प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह...
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापसी का भरोसा जताते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी अकेले ही राज्य में अगली सरकार बनाएगी क्योंकि सपा-कांग्रेस गठबंधन को करारी शिकस्त मिलेगी. उन्होंने एक समारोह में कहा, ‘‘अगर सपा चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त होती तो वह कांग्रेस के साथ गठबंधन क्यों करती? सपा ने गठबंधन इसलिए किया क्योंकि चुनाव में इसके नेताओं की हार प्रत्याशित थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश अपराध के मामले में शीर्ष पर पहुंच गया है जबकि हर तरह के विकास के मामले में निचले पायदान पर है. राज्य में हर दिन 16 हत्याएं और 23 बलात्कार होते हैं. राज्य में करीब 200 दंगे और 2,87,000 जघन्य अपराध हो चुके हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश यादव ने सत्ता-विरोधी रुख को दूर करने के लिए ज्यादातर विधायकों और मंत्रियों को टिकट दिए हैं. अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों में जहां मैं गया, मैंने एक मजबूत सत्ता-विरोधी लहर पाई. हालांकि, उन लोगों ने दीवार पर लिखी इबारत देखी और इसलिए उन्होंने गठबंधन किया. लेकिन गठबंधन के बावजूद वे हारने वाले हैं.’’ शाह ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन केवल मतदाताओं को बेवकूफ बनाने के लिए है.
यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट क्यों दिया है, शाह ने जवाब दिया, ‘‘नेताओं के बेटे जो अपने बूते आगे बढ़े हैं उन्हें टिकट देना वंशवाद की राजनीति नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि वंशवादी राजनीति से मेरा मतलब है कि मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ही मुख्यमंत्री बन सकते हैं. वंशवादी राजनीति का मतलब है कि फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बन सकते हैं. गांधी-नेहरू वंश को छोड़ कर कांग्रेस में 1967 से किसी में पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है. लेकिन बीजेपी में कोई यह नहीं कह सकता है कि अगला बीजेपी अध्यक्ष कौन होगा. इसलिए पार्टी का दावा है कि वंशवाद की राजनीति यहां नहीं है. किसी नेता का बेटा काम करता है, समाजसेवा से जुड़ा है तो वह राजनीति कर सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘अखिलेश यादव ने सत्ता-विरोधी रुख को दूर करने के लिए ज्यादातर विधायकों और मंत्रियों को टिकट दिए हैं. अधिकतर निर्वाचन क्षेत्रों में जहां मैं गया, मैंने एक मजबूत सत्ता-विरोधी लहर पाई. हालांकि, उन लोगों ने दीवार पर लिखी इबारत देखी और इसलिए उन्होंने गठबंधन किया. लेकिन गठबंधन के बावजूद वे हारने वाले हैं.’’ शाह ने कहा कि सपा-कांग्रेस गठबंधन केवल मतदाताओं को बेवकूफ बनाने के लिए है.
यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट क्यों दिया है, शाह ने जवाब दिया, ‘‘नेताओं के बेटे जो अपने बूते आगे बढ़े हैं उन्हें टिकट देना वंशवाद की राजनीति नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि वंशवादी राजनीति से मेरा मतलब है कि मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ही मुख्यमंत्री बन सकते हैं. वंशवादी राजनीति का मतलब है कि फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बन सकते हैं. गांधी-नेहरू वंश को छोड़ कर कांग्रेस में 1967 से किसी में पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है. लेकिन बीजेपी में कोई यह नहीं कह सकता है कि अगला बीजेपी अध्यक्ष कौन होगा. इसलिए पार्टी का दावा है कि वंशवाद की राजनीति यहां नहीं है. किसी नेता का बेटा काम करता है, समाजसेवा से जुड़ा है तो वह राजनीति कर सकता है.
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