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This Article is From Feb 02, 2017

UPelections 2017: शिवपाल यादव को अंदाजा नहीं, वह क्‍या कह रहे हैं - रामगोपाल यादव

सपा में हाशिए पर चल रहे शिवपाल यादव के चुनाव के बाद नई पार्टी बनाने के ऐलान पर रामगोपाल यादव ने निशाना साधा है.

UPelections 2017: शिवपाल यादव को अंदाजा नहीं, वह क्‍या कह रहे हैं - रामगोपाल यादव
शिवपाल यादव ने मंगलवार को नई पार्टी बनाने का ऐलान किया.
नई दिल्‍ली: सपा में हाशिए पर चल रहे शिवपाल यादव के चुनाव के बाद नई पार्टी बनाने के ऐलान पर रामगोपाल यादव ने निशाना साधा है. इटावा में बुधवार को पत्रकारों से रूबरू होते हुए अखिलेश यादव के करीबी रामगोपाल यादव ने कहा कि शिवपाल के नई पार्टी बनाने का ऐलान समझ से परे है. दरअसल मंगलवार को शिवपाल यादव ने कहा था कि चुनाव खत्‍म होने पर 11 मार्च के बाद वह नई पार्टी का गठन करेंगे. उल्‍लेखनीय है कि 11 मार्च को ही मतगणना होनी है.

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक रामगोपाल यादव ने कहा कि शिवपाल के नई पार्टी के ऐलान से मतलब यह निकलता है कि अगर वह जसवंतनगर सीट से चुन लिए गए और नई पार्टी बनाते ही उनकी विधानसभा सदस्‍यता खत्‍म हो जाएगी. उन्‍होंने कहा कि वह इस बयान से सहमत नहीं हैं. इस तरह का बयान चुनाव देना समझदारी की बात नहीं है.

गौरतलब है कि शिवपाल ने इटावा की अपनी परंपरागत जसवंतनगर सीट से सपा के प्रत्‍याशी के रूप में नामांकन किया है. इस पर भी निशाना साधते हुए रामगोपाल ने कहा कि फिर लोग उन्‍हें वोट क्‍यों देंगे जब वह दूसरी पार्टी बनाने की बात कर रहे हैं. इसके साथ ही जोड़ा कि नई पार्टी बनाना कोई आसान काम नहीं है. देश में हजारों की संख्‍या में पार्टियां हैं लेकिन किसी को 50 वोट तो किसी को 100 वोट मिलते हैं.

उल्‍लेखनीय है कि सपा में हाशिए पर चल रहे नेता शिवपाल यादव ने मंगलवार को जसवंतनगर में नुक्‍कड़ सभा के दौरान ऐलान किया था कि वह 11 मार्च के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे. उन्‍होंने रोष जाहिर करते हुए कहा था कि मेरे समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं. अब ये लोग कहां जाएंगे.

दरअसल सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में पूरी तरह से आने के बाद शिवपाल यादव पार्टी में एकदम हाशिए पर पहुंच गए हैं. दरअसल जब वह पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष थे तो उन्‍होंने मुलायम सिंह के साथ मिलकर दिसंबर में प्रत्‍याशियों की सूची जारी की थी. उसके बाद पार्टी में जबर्दस्‍त घमासान के बाद अंतिम रूप से जब कमान अखिलेश को मिली तो उन्‍होंने उस सूची को खारिज कर दिया और अपनी नई सूची जारी की. उसके बाद शिवपाल और मुलायम समर्थकों के टिकट काटकर अखिलेश ने अपने समर्थकों को टिकट दिए.

पिता-पुत्र में सुलह होने के बाद मुलायम ने अपने 38 समर्थकों की सूची अखिलेश को दी थी. अखिलेश ने उसमें से भी कुछ लोगों को टिकट नहीं दिया. मुलायम ने जब पहली बार ये 38 नाम दिए थे तब उसमें शिवपाल का नाम नहीं था और उनकी जगह बेटे आदित्‍य का नाम था. बाद में शिवपाल का नाम उसमें जोड़ा गया. शिवपाल यादव इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं.

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