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जेनिफर थॉमस

जेनिफर थॉमस की कलम से

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    वर्ल्‍ड अर्थ डे : खुद को बचाना है, तो धरती को नया जीवन देना होगा...

    जब हम स्कूल में पढ़ते थे, हमें कहा गया था कि धरती हमारी माता हैं, पर शायद धरती मां ने तो हमें अपनी संतान मान लिया, लेकिन हम उन्‍हें मां का दर्जा नहीं दे पाए. मेरी इस बात का मतलब समझने के लिए आपको जरा आसपास नजर घुमाने की जरूरत होगी. इतना कूड़ा-कचरा, इतना प्रदूषण, यह व्यवहार भला कोई अपनी मां के साथ कैसे कर सकता है? इस शनिवार, 22 अप्रैल को पूरी दुनिया वर्ल्ड अर्थ डे मनाएगी. लेकिन शायद हम और दिनों की ही तरह इस दिन को भी महज एक दिन मनाकर भूल जाएंगे. क्‍यों न हम इस दिन खुद से कुछ ऐसे वादे करें, जो धरती को हमारे लिए एक प्रदूषित जगह बनाने के बजाए हमें एक स्‍वस्‍थ वातावरण दे...

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    डेटिंग ऐप: क्या पता आपका प्यार ऑनलाइन है, और आप उसे बादलों के पार ढूंढ़ रहे हों!

    वो दिन बीत गए, जब दो लोग डेट पर कैफे जाकर कॉफी की चुस्कियों के बीच प्यार-मोहब्बत की बातें करते थे. जनाब, अब ज़माना डिजिटल लव का है. इंटरनेट ने सभी 'सिंगल-रेडी-टू-मिंगल' शख्स को आपकी उंगलियो पर लाकर रख दिया है. और आप सोच रहे थे कि परफेक्ट साथी की तलाश टेढ़ी खीर है!!!

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    Easter 2017: आखिर क्यों मनाते हैं यह त्योहार, जानें इसका महत्व और इतिहास

    गुड फ्राइडे के दो दिन बाद मनाया जाने वाले पर्व ईस्टर के दिन नजारा ऐसा ही तो होता है. इस पवित्र रविवार को खजूर इतवार भी कहा जाता है.

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    Digital India Day 2017: ...और इस एक अभियान ने 'जेबकतरों' का धंधा कर दिया चौपट!

    आज हम इंडियावाले भी दुनिया जेब में लेकर चलते हैं और उसे अपनी उंगलियों पर नचाते हैं. अब शायद बसों में 'जेबकतरों से सावधान' जैसी चेतावनी की भी ज़रूरत नहीं, क्योंकि हम इंडियंस भी ई-वॉलेट लेकर घूमते हैं. अब बिल भुगतान के लिए 'लाइन हाजिर' होने की ज़रूरत नहीं, कॉलेज में दाखिले की प्रक्रिया, यहां तक की शादी-ब्याह का निमंत्रण भेजने का काम भी डिजिटल हो गया है.

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    World Health Day 2017: दीपिका पादुकोण समेत ये बॉलीवुड हस्तियां भी झेल चुकी हैं डिप्रेशन का दर्द...

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत दुनिया के सबसे अवसादग्रस्‍त देशों मे से एक है. ऐसा भी माना जाता है कि दुनिया में सबसे ज्‍यादा आत्‍महत्‍या के मामले भी भारत में ही सामने आए हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में डिप्रेशन के मामले कितनी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. एक तरफ जहां लोग अपनी मानसिक बीमारी से जुड़ी बातों को छिपाते हैं, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसी फिल्‍मी हस्तियां हैं जिन्‍होंने खुलकर अपनी जिंदगी के इस बुरे दौर को लोगों के सामने रखा और डिप्रेशन से उबरने के अपने सफर और कोशिशों पर बात की.

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    हां, हुई थी मैं डिप्रेशन की शिकार, लेकिन अब जिंदा और खुश हूं...

    आज अवसाद के खिलाफ लड़ाई का अपना अनुभव इसलिए साझा करना चाहती हूं क्योंकि आज (7 अप्रैल) विश्व स्वास्थ्य दिवस है और इस बार संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर ‘अवसाद’ विषय पर फोकस किया है. मेरी उम्र बमुश्किल ही 13 साल की रही होगी जब मेरे मनोचिकित्सक ने मेरे माता-पिता को सदमे में डाल दिया.

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