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This Article is From Dec 06, 2013

देर तक चली वोटिंग से 'आप' चिंतित

देर तक चली वोटिंग से 'आप' चिंतित
नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि दिल्ली में पांच बजे के बाद हुई वोटिंग से उनकी पार्टी चिंतित है। पढ़िए पूरी बातचीत...

मनोरंजन भारती− दिल्ली की जनता ने अपने निर्णय को बक्से में बंद कर दिया है। अब सबकी निगाहें है आप पर… जी हां... आम आदमी पार्टी ने क्या किया है क्योंकि जो त्रिकोणीय मुकाबला होता है उसे कहना मुश्किल होता है हांलाकि मुझे इनके सामने यह सब बात कहना ठीक नही लगता… क्योंकि यह बहुत पुराने विश्लेषक रहे हैं चुनाव के लिए… सर आपकी लोक नीति क्या कह रही है…?

योगेंद्र यादव− आप ठीक कह रहे हैं त्रिकोणीय मुकाबले में बहुत कठिन है कहना और जिन बेचारों को भविष्यवाणी करनी पड़ रही है… उन्हें मैं सहानभूति का कार्ड भेज सकता हूं कि आपकी हालत ख़राब है… देखिए हमें लग रहा था चुनाव से 72 घंटे पहले कि हम बिलकुल स्पष्ट रूप से नंबर 1 हैं…। हमारे पास सर्वे थे जो दिखा रहे थे कि हम दूसरों से आगे हैं… उसके बाद जो एग्ज़िट पोल के परिणाम हैं ये उसके अनुरूप नहीं है…। अब इस वक्त झगड़ा करना और यह कहना कि यह अकेले गलत है… मिथ्या है और इसका कोई मतलब नही है…। उन्होंने जरूर कुछ पाया होगा जिसके अनुसार वे बोल रहे हैं ये संभव है कि एग्ज़िट पोल के आंकड़े उतने करेक्टली नहीं नाप रहे हों... ऐसा पहले भी हुआ है, कोई नई बात नही है… लेकिन यह भी संभव है कि आखिरी 72 घंटे में हमेम नुकसान हुआ हो… दो चीजें मुझे समझ आती है... पहली चीज तो यह कि जब भी कोई नई पार्टी आती है तो उसके बारे में लोगों को बाकी सब चीजों का भरोसा होता है… लेकिन उन्हें यह नहीं लगता कि क्या उनकी सरकार बनेगी… ये हमारे साथ हमेशा आखिर तक संकट था हमारे पोल्स भी दिखा रहे थे…।

मनोरंजन भारती− तो क्या आपने कोशिश की, जब रेडियो पर आपने बोला तो आपने यह बताने की कोशिश की...

योगेंद्र यादव− रेडियो पर बोला इसलिए हमने अपने सर्वेक्षणों को जाहिर किया क्योंकि हमारे सर्वेक्षण दोनों चीज दिखा रहे थे कि 36 फीसदी लोग हमें वोट देना चाहते थे। अगर उन्हीं लोगों में से पूछा जाए कि सरकार किसकी बनेगी तो 25 फीसदी मानने को तैयार थे कि हमारी सरकार बन जाएगी…। हमने रेडियो पर कहा… टेलीफोन में कहा… सर्वेक्षण को जाहिर किया कि केवल अपने वोटर को बताने के लिए कि तुम चिन्ता न करो हमारी सरकार बन सकती है लेकिन उनके मन में संदेह बना रहा और हो सकता है कि उनके संदेह के चलते अंतिम क्षण में हमारे कुछ वोट गिरे और कई लोगों ने सोचा होगा कि चलो बीजेपी के कई तमाम दोष होंगे लेकिन शायद सरकार इनकी बन सकती है। ये संभव है। दूसरी चीज यह कि आखिरी में बूथ मैनेजमेंट की जो तकनीक है और तिकड़म मतलब प्रॉपर लीगल तकनीक और तिकड़म तो आप जानते है… इन दोनों में हम कच्चे थे। इसमें हम कांग्रेस, बीजेपी से मुकाबला नहीं कर सके। हो सकता है कि इन दोनों को धक्का लगा हो पर अभी यह कहना संभव नही है क्योंकि यह जो नजदीकी मुकाबला है... आप सीटों की बाते छोड़ दीजिए... एग्ज़िट पोल जो वोट दिखा रहे है इनमें 3−4 फीसदी का तो फर्क है।

