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This Article is From Apr 01, 2017

मंगल ग्रह के वायुमंडल के रहस्य पर से जल्द उठेगा पर्दा, वैज्ञानिकों ने बढ़ाए कदम

मंगल ग्रह के वायुमंडल के रहस्य पर से जल्द उठेगा पर्दा, वैज्ञानिकों ने बढ़ाए कदम
मंगल पर जीवन पनपने में बाधा आई और यह ग्रह एक बंजर रेगिस्तान में बदल गया. तस्वीर: प्रतीकात्मक
वाशिंगटन: अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नए निष्कर्षो ने खुलासा किया है कि सौर वायु और विकिरण मंगल ग्रह पर जीवन अनुकूल वातावरण को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार हैं,
जिसके कारण अरबों साल पहले मंगल पर जीवन पनपने में बाधा आई और यह ग्रह एक बंजर रेगिस्तान में बदल गया. अमेरिका के कोलोराडो के बाउलडर में स्थित यूनिवर्सिटी
ऑफ कोलोराडो के मार्स एटमॉसफेयर एंड वोलेटाइल इवॉल्यूशन मिशन (एमएवीईएन) के मुख्य अन्वेषक ब्रूस जैकोस्की ने कहा, "हमने निष्कर्षो के आधार पर निर्धारित किया है
कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में कभी मौजूद रहीं अधिकांश गैसें अंतरिक्ष में लुप्त हो चुकी हैं."  निष्कर्ष बताते हैं कि मंगल के वातावरण में मौजूद रही लगभग 65 प्रतिशत आर्गन
(पृथ्वी के वायुमंडल में तीसरी सबसे प्रचुर मात्रा की महत्वपूर्ण ) गैस अंतरिक्ष में लुप्त हो चुकी है. 

उन्होंने कहा, "हमने पाया कि ग्रह की अधिकांश कार्बन डाईऑक्साइड गैस भी छोटे-छोटे विस्फोटों के द्वारा अंतरिक्ष में लुप्त हो चुकी है." 

जीवन के लिए आवश्यक तरल पानी आज मंगल की सतह पर स्थिर नहीं है, क्योंकि यहां वातावरण बहुत ठंडा और कमजोर है.

एमएवीईएन कार्यक्रम के वैज्ञानिक एलसाइड तालात ने साइंस पत्रिका में कहा, "यह खोज मंगल ग्रह के वायुमंडल के रहस्य को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
है." 

वैज्ञानिकों के दल ने एमएवीईएन के न्यूट्रल गैस एंड आयन मास स्पेक्ट्रोमीटर (एनजीआईएमएस) द्वारा एकत्र मंगल के ऊपरी वायुमंडल के डेटा का उपयोग करते हुए यह
निष्कर्ष निकाला है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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