पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स में लगे भ्रष्टाचार के आरोप पीएम नरेंद्र मोदी ने आज एक बार फिर उछाल दिए. उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी है कि दम है तो बाकी बचे दो चरणों में इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ कर देख ले. पीएम मोदी ने कहा कि अभी पंजाब में, दिल्ली में, भोपाल में वोटिंग होनी है. कांग्रेस चाहे तो राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़ कर दिखा दे. और अब से कुछ देर पहले दिल्ली में एक रैली में राहुल गांधी ने पीएम को जवाब दिया है. आपको बता दूं कि राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर एक बताने के पीएम मोदी के बयान से कांग्रेस पहले से ही भड़की हुई है. पार्टी ने आज इसकी शिकायत चुनाव आयोग को भी कर दी. कांग्रेस का कहना है कि यह अपमानजनक भाषा है.
इस विरोध में कांग्रेस अकेली नहीं है. उसके कुछ संभावित सहयोगी दल भी इसे लेकर बेहद आक्रामक हैं. इस हमले ने उन दलों को भी कांग्रेस के पाले में खड़ा कर दिया है जो अभी कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रहे हैं जैसे समाजवादी पाटी और तृणमूल कांग्रेस. पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में ऐसा क्या कहा था जिसे लेकर विवाद शुरू हुआ.
राहुल गांधी ने पहले इसका जवाब ट्वीट के जरिए दिया था. उन्होंने कहा था कि मोदीजी, लड़ाई खत्म हो चुकी है. आपके कर्म आपका इंतजार कर रहे हैं. खुद के बारे में अपनी आंतरिक सोच को मेरे पिता पर थोपना भी आपको नहीं बचा पाएगा. सप्रेम और झप्पी के साथ- राहुल.' इसके बाद ही समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने भी ट्विटर पर पीएम मोदी को आड़े हाथों लिया था. अखिलेश यादव ने कहा था कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह है, लेकिन शहीदों और उनके परिवारवालों को सहानुभूति मिलनी चाहिए. वहीं ममता बनर्जी ने कहा राजीव गांधी के बारे में इस तरह की टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन पीएम मोदी ने आज एक बार फिर इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को चुनौती दी है, इससे साफ है कि वे इस पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. यह चौकीदार चोर है के राहुल गांधी के नारे का जवाब माना जा रहा है.
राहुल गांधी फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल में अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट ठेके मिलने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं, जबकि बोफोर्स का मामला राजीव गांधी की सरकार के वक्त स्वीडन से खरीदी गई बोफोर्स तोपों से जुड़ा है जिसमें स्वीडन के रेडियो ने खुलासा किया था कि इस सौदे में भारत के शीर्ष नेताओं और कुछ अधिकारियों और बिचौलियों को घूस दी गई. इसके बाद तत्कालीन रक्षा मत्री वीपी सिंह ने राजीव सरकार से इस्तीफा दे दिया था और बोफोर्स घूस कांड को बड़ा मुद्दा बना लिया था. वे बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों के सहयोग से सरकार में आए. उन्हीं की सरकार में इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें बोफोर्स के प्रेसीडेंट मार्टिन आर्दबो, बिचौलिए विन चड्ढा और हिंदुजा बंधुओं के नाम थे. 10 साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के वक्त चार्जशीट दायर हुई, जिसमें सीबीआई ने राजीव गांधी को आरोपी बनाया.
2004 के चुनाव से ठीक पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी के खिलाफ घूस के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि सीबीआई उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा पाई. कुछ महीने बाद सरकार बदल गई और कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए सरकार बनी. सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी. मोदी सरकार बनने के बाद सीबीआई ने 2018 में याचिका दायर की, लेकिन इसे देरी की वजह से खारिज कर दिया गया. तो अब सवाल है कि क्या राफेल के बदले बोफोर्स का मुद्दा उठाया गया है? क्या चौकीदार चोर है के कांग्रेस के नारे का जवाब है भ्रष्टाचारी नंबर 1?
(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)
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