पी विजयन (PTI फोटो)
तिरूवनंतपुरम:
केरल में माकपा की अगुवाई वाली नयी एलडीएफ सरकार 25 मई को शपथ ग्रहण करेगी। इस सरकार का नेतृत्व पार्टी नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य पिनराई विजयन करेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता वी एस अच्युतानंदन के आधिकारिक आवास पर उनके साथ संक्षिप्त बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए नामित विजयन ने कहा 'हम लोगों ने 25 मई की शाम सेंट्रल स्टेडियम में कार्यक्रम के आयोजन की योजना बनायी है।’ नयी सरकार के बारे में पूछे जाने पर विजयन ने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए कल एलडीएफ की बैठक होगी।
'अच्युतानंदन अनुभवी हैं'
92 वर्षीय अच्युतानंदन के साथ संक्षिप्त मुलाकात के बाद विजयन ने कहा ‘अच्युतानंदन पार्टी के वे आखिरी नेता हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला है और जो अनुभवी हैं। इसलिए उनसे विभिन्न मुद्दों को समझना बहुत आवश्यक है।’ माकपा ने शुक्रवार को एक बैठक में विजयन को एलडीएफ का नया नेता चुना था। 19 मई को घोषित हुए परिणाम में एलडीएफ ने 140 विधानसभा सीटों में से 92 पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी से नज़दीकी
विजयन को ज़मीन से जुड़े नेता के तौर पर देखा जता है और पार्टी की कार्यशैली के साथ उनका सामंजस्य भी स्थापित है। वहीं जनता के नेता कहे जाने वाले अच्युतानंदन को केरल में ब्रांड तो समझा जाता है लेकिन उन पर कई बार पार्टी के अनुशासन और नियमों को तोड़ने का आरोप लगता रहा है। बतौर मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के पहले कार्यकाल (2006-11) के दौरान विजयन के साथ अक्सर उनका मतभेद हो जाता था जिससे पार्टी को अक्सर शर्मंदिगी का सामना करना पड़ता था। एक बार तो ऐसा भी हुआ कि पार्टी ने दोनों नेताओं का नाम पोलित ब्यूरो से हटा दिया। हालांकि विजयन को बहाल कर दिया गया था लेकिन अच्युतानंदन केंद्रीय समिति के अतिथि की बनकर रह गए।
'अच्युतानंदन अनुभवी हैं'
92 वर्षीय अच्युतानंदन के साथ संक्षिप्त मुलाकात के बाद विजयन ने कहा ‘अच्युतानंदन पार्टी के वे आखिरी नेता हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला है और जो अनुभवी हैं। इसलिए उनसे विभिन्न मुद्दों को समझना बहुत आवश्यक है।’ माकपा ने शुक्रवार को एक बैठक में विजयन को एलडीएफ का नया नेता चुना था। 19 मई को घोषित हुए परिणाम में एलडीएफ ने 140 विधानसभा सीटों में से 92 पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी से नज़दीकी
विजयन को ज़मीन से जुड़े नेता के तौर पर देखा जता है और पार्टी की कार्यशैली के साथ उनका सामंजस्य भी स्थापित है। वहीं जनता के नेता कहे जाने वाले अच्युतानंदन को केरल में ब्रांड तो समझा जाता है लेकिन उन पर कई बार पार्टी के अनुशासन और नियमों को तोड़ने का आरोप लगता रहा है। बतौर मुख्यमंत्री अच्युतानंदन के पहले कार्यकाल (2006-11) के दौरान विजयन के साथ अक्सर उनका मतभेद हो जाता था जिससे पार्टी को अक्सर शर्मंदिगी का सामना करना पड़ता था। एक बार तो ऐसा भी हुआ कि पार्टी ने दोनों नेताओं का नाम पोलित ब्यूरो से हटा दिया। हालांकि विजयन को बहाल कर दिया गया था लेकिन अच्युतानंदन केंद्रीय समिति के अतिथि की बनकर रह गए।
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