विज्ञापन
This Article is From Mar 04, 2012

मायावती के नाम एक और कीर्तिमान

लखनऊ: दोबारा वापसी होगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा, मगर मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी चौथी पारी में किसी भी विधानसभा के पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री के पद पर आरूढ़ रहकर एक ऐसा कीर्तिमान कायम कर दिया है, जो निकट भविष्य में अटूट सा लगता है। हालांकि लगातार पांच साल अथवा इससे अधिक समय तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का कीर्तिमान वर्ष 1954 में मुख्यमंत्री बने सम्पूर्णानंद के नाम है, जो दिसम्बर, 54 से लेकर दिसम्बर, 1960 तक लगातार छह साल मुख्यमंत्री रहे, मगर उनका कार्यकाल दूसरी और तीसरी- दो विधानसभाओं के कार्यकाल में बंटा हुआ था।

मायावती के नाम एक और कीर्तिमान है और वह यह, कि प्रदेश के इतिहास में चार बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने वाली वह पहली नेता हैं। मायावती पहली बार जून, 1995 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा एवं अन्य दलों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं और तब उनका कार्यकाल महज चार महीने का था। वह दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं और तब उनकी पार्टी बसपा का भाजपा के साथ गठबंधन था।

मायावती के बाद सबसे ज्यादा तीन-तीन बार राज्य का मुख्यमंत्री बनने का अवसर चन्द्रभान गुप्त (1962, 1967 और 1969), नारायणदत्त तिवारी (1976, 1984 और 1988) और मुलायम सिंह यादव (1989, 1993 और 2003) को मिला, मगर इनमें से कोई भी किसी भी विधानसभा के पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री नहीं रहा।

प्रदेश के इतिहास में पहली बार कोई गैर-कांग्रेसी सरकार 1967 में बनी थी, जब चौधरी चरण सिंह ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्रांति दल का गठन करके तत्कालीन जनसंघ (अब भाजपा) के साथ ‘संयुक्त विधायक दल’ सरकार का गठन किया था। संविद सरकार लगभग एक साल तक वजूद में रही। 1970 में चरण सिंह ने दूसरी गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया, मगर वह महज नौ महीने तक ही सत्ता में रही और उसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

प्रदेश में 1977 से 80 तक जनता पार्टी की सरकार रही और पहले रामनरेश यादव और फिर बाबू बनारसी दास उस सरकार में मुख्यमंत्री रहे। सूबे में 1989 में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता से बाहर हुई और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी, जो 1991 तक अस्तित्व में रही। मुलायम सिंह के बाद कल्याण सिंह ने 1991 से 6 दिसम्बर, 1992 तक भाजपा और फिर सितम्बर, 1997 में भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, मगर बसपा के समर्थन वापस ले लेने के बाद उन्हें अपनी सरकार बचाए रखने के लिए बसपा और कांग्रेस से टूटकर वजूद में आए जन बसपा और लोकतांत्रिक कांग्रेस से गठबंधन करना पड़ा। उनके बाद उस सरकार का नेतृत्व रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह ने किया।

बहरहाल, उसके बाद 2002 में मायावती के नेतृत्व में बसपा-भाजपा और 2003 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी एवं सहयोगी दलों की सरकार बनी। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा 403 विधानसभा सीटों में से 206 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई और पार्टी प्रमुख मायावती चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं तथा विधानसभा के पूरे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बनी रहीं।

प्रदेश के इतिहास में 1952 से लेकर 2007 तक 15 विधानसभाओं का गठन हुआ और प्रदेश में कुल 33 मुख्यमंत्री बने, जिनमें मायावती चार बार, चन्द्रभानु गुप्ता, नारायण दत्त तिवारी और मुलायम सिंह तीन-तीन बार, संपूर्णानन्द, चौधरी चरण सिंह, हेमवती नन्दन बहुगुणा और कल्याण सिंह दो-दो बार मुख्यमंत्री रहे।

इनके अलावा प्रदेश में गोविन्द बल्लभ पंत (1952 से 54), सुचेता कृपलानी (1963 से 1967), टीएन सिंह 18 अक्टूबर, 1971 से 3 अप्रैल, 1971 (छह महीने से भी कम), कमलापति त्रिपाठी (अप्रैल 71 से जून 73), रामनरेश यादव (1977 से 1979), बनारसी दास गुप्ता (1979 से 1980), विश्वनाथ प्रताप सिंह (1980 से 1982), श्रीपति मिश्र (1982 से 1984), वीरबहादुर सिंह (1985 से 1988), रामप्रकाश गुप्ता (1999 से 2000) और राजनाथ सिंह (2000 से 2002) एक-एक बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com