विज्ञापन
This Article is From Nov 27, 2018

राज्यपाल की 'ईमानदारी'  

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 27, 2018 20:15 pm IST
    • Published On नवंबर 27, 2018 20:15 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 27, 2018 20:15 pm IST
क्या केंद्र सरकार सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर दबाव डाल रही थी? क्या केंद्र की ओर से राज्यपाल को कहा गया था कि या तो लोन मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर विधानसभा भंग होगी? यह सवाल इसलिए क्योंकि खुद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ही कह डाला है कि अगर वे दिल्ली की तरफ देखते तो उन्हें सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता और यह बेईमानी होती. राज्यपाल ने यह बयान शनिवार को ग्वालियर में दिया था, लेकिन अब इस पर सियासी हंगामा शुरू हो गया है. राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को केंद्र सरकार का आदेश न मानने के लिए बधाई दी है. लेकिन सत्यपाल मलिक का यह बयान केंद्र सरकार के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है, क्योंकि उनके बयान से यही इशारा मिलता है कि केंद्र सिर्फ दो विधायक होने के बावजूद सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनवाना चाहता था.

राज्यपाल मलिक ने पिछले बुधवार को तब अचानक जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी थी जब उनके पास महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन दोनों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. व्हाट्सऐप पर भेजे गए लोन के पत्र में कहा गया था कि उन्हें बीजेपी का समर्थन हासिल है. उन्होंने 18 अन्य विधायकों के समर्थन का भी दावा किया था. जबकि महबूबा मुफ्ती फैक्स भेजने की कोशिश करती रहीं. उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से 55 विधायकों का दावा किया था. अब राज्यपाल के बयान के बाद उन्होंने ट्वीट में कहा कि फैक्स मशीन की गड़बड़ी की बात एक तरफ, यह देख कर अच्छा लगा कि राज्यपाल साहब ने दिल्ली का निर्देश नहीं माना और उसके बजाए विधानसभा भंग कर दी. राज्य में लोकतंत्र की कहानी देख कर यह अप्रत्याक्षित है.

उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर सच बोलने के लिए राज्यपाल को बधाई दी. उन्होंने कहा, 'दिल्ली की तरफ न देखने के और उनके आदेश न मानने के लिए राज्यपाल मलिक को बधाई. उन्होंने खरीद-फरोख्त, दलबदल और पैसे के इस्तेमाल के जरिए बीजेपी और उसकी कठपुतलियों की सरकार बनने से रोक दिया. हालांकि अब राज्यपाल का कहना है कि केंद्र सरकार इसमें शामिल नहीं थी. पर उनसे पूछा जाता तो वो लोन का ही नाम लेते.

बीजेपी भी मलिक के बयान के बाद खामोश है. हालांकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के महासचिव और जम्मू कश्मीर के प्रभारी राम माधव सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनवाना चाहते थे, लेकिन न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राज्य में तोड़-फोड़ कर सरकार बनाने के पक्ष में थे. उनका साफ मानना था कि ऐसे में, जबकि आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं अन्य पार्टियों के विधायकों को तोड़ने से ठीक संदेश नहीं जाएगा.

सरकार में एक अन्य राय यह भी थी कि विधानसभा भंग करने से बदनामी होगी. लेकिन आखिर में तय किया गया कि विधानसभा भंग कर लोक सभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव कराना ठीक होगा. जो राज्यपाल पीडीपी एनसी के साथ आने पर विपरीत विचारधारा का गठबंधन बता रहे हों वे अब ऐसा बयान क्यों दे रहे हैं. क्या यह खुद को पाक साफ दिखाने की राज्यपाल की कोशिश है? क्या राज्यपाल के बयान से केंद्र सरकार की किरकिरी हुई है? ये ऐसे सवाल हैं जो आने वाले समय में बीजेपी और राज्यपाल दोनों को परेशान करते रहेंगे. 


(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com