मनोरंजन भारती− दूसरी चीज यह जो कि मैं ध्यान में लाना चाहता हूं... जो आंकड़े आए है वोटिंग के एक दिन बाद 18 सीट ऐसी हैं जहां 5 बजे के बाद तीन फीसदी से ज़्यादा मतदान हुआ है तो ऐसे में यह एग्ज़िट पोल क्या करेगा…?

योगेंद्र यादव− कुछ एग्ज़िट पोल ने तो शाम 7−8 बजे के आंकड़े भी अकाउंट में लेकर अपने आंकड़े रिलीज़ किए है तो वो हो सकता है करेंगे… सच कहूं तो मैं शाम 5 बजे के बाद जो आकंड़े हैं उनसे चिंतित हूं। कुछ साथी तो बहुत उत्साह दे रहे हैं। मेरा मन नहीं मानता क्योंकि हमारे लोगों को यह तकनीक आती ही नहीं है कि 5 बजे के बाद वोट दिलवा देना... ये किसने दिलवाया है... ये तो उन्हें जिन्हें चुनाव के तिकड़म आते हैं। आखिर में कैसे हज़ारों−सैकड़ों लोगों को लाया जाए... यह भी सुना है कि आखिर में बोली लगी वोटों की कि कितने रुपये मिलेंगे... किसपर... ये सब संभव है लेकिन मनोरंजन भाई आप मुझे काफी समय से जानते रहे हैं... देखिए हम लोग यहां आए किस लिए थे… जिस दिन पहले पार्टी शुरू हुई आप वहां थे... मैंने कहा था पहला चुनाव हारने को दूसरा चुनाव हराने को और तीसरा जीतने को… पिछले महीनेभर में यह उम्मीद लग गई थी कि हम तीनों चैलेंज एक बार में लगा लेंगे... हो सकता है कि तीनों न हों पर दो चैलेंज लगा लेंगे… लेकिन पहली बार देश की राजनीति में किसी ने एक नंबर के पैसे से चुनाव लड़ा। पहली बार पेड वर्कर्स ने नहीं शुद्ध कार्यकर्ताओं से चुनाव लड़ा… इतने आदशर्वादी युवा−युवती देशभर से आए राजनीति में आस्था बनी किसी पार्टी ने मैनीफेस्टो में 70 इश्यू किए बाकि पार्टियों में दबाव पड़ा कि वे एक दो अच्छे लोग पार्टी में लाएं…।

मनोरंजन भारती− अपने मैनिफिस्टो की बात कही... कल में संदीप दीक्षित से बात कर रहा था तो उन्होंने कहा कि आपने भावनाओ पर चुनाव लड़ा है लेकिन जो प्रॉमिस आपने किए वो पूरा नहीं कर सकते हैं। ये आप जानते हैं। ये आरोप हैं। क्या आप मानते हैं बाकी आपके साथी तो राजनीति को इतने करीब से नहीं देखते हैं लेकिन जितना आपने देखा है सेफॉलॉजी के बहाने ही तो आपको लगता है कि ये पूरा किए जा सकते हैं…?

योगेंद्र यादव− बहुत मेहनत कर के रिसर्च कर के एक−एक चीज बनाई है कि हमारे एक बिन्दु पर विस्तार से कैसे हम लोग उसको लागू करेंगे उस में एक−एक दिल्ली की व्यवस्था में क्या दिक्कत है उसके बारे में तो कठिन है लेकिन असम्भव नहीं है कठिन काम करने के लिए ही तो हम राजनीति में आए हैं यदि सरल होता तो क्यूं आते…

मनोरंजन भारती− यदि हंग होती हैं तो क्या आप बाहर बैठेंगे... किसी को सपोर्ट देंगे... किसी से सपोर्ट मांगेंगे... क्या करेंगे?

