चेन्नई:
शुक्रवार को घंटे से भी ज़्यादा चले विचार-विमर्श के बावजूद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) तथा कांग्रेस के बीच तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पाया है। सूत्रों के अनुसार, दरअसल डीएमके खुद के बूते बहुमत हासिल करने के इरादे से ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है, जबकि कांग्रेस भी ज़्यादा सीटें चाहती है, इसलिए किसी भी समझौते के लिए कई और बैठकें करनी पड़ सकती हैं।
वैसे, कांग्रेस ने फिलहाल कहा है कि शुक्रवार की बैठक सिर्फ चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के साथ हुई बैठक में कांग्रेस की तरफ से शामिल हुए वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "नंबरों पर अभी कुछ भी तय किया जाना बाकी है..."
उधर, एम करुणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन ने कहा, "दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी... अब कांग्रेस अपने नेतृत्व से विचार-विमर्श कर दोबारा बात करेगी..."
हालांकि एमके स्टालिन ने यह बताने से इंकार कर दिया कि कांग्रेस को कितनी सीटों की पेशकश की गई थी, लेकिन डीएमके सूत्रों का कहना है कि वह संख्या लगभग 30 थी। दूसरी ओर, 234 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस की मांग 63 सीटों की थी, क्योंकि वर्ष 2011 के चुनाव में उन्होंने इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ा था। सूत्रों ने बताया अब कांग्रेस उन सीटों की पहचान करेगी, जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहती है।
डीएमके की प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ज़्यादा सीटों की मांग इसलिए कर रही है, क्योंकि डीएमके चुनाव के लिए कैप्टन विजयकांत की डीएमडीके को अपने गठबंधन में शामिल करने में नाकाम रही। डीएमडीके बुधवार को ही डीएमके की सारी उम्मीदों पर तुषारापात करते हुए पीडब्ल्यूएफ में शामिल हो गई, जो दरअसल चार पार्टियों का गठबंधन है, जिसकी वजह से राज्य विधानसभा का चुनाव चतुर्कोणीय बन गया है।
लेकिन कांग्रेस भी ज़्यादा दबाव डालने की स्थिति में इसलिए नहीं है, क्योंकि वर्ष 2011 के चुनाव में उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 63 सीटों पर लड़ने दिया गया था, लेकिन उसके प्रत्याशी सिर्फ पांच सीटें जीत पाए थे।
इसके बाद कांग्रेस को राज्य में एक और झटका लगभग एक साल पहले उस समय लगा था, जब जीके वासन ने कांग्रेस से नाता तोड़कर अपने पिता जीके मूपनार द्वारा स्थापित की गई पार्टी तमिल मानिला कांग्रेस को दोबारा खड़ा कर लिया।
वर्ष 2006 तक कांग्रेस की स्थिति नतीजों में तुलनात्मक रूप से बेहतर थी, क्योंकि उन्हें 48 सीटें दी गई थीं, और उन्होंने 34 पर जीत हासिल की थी।
बहरहाल, डीएमके ने आईयूएमएल और एमएमके जैसी मुस्लिम पार्टियों से चुनावी समझौते कर लिए हैं, हालांकि इन छोटे दलों को बहुत ज़्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी। समझौते के तहत आईयूएमएल सिर्फ पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
शुक्रवार शाम को डीएमके के साथ तय हुए समझौते के तहत एमएमके भी पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। एमएमके ने पिछला चुनाव जयललिता की अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के साथ मिलकर लड़ा था, और उस चुनाव के दौरान उन्हें दी गईं तीन सीटो में से दो पर जीत हासल की थी।
वैसे, कांग्रेस ने फिलहाल कहा है कि शुक्रवार की बैठक सिर्फ चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के साथ हुई बैठक में कांग्रेस की तरफ से शामिल हुए वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "नंबरों पर अभी कुछ भी तय किया जाना बाकी है..."
उधर, एम करुणानिधि के पुत्र एमके स्टालिन ने कहा, "दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी... अब कांग्रेस अपने नेतृत्व से विचार-विमर्श कर दोबारा बात करेगी..."
हालांकि एमके स्टालिन ने यह बताने से इंकार कर दिया कि कांग्रेस को कितनी सीटों की पेशकश की गई थी, लेकिन डीएमके सूत्रों का कहना है कि वह संख्या लगभग 30 थी। दूसरी ओर, 234 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस की मांग 63 सीटों की थी, क्योंकि वर्ष 2011 के चुनाव में उन्होंने इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ा था। सूत्रों ने बताया अब कांग्रेस उन सीटों की पहचान करेगी, जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहती है।
डीएमके की प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ज़्यादा सीटों की मांग इसलिए कर रही है, क्योंकि डीएमके चुनाव के लिए कैप्टन विजयकांत की डीएमडीके को अपने गठबंधन में शामिल करने में नाकाम रही। डीएमडीके बुधवार को ही डीएमके की सारी उम्मीदों पर तुषारापात करते हुए पीडब्ल्यूएफ में शामिल हो गई, जो दरअसल चार पार्टियों का गठबंधन है, जिसकी वजह से राज्य विधानसभा का चुनाव चतुर्कोणीय बन गया है।
लेकिन कांग्रेस भी ज़्यादा दबाव डालने की स्थिति में इसलिए नहीं है, क्योंकि वर्ष 2011 के चुनाव में उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 63 सीटों पर लड़ने दिया गया था, लेकिन उसके प्रत्याशी सिर्फ पांच सीटें जीत पाए थे।
इसके बाद कांग्रेस को राज्य में एक और झटका लगभग एक साल पहले उस समय लगा था, जब जीके वासन ने कांग्रेस से नाता तोड़कर अपने पिता जीके मूपनार द्वारा स्थापित की गई पार्टी तमिल मानिला कांग्रेस को दोबारा खड़ा कर लिया।
वर्ष 2006 तक कांग्रेस की स्थिति नतीजों में तुलनात्मक रूप से बेहतर थी, क्योंकि उन्हें 48 सीटें दी गई थीं, और उन्होंने 34 पर जीत हासिल की थी।
बहरहाल, डीएमके ने आईयूएमएल और एमएमके जैसी मुस्लिम पार्टियों से चुनावी समझौते कर लिए हैं, हालांकि इन छोटे दलों को बहुत ज़्यादा सीटें नहीं दी जाएंगी। समझौते के तहत आईयूएमएल सिर्फ पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
शुक्रवार शाम को डीएमके के साथ तय हुए समझौते के तहत एमएमके भी पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। एमएमके ने पिछला चुनाव जयललिता की अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के साथ मिलकर लड़ा था, और उस चुनाव के दौरान उन्हें दी गईं तीन सीटो में से दो पर जीत हासल की थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं