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This Article is From May 02, 2017

अनोखी मशीन का आविष्कार, जो सूंघकर बताएगा बीमारी का नाम

अनोखी मशीन का आविष्कार, जो सूंघकर बताएगा बीमारी का नाम
यूनानी और चीनी चिकित्सक भी सूंघकर रोग को पहचान लेते हैं. तस्वीर: प्रतीकात्मक
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
वैज्ञानिक एक खास किस्म के मशीन के आविष्कार में जुटे
यह मशीन सूंघकर बताएगा मरीज को है कौन सी बीमारी
उदाहरण के लिए मधुमेह रोगियों की सांस सड़े हुए सेब जैसी आती है
नई दिल्ली: नब्ज से बीमारी का पता लगाने की बात तो सभी जानते हैं, लेकिन जल्द ही सूंघकर रोक के बारे में बताने वाले मशीन का आविष्कार किया जा रहा है. इस मशीन के आविष्कार में जुटे वैज्ञानिकों का कहना है कि सांस, ब्लड और यूरीन से रोग पहचान लेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि हम सभी की एक यूनीक स्मेल होती है जो हजारों कार्बनिक यौगिक से मिलकर बनती है. इस महक से हमारी उम्र, जेनटिक, लाइफस्टाइल, होमटाउन और यहां तक की हमारे मेटाबॉलिक प्रोसेस के बारे में भी पता चलता है. 

पहले भी पहचाना जाता था सूंघकर रोग

यूनानी और चीनी चिकित्सक भी सूंघकर रोग को पहचान लेते हैं. अब उसी तकनीक को वैज्ञानिक फिर से प्रयोग में लाने तैयारी में हैं. इस तकनीक के तहत त्वचा और सांस की गंध बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. उदाहरण के तौर पर वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमेह रोगियों की सांस सड़े हुए सेब जैसी आती है. टाइफाइड रोगियों की त्वचा बेकिंग ब्रेड जैसी गंध देती हैं.

सूंघकर पार्किसंस का मरीज पहचानती है यह महिला

मालूम हो कि करीब दो साल पहले ऑस्ट्रेलिया के पर्थ की एक महिला ने सूंघकर ही पार्किंसंस बीमारी का पता लगाने का दावा किया था.  इसके बाद डॉक्टरों को इस लाइलाज बीमारी का ठीक-ठीक पता लगा पाने की उम्मीद जगी थी. पर्थ में रहने वाली जॉय मिलने के पति लेस की पार्किसंस बीमारी से 65 की उम्र में मौत हुई थी. उन्हें 45 साल की उम्र में यह बीमारी हुई थी. ब्रिटेन में हर पांच सौ लोगों में से एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है. पूरे ब्रिटेन में पार्किसंस के एक लाख 27 हज़ार मरीज हैं. इस बीमारी में रोगी को चलने, बोलने और सोने में खासी दिक्कत होती है.

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