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This Article is From Sep 13, 2012

यूनिसेफ़ की नई रिपोर्ट ने भारत की बदहाली की कुछ और कलई खोली

यूनिसेफ़ की नई रिपोर्ट ने भारत की बदहाली की कुछ और कलई खोली
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
इस साल अब तक 287 लोग सिर्फ गोरखपुर में ही दिमागी बुखार के कारण अपनी जान गवां चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी तादाद बच्चों की है।
वीटी: यूनिसेफ की रिपोर्ट बता रही है कि इस साल अब तक 287 लोग सिर्फ गोरखपुर में ही दिमागी बुखार के कारण अपनी जान गवां चुके हैं। इनमें सबसे बड़ी तादाद बच्चों की है। ये इत्तेफाक नहीं हिदुस्तान का एक कड़वा सच भी है।

उस भूखे−बीमार हिंदुस्तान का जिसकी कहानी अक्सर शहरी चमक−दमक में भुला दी जाती है। हाल ही में न्यूयार्क में जारी हुई यूनिसेफ की चाइल्ड मोर्टालिटी एस्टीमेट्स रिपोर्ट 2012 के मुताबिक बच्चों की मृत्यु के लिहाज से भारत का रिकॉर्ड नाइजीरिया ,इथियोपिया और कांगो जैसे देशों से भी बुरा है। ये रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में बच्चों की होने वाली मौतों के आधे से ज्यादा मामले सिर्फ पांच देशों में आते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 मरने वाले पांच देशो के बच्चे की है। सबसे ज्यादा 15.5 लाख बच्चों की मौत भारत में हुई।
दूसरे नंबर पर नाइजीरिया है लेकिन, वहां मरने वाले बच्चों की तादाद भारत के मुक़ाबले आधी यानी 7.56 लाख है। तीसरे नंबर पर कांगो है, जहां 4.65 लाख बच्चों ने बीते साल पांच साल से कम उम्र में दम तोड़ दिया। चौथे नंबर पर पाकिस्तान है जहां, 3.52 लाख बच्चे बीते साल मारे गए। पांचवें नंबर पर चीन है जहां, 2.49 लाख बच्चों की मौत हुई।

इस मामले में इथियोपिया, अफगानिस्तान और बांग्लादेश का रिकॉर्ड कहीं बेहतर है, जहां दो लाख और डेढ़ लाख से कम मौतें दर्ज हुई हैं। इनमें से एक−तिहाई मौतें कुपोषण का नतीजा हैं। दरअसल, ये लिस्ट बताती है कि विकास में पिछड़े और गरीबी के मारे एशियाई−अफ्रीकी मुल्कों के बच्चे अक्सर इसकी क़ीमत चुकाते हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले और इक्कीसवीं सदी की महाशक्ति बनने का सपना देखने वाले हिदुस्तान को इस हक़ीक़त से आंख मिलानी चाहिए।

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Unicef New Report, Child Malnutrition In India, यूनीसेफ़ की नई रिपोर्ट, चाइल्ड मोर्टलिटी के शिकार भारत