'मी टू कैंपेन' की चपेट में एमजे अकबर भी आ गए हैं. अकबर राजनीति में कूदने से पहले ऊंचे दर्जे के पत्रकार रहे. उन्होंने द टेलीग्राफ और द एशियन एज जैसे बड़े अखबारों का संपादन किया है. लेकिन अब उनके संपादन के दौरान के किस्से धीरे-धीरे बाहर आ रहे हैं. उन महिला पत्रकारों ने अपनी चुप्पी तोड़ना शुरू किया है जो अकबर के साथ काम कर चुकी हैं. इन महिलाओं ने विस्तार से लिखा है कि किस तरह अकबर ने संपादक रहते हुए अपने पद का बेजा इस्तेमाल करते हुए उनके साथ यौन दुर्व्यवहार किया. कुछ पत्रकारों ने बताया कि अकबर ने अपने केबिन में बुलाकर कई बार उनके साथ दुर्व्यवहार किया. इसी तरह उनके द्वारा होटलों में बुलाकर पत्रकारों का नौकरी के लिए इंटरव्यू करना और वहां उनसे यौन लालसा से लिप्त बातें करने के आरोप भी लगाए गए हैं. इस बारे में अभी तक अकबर का पक्ष सामने नहीं आया है. हालांकि उनके साथ काम कर चुकीं एक महिला पत्रकार ने मी टू से जुड़ी पूरी बहस पर सवाल उठाया है.

सबसे पहले बात उन महिला पत्रकारों की जिन्होंने अकबर पर आरोप लगाया. अकबर के दुर्व्यवहार के बारे में खबरें पिछले एक साल से आ रही थीं. सबसे पहले पत्रकार प्रिया रमानी ने पिछले साल वोग इंडिया में इस बारे में विस्तार से लिखा था. हालांकि तब उनका नाम नहीं लिया गया था. लेकिन बॉलीवुड में तनुश्री दत्ता के नाना पाटेकर पर आरोप लगाने के बाद इस मुद्दे पर तूफान आ गया. बॉलीवुड के बाद मीडिया जगत में मी टू के कई वाकये सामने आने लगे. अब तक छह महिला पत्रकार अकबर के बारे में आरोप लगा चुकी हैं. सबसे पहले प्रिया रमानी ने आठ अक्टूबर को एक ट्वीट में पहली बार एमजे अकबर का नाम लिया. उन्होंने लिखा कि- मैंने अपने लेख की शुरुआत एमजे अकबर की कहानी का जिक्र करते हुए की थी. मैंने उनका नाम नहीं लिखा था क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं किया था. लेकिन इस दरिंदे के बारे में कई महिलाओं के बेहद कटु अनुभव हैं. शायद वे इन्हें साझा करेंगी.

इसके बाद कई अन्य महिला पत्रकारों ने अकबर का नाम लेकर उनसे जुड़े अपने कटु अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा किया. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक  फ्रीलांस पत्रकार कनिका गहलौत ने बताया कि वे 1995 से 1997 तक एशियन एज में अकबर के साथ काम कर चुकी हैं. उन्होंने एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें चेता दिया गया था कि अकबर किस किस्म के व्यक्ति हैं. उन्होंने उन्हें एक बार होटल में ब्रेकफास्ट के लिए बुलाया था. लेकिन चूंकि वे उनके बारे में जानती थीं, इसलिए नहीं गईं. हालांकि इसे लेकर बाद में उन्होंने उन्हें परेशान नहीं किया.  फिलहाल एशियन एज में रेजिडेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहीं सुपर्णा शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे 1993 से 1996 तक अखबार की शुरुआती टीम का हिस्सा थीं. एक दिन जब वे दफ्तर में काम कर रही थीं तब अकबर उनके पीछे आकर खड़े हो गए और उन्होंने उनकी स्ट्रैप को खींचा. उन्होंने कुछ कहा जो उन्हें अब याद नहीं लेकिन वे उनके ऊपर चिल्लाई थीं. एक अन्य घटना तब हुई जब उन्होंने एक टी शर्ट पहने हुई थी जिस पर कुछ लिखा था. तब वे उसे पढ़ने के बहाने लगातार उन्हें सामने से घूरते रहे. उन्होंने कहा कि कम से कम तीन अन्य महिलाओं ने उन्हें अकबर के यौन दुर्व्यवहार के बारे में बताया था.

