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This Article is From Jan 22, 2015

रवीश रंजन की कलम से : परिवार पर भारी पड़ रही है राजनीतिक महत्वकांक्षा

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासत ने कई दिग्गज नेताओं के पारिवारिक रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। आम आदमी पार्टी के संस्थापक शांतिभूषण ने आप के खेमे में अशांति पैदा की है। पिता शांति भूषण का बयान बेटे प्रशांत भूषण की सियासी रणनीति पर असर डाल रहा है। वहीं, बीजेपी के दिग्गज नेता और पांच बार के विधायक रह चुके जगदीश मुखी को उन्हीं के दामाद सुरेश कुमार चुनौती दे रहे हैं।

अब हालिया चुनौती बीजेपी के छतरपुर विधानसभा से तीन बार के विधायक रहे और दिग्गज गुज्जर नेता ब्रह्म सिंह तंवर को अपने छोटे भाई से मिली है। ब्रह्म सिंह तंवर अपने पुराने रणनीतिकारों के साथ नई सियासी चुनौती पर विचार कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैंने हाथ पकड़कर उसे सियासत करना सिखाया अब राजनीतिक महात्वाकांक्षा इतनी बढ़ गई है कि मुझे ही चुनौती दे रहा है। हालांकि पिछले चुनाव में उसने कांग्रेसी प्रत्याशी के साथ मिलकर चुनाव हराने की नाकाम कोशिश की थी। इतना कहकर वो मुंह फेर लेते हैं।

वहीं, ब्रह्म सिह तंवर के सियासी गढ़ में सेंध लगाने की फिराक में करतार सिंह तंवर बेफिक्र नजर आते हैं। वह बीजेपी के दो बार से पार्षद हैं। आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी और परिवार त्याग कर जी जान से ब्रह्म सिंह तंवर के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

करतार सिंह कहते हैं कि मैं किसी का दामन पकड़कर राजनीति में नहीं आया। समाज सेवा करते हुए मैंने राजनीतिक जीवन अपनाया। बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने पर वे कहते हैं कि केजरीवाल ही वो शख्स हैं जो भ्रष्टाचार से निजात दिला सकते हैं, इसी के चलते पार्टी ज्वाइन करने का इरादा बनाया।

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