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This Article is From Feb 25, 2017

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की सीटों को अपनी झोली में करने में बीजेपी के छूट रहे हैं पसीने

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की सीटों को अपनी झोली में करने में बीजेपी के छूट रहे हैं पसीने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के चार चरण के चुनाव के बाद अब सभी पार्टियों की निगाह पूर्वांचल के बाकी बचे चुनाव पर लगी है. बीजेपी का सारा जोर वाराणसी पर है क्योंकि बीजेपी टिकट बंटवारे बाद अंतर कलह से झूझ रही है. यही वजह है कि बनारस में तूफानी  सभा कर रहीं स्मृति ईरानी हर सभा में बनारस के लोगों को घाट और बनारस की अनदेखी मुद्दा उठा रही हैं और सिर्फ स्मृति ईरानी ही नहीं बल्कि बीजेपी का हर बड़ा मंत्री इन दिनों बनारस में ऐसी ही सभा कर रहा है क्योंकि बीजेपी को डर है कि टिकट बंटवारे का असंतोष में कहीं सीट हाथ से न निकल जाये.

इसका स्वर भी सात बार के विधायक रहे श्याम देव राय चौधरी को टिकट न मिलने पर सुनाई दिया था. दादा नाराज थे उन्हें कई तरह के आश्वासन दिए गए. अब वो प्रचार के लिए तैयार तो हो गये हैं पर स्वर में अभी भी हल्की नाराजगी नजर आती है.

गौरतलब है कि बनारस बीजेपी का गढ़ माना जाता है लेकिन जिस तरह टिकट बंटा  उससे बड़ा अशंतोश पैदा हुआ. शहर दक्षिणी में सात बार के विधायक रहे श्याम देव राय चौधरी का टिकट कट गया. इसके साथ ही दूसरे दावेदार शहर दक्षिणी से ही 2012 के चुनाव में कांग्रेस से लगभग 45000 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे दयाशंकर मिश्र दयालू भी कांग्रेस से बीजेपी आये उनको भी टिकट नहीं मिला. यही हाल कैन्ट विधानसभा का भी रहा जहां 5 दफे से एक ही परिवार के लोगों को टिकट मिला जिससे कार्यकर्ता नाराज हो गया. जानकार कहते हैं कि टिकट बंटवारे में संघ की चली है. इस बात को पत्रकार हिमांशू शर्मा और आगे बढ़ाते हुए बताते हैं कि जब टिकट जनाधार वाले बीजेपी के नेताओं को नहीं मिला और संघ से करीबी रिश्ते वालों को टिकट मिल गया तो साफ़ है कि संघ भले ही अपने को बीजेपी की राजनीति से कोई लेना देना न होने की बात कहती हो पर उसका पूरा दखल साफ़ दिखता है.  

टिकट बंटवारे का ये असन्तोष बीजेपी को इसलिये भी सता रहा है क्योंकि 2014 लोकसभा के चुनाव में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को जिताने के लिये भाजपा ने तिनका तिनका जोड़कर जीत का कारवाँ आगे बढ़ाया था. इन तिनको में दूसरी पार्टियों के दिग्गज़ों को भी बड़े आश्वासन देकर पार्टी में शामिल कराया था. लिहाजा उन पार्टियों से आये लोगों को टिकट न मिलने पर उनका भी विरोध पार्टी को झेलना पड़ रहा है.  असन्तोष की खाई पटाने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. अमित साह यहां कैम्प कर रहे हैं और प्रधानमन्त्री भी यहां ज़्यादा समय दे सकते हैं.  

टिकट बंटवारे के अलावा बनारस में वादे के हिसाब से काम न होने के असंतोष का डर भी बीजेपी को सता रहा है. लिहाजा ह्रदय योजना और अमृत योजना के तहत जल्दी जल्दी काम को निपटाया भी जा रहा है क्योंकि बनारस प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. यहां की परम्परागत सीट हारने के बड़े मायने होंगे और विरोधी भी जम कर घेरेंगे. लिहाजा बीजेपी किसी भी कीमत पर इसे हारना नहीं चाहती.

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