नई दिल्ली:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता (जयललिता जयराम) राजनीति में आने से पहले एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड़ फिल्मों के अलावा एक हिन्दी फिल्म में भी काम किया है। वह अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कजगम पार्टी से हैं और उनके समर्थक उन्हें 'अम्मा' कहकर पुकारते हैं। उन्होंने सिनेमा को अलविदा कहकर राजनीतिक दुनिया में कदम रखा था।
- अमूमन कहा जाता है कि एमजी रामचंद्रन ने उनकी राजनीति में एंट्री करवाई। जयललिता ने तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन रामचंद्रन की मौत के बाद उन्होंने खुद को उनकी विरासत का वारिस घोषित कर दिया।
- एम करुणानिधि की पार्टी द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया। साल 1983 में एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का सचिव नियुक्त किया और राज्यसभा के लिए मनोनित किया।
- जयललिता का जन्म एक तमिल परिवार में 24 फरवरी 1948 को हुआ। वह पुराने मैसूर राज्य जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है के मांड्या जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थीं। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। महज 2 साल की उम्र में उनके पिता की मौत हो गई थी। पिता की मौत के बाद जयललिता की मां उन्हें बेंगलुरु लेकर चली आईं, जहां उन्होंने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया।
- जब वह स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने को राजी कर लिया। और इसी दौरान उन्होंने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। 15 की उम्र में वह कन्नड़ फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगीं। इसके बाद वह तमिल फिल्मों में काम करने पहुंचीं।
- अभिनेता शिवाजी गणेशन के साथ भी फिल्में करके उन्होंने खूब ख्याति बटोरी। यही नहीं हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र के साथ भी काम किया।
- जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद जयललिता पहली बार साल 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं, हालांकि 1996 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
- जयललिता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में केस चला, जिसमें वह दोषी भी पाई गईं। बेंगलुरु की अदालत ने जयललिता को चार साल की सजा सुनाई।
- 2001 में फिर एक बार मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं। भ्रष्टाचार के मामलों और कोर्ट से सजा होने के बावजूद वह अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में कामयाब रहीं। उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी कुर्सी अपने विश्वसनीय मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को सौंप दी। जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कुछ राहत मिली तो वह मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री बन गईं। इसके बाद वह 2011 में भी मुख्यमंत्री बनीं। तब से वह राज्य की मुख्यमंत्री हैं। गरीबों के लिए योजनाएं शुरू करके वह आम लोगों में काफी पॉपुलर हो गईं।
- जयललिता के जीवन पर बनी एक तमिल फिल्म 'इरूवर' आई थी जिसमें जयललिता की भूमिका ऐश्वर्या राय ने निभाई थी।
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