
मायावती ने कहा कि अंसारी बंधु पहले भी BSP टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन सपा के दबाव में उन्होंने यह पार्टी छोड़ दी थी
लखनऊ:
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में विलय हो गया. मुख्तार अंसारी का नाम एक समय हत्या और अपहरण समेत 40 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल था. वह फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद हैं. बीएसपी ने मुख्तार अंसारी को मऊ सीट से, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी से तथा उनके भाई सिबगतउल्ला अंसारी को मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित किया है. मायावती ने कहा कि अंसारी परिवार के खिलाफ किसी के पास कोई सबूत नहीं है, इसीलिए उनकी पार्टी का बीएसपी में विलय किया गया है.
मायावती ने मुख्तार अंसारी के आपराधिक छवि को दरकिनार करते हुए कहा कि दूसरी पार्टियों में बड़े गुंडे मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने छवि खराब करने के लिए इस खानदान के लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया है. उन्होंने कहा कि अंसारी बंधु पहले भी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन सपा के दबाव में उन्होंने यह पार्टी छोड़ दी थी.
मायावती ने जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी का बचाव करते हुए कहा कि उनका नाम भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में आया था, जिसकी सीबीआई जांच हो रही है. इस मामले में सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
गौरतलब है कि पिछले साल अंसारी की पार्टी के सपा में विलय से सत्तारूढ़ पार्टी (सपा) में विवाद शुरू हो गया था. पार्टी के तत्कालीन प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अंसारी की पार्टी के सपा में विलय की सहमति दी थी, जबकि मुलायम के बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंसारी का कड़ा विरोध किया था. अंसारी की प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बुनकरों के बीच मजबूत राजनीतिक पकड़ है.
मायावती के इस कदम को मुस्लिम वोटों के कांग्रेस-सपा गठबंधन के साथ जाने को रोकने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सात चरणों में 4 फरवरी से 8 मार्च तक होने हैं. परिणाम 11 मार्च को घोषित होंगे.
(इनपुट एजेंसियों से)
मायावती ने मुख्तार अंसारी के आपराधिक छवि को दरकिनार करते हुए कहा कि दूसरी पार्टियों में बड़े गुंडे मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने छवि खराब करने के लिए इस खानदान के लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया है. उन्होंने कहा कि अंसारी बंधु पहले भी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन सपा के दबाव में उन्होंने यह पार्टी छोड़ दी थी.
मायावती ने जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी का बचाव करते हुए कहा कि उनका नाम भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड मामले में आया था, जिसकी सीबीआई जांच हो रही है. इस मामले में सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
गौरतलब है कि पिछले साल अंसारी की पार्टी के सपा में विलय से सत्तारूढ़ पार्टी (सपा) में विवाद शुरू हो गया था. पार्टी के तत्कालीन प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अंसारी की पार्टी के सपा में विलय की सहमति दी थी, जबकि मुलायम के बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंसारी का कड़ा विरोध किया था. अंसारी की प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बुनकरों के बीच मजबूत राजनीतिक पकड़ है.
मायावती के इस कदम को मुस्लिम वोटों के कांग्रेस-सपा गठबंधन के साथ जाने को रोकने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सात चरणों में 4 फरवरी से 8 मार्च तक होने हैं. परिणाम 11 मार्च को घोषित होंगे.
(इनपुट एजेंसियों से)
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