एक अन्य मामला शुमा राहा का है जिन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें कोलकाता में 1995 में ताज बेंगाल होटल में नौकरी के इंटरव्यू के लिए आने को कहा गया. जब वे लॉबी में पहुंचीं तो अकबर ने उन्हें अपने कमरे में बुला लिया. वे पलंग पर बैठकर इंटरव्यू कर रहे थे जो उन्हें अजीब लगा. फिर उन्होंने नौकरी दी और कहा क्या वे ड्रिंक के लिए आ सकती हैं. राहा ने कहा कि यही कारण था कि उन्होंने नौकरी नहीं की.

एक अन्य पत्रकार प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने सात अक्टूबर को ट्वीट कर होटल में बुलाए जाने का जिक्र किया. हालांकि उसमें अकबर का नाम नहीं था. लेकिन सोमवार को उन्होंने अकबर का नाम लिया. शुतुपा पॉल नाम की पत्रकार भी अकबर के बारे में खुलकर सामने आई. उन्होंने रमानी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि मी टू एमजे अकबर 1010-11 जब कोलकाता इंडिया टुडे में थी. हालांकि उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के ट्वीट का जवाब नहीं दिया.

आज गजाला वहाब भी खुलकर सामने आई हैं. वे फोर्स मैग्जीन की एक्जीक्यूटिव एडीटर हैं. उन्होंने विस्तार से बताया है कि किस तरह से 1997 में उन्हें यौन प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा. उस समय वे अकबर के अखबार एशियन एज में काम करती थीं. उनका शोषण तब खत्म हुआ जब उन्होंने अखबार छोड़ा. गजाला वहाब ने लिखा है कि किस तरह अखबार में तीन साल काम करते हुए उन्हें अकबर ने प्रताड़ित किया. उन्होंने लिखा कि अकबर उन्हें अपने केबिन में बुलाते थे और उनकी कलाई पकड़ लेते थे. एक बार उन्होंने उन्हें सबके सामने किस किया था. उन्होंने अपने इस कटु अनुभव के बारे में सहयोगियों और यहां तक कि वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफा को बताया था. गजाला ने लिखा है कि एक बार वे पीछे से आए और उन्होंने उनकी कमर पकड़ ली. वे हाथ फेरने लगे. एक अन्य घटना में उन्होंने केबिन के दरवाजे और अपने शरीर के बीच उन्हें पकड़ लिया था. एक बार उन्होंने उन्हें झुकाया और किस किया.

अकबर के साथ लंबे समय काम कर चुकीं सीमा मुस्तफा ने भी आज अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने लिखा है कि उन्हें मी टू अभियान से एक दिक्कत है कि यह बलात्कार और यौन हमले के दोषी पुरुषों और उन पुरुषों में कोई फर्क नहीं करता जो महिलाओं को ड्रिंक के लिए ले जाते हैं या फिर अवांछनीय टैक्सट मैसेज भेजते हैं. यह अभियान सभी को एक जैसी सजा देता है. गजाला वहाब को मेरा पूरा समर्थन है जो एक नर्क से गुजरी हैं और इससे बाहर आई हैं. उन्होंने अपना अनुभव साझा करने की हिम्मत दिखाई. उनके लेख से एमजे अकबर के बर्ताव के बारे में सबूत मिले हैं. उन्हें मंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिए. उन सभी महिलाओं के प्रति मेरा पूरा सम्मान और समर्थन है जिन्होंने इस हैशटैग का इस्तेमाल कर अपने डरावने अनुभवों को साझा किया और चर्चा के लिए माहौल तैयार किया.

इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद अब कांग्रेस ने एमजे अकबर का इस्तीफा मांगा है. लेकिन बीजेपी इस विवाद पर खामोश है. प्रवक्ताओं को हिदायत दी गई है कि वे इस पर कुछ नहीं बोलें. केंद्रीय मंत्रियों से भी जवाब देते नहीं बन रहा.

जाहिर है एमजे अकबर को हटाने के बारे में फैसला करने में जितनी देरी होगी, सरकार की साख को उतना ही धक्का लगेगा. वैसे कुछ बीजेपी नेता दबी जुबान में कह रहे हैं कि यह मामला अकबर का व्यक्तिगत है और उनके मंत्री रहते हुए इस तरह के आरोप नहीं लगे हैं. लेकिन हकीकत यह है कि महिला सुरक्षा और सम्मान से जुड़े इस मसले पर कोई भी सफाई काम नहीं आ सकती. कांग्रेस इसे अब एक बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है.


(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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