विज्ञापन
This Article is From Mar 11, 2017

चुनावी नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर लगा सवालिया निशान!

चुनावी नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर लगा सवालिया निशान!
दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: पंजाब और गोवा में दावे के ठीक उलट प्रदर्शन करने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग गया है. यानी जिस पार्टी के बारे में लगातार चर्चा थी कि वो 11 मार्च के बाद राष्ट्रीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू कर सकती है, उसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि आप का होगा क्या?

ऐसा क्यों कहा जा रहा है ये बाद में समझियेगा, पहले ये समझिए कि आम आदमी पार्टी ने ऐसी क्या गलती की जो राष्ट्रीय राजनीति छोड़िये अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगे हैं.

1. सारी ताक़त मालवा में - आम आदमी पार्टी के नेताओं ने शुरू से अपना पूरा जोर पंजाब के सबसे बड़े क्षेत्र मालवा में लगाया. इस इलाके में पंजाब की कुल 117 सीटों में से 69 सीटें पड़ती हैं. लेकिन माझा की कुल 25 और दोआबा की कुल 23 यानी कुल 48 सीटों पर पहले ध्यान नहीं दिया और बाद में कांग्रेस ने वहां अपनी ज़मीन मज़बूत की तो पंजाब को केवल 69 सीट वाले मालवा से जीतने की कोशिश की. सरकार बनाने के लिए पंजाब में 59 सीटें चाहिए तो ऐसे में 69 में से 50-55 सीट जीतकर आप ने पंजाब जीतने का इरादा किया. लेकिन केवल एक इलाके में मज़बूत होने से माहौल आप के पक्ष में नहीं बना जबकि कांग्रेस की तीनों इलाक़ों में मौजूदगी ने उसके पक्ष में माहौल बनाया. नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी अपने सबसे मज़बूत इलाके मालवा में भी हार गई. मालवा की 69 सीटों में से आप केवल 18 जीत पाई जबकि कांग्रेस 40 सीट जीत गई. आप ने दोआबा की 23 में से केवल 2 सीटें जीती जबकि माझा की 25 सीटों पर उसका खाता भी नहीं खुला. नतीजा आप कुल 117 में से केवल 22 सीटें ही जीत सकी.

2. बड़े नामों से सीधी भिड़ंत - बड़े नेता के सामने आम आदमी पार्टी अपना कोई बड़ा नाम उतारती है और माहौल बनाने की कोशिश करती है. ये आम आदमी पार्टी की राजनीती का हिस्सा है. खुद केजरीवाल शीला दीक्षित और नरेंद्र मोदी के सामने लड़ चुके हैं. पंजाब में आप ने प्रदेश के सबसे बड़े नाम भगवंत मान को डिप्टी सीएम सुखबीर बादल के सामने उतार दिया. सीएम प्रकाश सिंह बादल के सामने दिल्ली के राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह को उतार दिया. मंत्री बिक्रम मजीठिया के सामने हिम्मत सिंह शेरगिल को उतार दिया. लेकिन इन विधान सभा क्षेत्रों की जनता ने अपने पुराने प्रतिनिधि पर भरोसा दिखाया और आप के इन नेताओं को शायद 'बाहरी' माना और माना कि इनका इस इलाके कोई लेना देना नहीं, ये केवल हराने आये हैं. नतीजा आप के ये सब नेता हार गए. अब जब बड़े नाम अपने ही क्षेत्र में नाम नहीं बना पाये तो पार्टी की ये गति होना तय थी.

3. अति-आत्मविश्वास - अगस्त 2016 से जब आम आदमी पार्टी ने अपने राज्य संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर को पद से हटाया तभी से विरोधी पार्टियों ने आम आदमी पार्टी पर 'बाहरी' होने और पंजाबियों की कद्र ना करने का आरोप लगाया. संदेश ये गया कि इस पार्टी ने प्रदेश के संयोजक, जिसने पार्टी को शून्य से लेकर खड़ा किया उसको बिना किसी सबूत के पद से हटा दिया. बेशक छोटेपुर ने जो नई पार्टी बनायी वो एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन विरोधियों ने आप के खिलाफ जो प्रचार छेड़ा वो आखिर तक चला. लेकिन आम आदमी पार्टी ने अति-आत्मविश्वास में इसपर शायद ध्यान नहीं दिया. ओपिनियन पोल आये तो उनसे सकारात्मक सबक लेने की बजाय न्यूज़ चैनल-सर्वे एजेंसी को जमकर निशाने पर लिया और आखिर में वही हुआ जो ज़्यादातर सर्वे पहले से कह रहे थे कि पंजाब आप नहीं कांग्रेस जीत रही है.

