रूस की सीमा पर बाघ-चीता को बसाएगा चीन, जानें क्या है वजह

रूस की सीमा पर बाघ-चीता को बसाएगा चीन, जानें क्या है वजह

चीन रूस से लगी सीमा क्षेत्र में नया नेशनल पार्क बना रहा है. तस्वीर: प्रतीकात्मक

खास बातें

  • चीन 9,012 वर्ग किमी में नेशनल पार्क बना रहा है
  • चीते की दुर्लभ प्रजाति आमुर और साइबेरियाई बाघ होंगे संरक्षित
  • विश्व में सबसे बड़ा 'बिग कैट रिजर्व' कहलाएगा.
बीजिंग:

चीन पड़ोसी देश रूस की सीमा पर चीता और बाघ का आशियाना बनाएगा. योजना के मुताबिक चीन अमेरिका को पीछे छोड़ना चाहता है. यलोस्टोन नेशनल पार्क (अमेरिका) 8,991 वर्ग किमी में फैला है. लेकिन चीन अब उससे भी आगे निकलना चाहता है. वह रूस से लगी सीमा क्षेत्र में नया नेशनल पार्क बना रहा है, जो 9,012 वर्ग किमी में होगा. वहां चीते की दुर्लभ प्रजाति आमुर और साइबेरियाई बाघों को संरक्षित किया जाएगा. ये दोनों ही प्रजाति दुर्लभ श्रेणी में है और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए चीन ने पहली बार ऐसी योजना को हरी झंडी दिखाई है. 

इसे वहां हरित क्रांति का नया उदाहरण कहा जा रहा है. दो राज्यों (जिलिन और हिलोंगजियांग) के बीच बनने वाला वह पार्क अगले तीन साल में बनकर तैयार होगा. पर्यावरणविदों ने खुशी जताते हुए कहा कि यह अपनी तरह का विश्व में सबसे बड़ा 'बिग कैट रिजर्व' कहलाएगा.

मालूम हो कि भारत और चीन एशिया महादेश में बाघों और चीते के संरक्षण के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच इसके लिए एक संधि भी हुई है. खासकर दोनों देश मिलकर जंगल के राजा के अवैध शिकार पर रोक लगाने के प्रयास में जुटे हैं. 

पूरी दुनिया में लुप्तप्राय प्रजाति दक्षिण चीनी बाघ केवल 131 बचे हैं. चीन के प्राणी शास्त्रियों के अनुसार, इस प्रजाति के सभी बाघ दासता भरा जीवन जी रहे हैं. चाइनीज एसोसिएशन ऑफ जूलॉजिकल गार्डन्स के उप सचिव-प्रमुख वांग जिनजुन ने बुधवार को कहा कि पिछले 30 वर्षो से अधिक समय में भी जंगल में एक भी दक्षिण चीनी बाघ नहीं दिखाई दिया है.

एक प्रजाति का कोई सदस्य अगर 50 वर्षो में एक बार भी जंगल में नहीं दिखाई देता है, तो उस प्रजाति को दुर्लभ या लुप्तप्राय घोषित कर दिया जाता है. वांग ने कहा कि दक्षिण चीनी बाघ चीन का देसी बाघ है और यह अपनी जान बचाने की वजह से यदा-कदा ही दिखाई पड़ता है.


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