यह है मुंबई का देसी हवाई अड्डा, जहां लोग एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या एआई 888 का इंतज़ार कर रहे हैं। पहले फ्लाइट को 7 बजे उड़ना था, लेकिन दो घंटे की देरी थी। अचानक केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर दिखे। सभी यात्रियों को उम्मीद जगी कि अब तो अच्छे से ख्याल रखा जाएगा, क्योंकि मंत्री जी सपरिवार सफर कर रहे हैं। फ्लाइट 9 बजे उड़ेगी, यह ऐलान भी कर दिया गया, लेकिन मंत्री जी ने वीआईपी की तरह व्यवहार नहीं किया। वह पत्नी समेत आखिर में विमान में चढ़े। 9 बजे प्लेन तैयार था। परिचारिका सुरक्षा संबंधी जानकारियां और डेमो दे रही थीं। सबने अपने मोबाइल बंद कर लिए। खुद मंत्री जी भी तैयार हो गये थे। अपने पीए को बता दिया कि कैसे दिल्ली एयरपोर्ट पर आकर मिलना है।
9 बजकर 15 मिनट हो रहे थे। पहली हलचल दिखाई दी। मंत्री जी उठे, यह जानने के लिए कि कितनी देर है उड़ने में। परिचारिका ने जवाब दिया, "सर, पायलट का इंतजार है..." मंत्री जी ने पूछा, कब आएंगे...?, परिचारिका का वही जवाब था। मंत्री जी बेचैन होने लगे, थोड़ी ही देर में मंत्री जी और उनके पीए के सब्र का बांध टूटने लगा। फोन लगाकर पूछा गया कि आखिर फ्लाइट उड़ क्यों नहीं रही है। साढ़े नौ बजे पहली बार साफ हुआ कि पायलट उपलब्ध नहीं है, इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भेजा जा रहा है।
अब सवा दस बज चुके थे। मंत्री जी दो बार अपने पीए को इस फ्लाइट में बुक करने के लिए कोस चुके थे। पूछ चुके थे कि क्या जेट की फ्लाइट नहीं मिल सकती थी, मंत्री जी भी बार-बार पूछकर थक चुके थे। फ्लाइट में डेढ़ घंटे तक मंत्री फंसे रहे। पीछे बैठी जनता आधी सोई, आधी जागी बैठी हुई थी, बिना किसी प्रतिक्रिया के, शायद यह सोचकर कि मंत्री जी को तो इंसाफ मिलेगा ही।
फ्लाइट में कैप्टन अभिजीत जेडे सीधे कॉकपिट में पहुंचे... आते ही माफी मांगी, बताया कि वह सीधे अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट को उतारकर यहां आए हैं। देरी के लिए माफी मांगी और करीब 12 बजे फ्लाइट दिल्ली में उतर गई।
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