4. पंजाब-गोवा में एक साथ चुनाव - आम आदमी पार्टी ने एक साथ दो जगह चुनाव लड़ लिया जबकि एक नई पार्टी होने के चलते उसके पास संसाधन ज़्यादा नहीं हो सकते ये बताने की ज़रूरत नहीं. और जिसके नाम और चेहरे पर पार्टी को वोट पड़ता वो अरविंद केजरीवाल भी कभी दिल्ली कभी पंजाब तो कभी गोवा में एक साथ कितना समय किसको दे सकते थे? नतीजा ये कि पंजाब तो हारे ही, गोवा में तो एक भी सीट नहीं मिली. यहां तक कि खुद सीएम कैंडिडेट एल्विस गोम्स चुनाव हार गए और तीसरे नंबर पर रहे.

इन गलतियों के चलते देखिये कैसे अब आम आदमी पार्टी का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है...

1 - राजौरी गार्डन उपचुनाव - दिल्ली के राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह को पार्टी ने पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल के सामने लड़ाया इसलिये उनको विधायकी छोड़नी पड़ी. अब 9 अप्रैल को राजौरी गार्डन सीट पर उपचुनाव है. पंजाब में आप के ख़राब प्रदर्शन का नकारात्मक असर अब इस चुनाव पर पड़ेगा. ये सीट पहले अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के पास थी जो वहां से फिर चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी के यूपी उत्तराखंड में ज़बरदस्त प्रदर्शन का बेहद सकारात्मक असर अकाली-बीजेपी के इस उम्मीदवार के पक्ष में जा सकता है और अगर कहीं अपनी जीती हुई इस सीट से आप हार गई तो संदेश जाएगा कि क्या पंजाब के बाद दिल्ली में भी केजरीवाल का जलवा कम हो गया है?

2. नगर निगम चुनाव - दिल्ली में कभी भी नगर निगम चुनाव घोषित हो सकते हैं. अगर आम आदमी पार्टी राजौरी गार्डन उपचुनाव हारी तो लगातार पंजाब चुनाव और दिल्ली उपचुनाव हारने का नकारात्मक असर नगर निगम चुनाव पर पड़ सकता है और अगर कहीं आम आदमी पार्टी अपने गढ़ दिल्ली में ही निगम चुनाव हार गई तो पार्टी के इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव में कैसे उतरेगी? क्योंकि एक धारणा पार्टी के खिलाफ होगी, नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा होगा और सबसे बड़ी बात पार्टी संसाधन कैसे जुटाएगी?

3. 21 विधायकों पर फैसला जल्द - संसदीय सचिव बनकर आम आदमी पार्टी के 21 विधायक लाभ के पद मामले में विधायकी जाने का खतरा झेल रहे हैं. 16 मार्च से इस मामले में चुनाव आयोग अंतिम सुनवाई शुरू करेगा. मान लीजिए अगर ये 21 विधायक अपनी सदस्यता खो बैठे तो दिल्ली में 21 सीटों पर उपचुनाव यानी एक मिनी चुनाव हो जाएगा जिसमे उसकी हालत कोई बहुत अच्छी नहीं होगी ऐसा माना जा रहा है.

4. कांग्रेस की वापसी - पंजाब, गोवा, मणिपुर में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से आम आदमी पार्टी की मुश्किल बहुत बढ़ गई है. क्योंकि इसका सकारात्मक असर दिल्ली में कांग्रेस और उसके पूर्व में समर्थक रहे वोटरों पर पड़ेगा और जो वोटर आप की तरफ चला गया था वो अब कांग्रेस की तरफ वापस आ सकता है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का वोटबैंक छीनकर ही दिल्ली में अपनी ज़मीन तैयार की थी. लेकिन पिछले साल हुए निगम की 13 सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस ने वापसी के संकेत दिए और आप- कांग्रेस के वोट शेयर में केवल 5 फीसदी का अंतर रह गया था. कांग्रेस के उठने का सीधा मतलब आम आदमी पार्टी का नीचे जाना है.

ऐसे में अब केजरीवाल और उनकी पार्टी लगभग वहीं आ गई है जहां वो 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद आई थी. फर्क सिर्फ इतना है कि इस समय दिल्ली की सत्ता उनके हाथ में है. ऐसे में अब केजरीवाल को खुद उसी तरह चुनाव प्रचार में उतरना होगा जैसे वो 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरे थे. देख लीजिए एक हार ने आम आदमी पार्टी को कहां लाकर खड़ा कर दिया है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
आम आदमी पार्टी, Aam Aadmi Party, Assembly Election Results 2016, विधानसभा चुनाव परिणाम 2017, Khabar Assembly Polls 2017
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com