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This Article is From May 10, 2017

ये हैं भावना, कुदरत ने छीना हाथ तो पैरों से करने लगीं सारे काम

जन्म से ही विकलांग होने के कारण भावना कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, पर उसने हार नहीं मानी. परेशानियों से लड़ते हुए उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी. अब वह कक्षा 6 में पहुंच गई है.

ये हैं भावना, कुदरत ने छीना हाथ तो पैरों से करने लगीं सारे काम
छत्तीसगढ़ की भावना विकलांग लोगों के सामने मिसाल पेश कर रही हैं.
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भावना नामक विकलांग लड़की के नहीं हैं हाथ
पैरों से करती है सारे काम, रिश्तेदार के यहां रहकर कर रही पढ़ाई
छठी क्लास में पहुंची भावना, कमजोरी को पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया
कोंडागांव: कहते हैं, हौसला बुलंद हो तो सबकुछ आसान हो जाता है. ऐसा ही फरसगांव में अपने एक रिश्तेदार के यहां रहकर पढ़ाई करने आई भावना साहू ने कर दिखाया है. जन्म से ही विकलांग होने के कारण उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, पर उसने हार नहीं मानी. परेशानियों से लड़ते हुए उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी. अब वह कक्षा 6 में पहुंच गई है.

फरसगांव के सरस्वती शिशु मंदिर की छात्रा भावना के माता-पिता गरीब हैं. गरीब परिवार से होने के कारण भावना का इलाज समय रहते नहीं हो पाया. उसके दोनों हाथों ने काम करना पूरी तरह से ही बंद कर दिया. भावना ने अपनी इस कमजोरी को कभी अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया. 

भावना ने बताया कि बड़े होकर वह डॉक्टर बनकर अपने जैसों की सेवा करना चाहती है. जब कुदरत ने हाथ में मजबूती नहीं दी, तो उसने अपने पैरों को अपना हाथ बना लिया. वह अब इन्हीं के सहारे अपने दैनिक जीवन के हर कार्य करने के साथ ही पैरों के सहारे ही पढ़ने-लिखने के साथ भोजन भी करती है. 

भावना के माता-पिता कुली-मजदूरी कर दो वक्त का भोजन जुटा पाते हैं. ऐसे में तीन बच्चों का पालन-पोषण, उन्हें अच्छी तालीम दिला पाना उनके वश की बात नहीं थी. भावना के पढ़ने-लिखने की ललक को देखते हुए फरसगांव में रहने वाली बुआ भावना को अपने पास ले आई और उसका दाखिला नगर के अच्छे स्कूल में करवा दिया.


(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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