योगेंद्र यादव− हमने तो पहले दिन से ही कहा है मनोरंजन भाई कि हमें जो वोट आ रहा है वो एंटी कांग्रेस नहीं आ रहा केवल एंटी बीजेपी नही आ रहा… हमें जो वोट आ रहा है वो वो है जो कांग्रेस, बीजेपी दोनों से परेशान हैं। इस देश की पॉलिटिकल स्टेबलिशमेंट से परेशान हैं, मुख्य धारा है उससे परेशान हैं। तो हमारा वोटर यह नहीं कह रहा है कि जाओ वोट ले लो जाकर या किसी से भी हाथ मिला लेना… हमारा वोटर कह रहा है कि जैसे वोटों की राजनीति चल रही है उसे बदलो… अगर हम हाथ मिला लेते हैं किसी भी बहाने से तो यह न्याय नहीं होगा। इसलिए हमने शुरू से कहा है कि ना समर्थन देंगे, न समर्थन लेंगे। जनता अगर हमें आदेश देती है सत्ता में जाने का तो वादा पूरा करेंगे अगर जनता चाहेगी की हम सरकार न बनाएं तो हम बाहर बैठेंगे।

मनोरंजन भारती− एक चीज पर आपसे प्रतिक्रिया जरूर लूंगा... अरविंद जी ने कहा था कि हम सरकार जरूर बनाएंगे और रामलीला में विधान सभा की बैठक करेंगे।

योगेंद्र यादव− पता नहीं क्यों लोग ऐसे हो गए हैं। आपको याद होगा कि एक जमाना था जो सारे शपथ जो है वो राज भवन में होते थे उसके बाद मैदान में होनी शुरू हो गई…। ऐसा नहीं है कि विधानसभा की बैठक रामलीला में होगी और जनता उसमें बोलेंगे... ऐसा थोड़े ही न होगा….दर्शक दीर्घा होती है। दर्शक दीर्घा में 200 लोग होते हैं, 2000 होते हैं, तो कभी 20000 होते हैं… तो ये कहीं नहीं लिखा हुआ है… उस दिन के लिए दर्शक दीर्घा को हम 50000 कर देंगे लेकिन बोलेंगे तो वही 70 एमएलए… उसके बकायदा नियम हैं वो नियम देख चुके हैं नियम के तहत कहीं भी हो सकती है लेकिन वो जो परिसर है वो स्पीकर के कंट्रोल में होना चाहिए और इन 70 लोगों के कार्य में बाधा नही पड़नी चाहिए।

मनोरंजन भारती− आपका पहला कदम तो काफी उत्साहजनक रहा। काफी सपोर्ट भी मिला। भीड़ हुई। अब यहां के बाद आम आदमी पार्टी का दूसरा स्टेप क्या है?  

योगेंद्र यादव− एक बात तय है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली की क्षेत्रीय पार्टी नहीं है। हमारे पास चार राज्यों में समर्थन हासिल था। चारों राज्यों में इकाइयां थीं। कार्यकर्ता थे… हमने यह तय किया कि हम दिल्ली में पहला कदम उठाएंगे। उसके बाद पूरा देश आज हमारे 300 से अधिक इकाइयां हैं। 22 राज्यों में हमारी इकाइयां बन चुकीं है और वो सब कार्यकर्ता यहां आए। अब हमें अगला कदम उठाना है। लोकसभा चुनाव बहुत जल्द हैं। मेरा बस चले तो चुनाव 2016 में हो 2015 में हो लेकिन चुनाव आयोग मेरी बात क्यों मानेगा… तो लोकसभा चुनाव आ रहा है उसमें हमारी कोशिश होगी कि देश का यह दुर्भाग्य न बने की नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी में किसी एक को चुनना पड़े। एक तीसरा विकल्प आए इस देश में 20 सालों में जो तीसरे विकल्प का विस्तार हुआ है और तीसरे मोर्चे का खंडन हुआ है वहां आम आदमी पार्टी की जगह है राजनीति की जमीन पर तीसरी शक्ति खड़ी करेगी… दिल्ली एक पड़ाव है उसके बाद पूरा देश है।

मनोरंजन भारती− योगेंद्र जी आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा… आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं…

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