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This Article is From Aug 25, 2019

इसलिए पीवी सिंधु ने स्वर्ण पदक अपनी मां को किया समर्पित

इसलिए पीवी सिंधु ने स्वर्ण पदक अपनी मां को किया समर्पित
पीवी सिंधु की यह तस्वीर भारतीय खेल इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई
  • जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराया सिंधु ने
  • पदक का जश्न बहुत अच्छे तरीके से मनाऊंगी: सिंधु
  • हर भारतीय को इस जीत की तलाश थी
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बासेल (स्विट्जरलैंड):

बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं पीवी सिंधु (PV Sindhu wins Gold in World Championship) ने इस खिताब को अपनी मां के साथ-साथ हर भारतीय को समर्पित किया है. ओलिंपिक रजत पदक विजेता सिंधु (PV Sindhu) ने रविवार को बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर चैम्पियनशिप में पहली बार स्वर्ण पदक जीत लिया. यह पीवी सिंधु का वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिलाकर कुल पांचवां पदक रहा. 

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सिंधु ने इस जीत के बाद कहा, "अब मैं इस पदक का जश्न बहुत अच्छे तरीके से मनाऊंगी क्योंकि मुझे इस पदक का लंबे समय से इंतजार था." इस जीत के साथ ही सिंधु विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं. वह इससे पहले बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में वर्ष 2017 और 2018 में रजत तथा 2013 व 2014 में कांस्य पदक जीत चुकीं हैं और उनके पांच पदक हो गए हैं.  इस चैंपियन खिलाड़ी ने कहा कि आज मेरी मां का जन्मदिन है और यह स्वर्ण उन्हें समर्पित है. इसके अलावा यह खिताब हर भारतीय को समर्पित है. वहीं सिंधु ने इस कामयाबी के लिए अपने कोच गोपीचंद व फिटनेस कोच का भी शुक्रिया अदा किया.

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उन्होंने कहा, "हर भारतीय को इस जीत की तलाश थी, खासकर रियो ओलिंपिक में रजत पदक जीतने के बाद से सभी भारतीयों की मुझसे काफी उम्मीदें बढ़ गई थी. इसके बाद से जब भी मैं टूर्नामेंट में खेलने जाती थी, लोग मुझसे पदक की उम्मीद लगाए बैठे रहते थे." भारतीय खिलाड़ी ने कहा, "इसलिए मुझे लगता है कि यह जीत मेरे लिए बहुत खास है क्योंकि स्वर्ण जीतने वाली मैं पहली महिला खिलाड़ी बनी हूं. इसके लिए मैं सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं क्योंकि उनके समर्थन के बिना यह आसान नहीं था" 

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सिंधु ने कहा, "निश्चित रूप से यह मेरे लिए बहुत खुशी का समय है. मेरे लिए यह जीत बहुत जरूरी थी. दो कांस्य और दो रजत पदक के बाद आखिरकार मैं स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही. इसकी मुझे बहुत लंबे समय से उम्मीद थी"

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