बीजिंग:
चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया प्रोटीन विकसित करने का दावा किया है जो कि कोकीन की लत को छुड़ाने और लगाने वाले एक ‘स्विच’ की तरह काम कर सकता है।
कोकीन डोपामाइन का स्तर बढ़ाकर मस्तिष्क को प्रभावित करती है। डोपामाइन मस्तिष्क संबंधी एक ऐसा ट्रांसमीटर है, जो कि मस्तिष्क के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। इन भूमिकाओं में सम्मान एवं आनंद की अनुभूति भी शामिल है।
कोकीन उन प्रोटीनों पर रोक लगाती है, जो कि डोपामाइन को पुन: अवशोषित कर लेते हैं। इससे डोपामाइन पैदा होता जाता है और व्यक्ति को ‘उच्चतम’स्तर पर आनंद की अनुभूति होती है।
चाइनीज अकादमी ऑफ साइंसेज के तहत आने वाले शंघाई इंस्टीट्यूट्स फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज के एक दल के प्रमुख शोधकर्ता झोउ जियावेई ने कहा कि लत लगने के दौरान डोपामाइन ट्रांसपोर्टर (डीएटी) नामक प्रोटीन तंत्रिका कोशिका में गति करते हुए कोशिका की सतह पर आ जाता है।
झोउ के हवाले से सरकारी अखबार चाइना डेली ने कहा, हमने पाया कि मस्तिष्क में डीएटी की स्थिति ही प्रमुख अंतर पैदा करती है। उन्होंने कहा, उलट स्थिति में यह स्थानांतरण नहीं होगा और इस तरह से लत बढ़ने पर रोक लगाई जा सकती है। शोध दल का मानना है कि लत पर रोक लगाने की कुंजी वीएवी2 नामक छोटे से प्रोटीन में छिपी है, जो कि डीएटी के स्थानांतरण का नियमन करते हुए एक आणविक स्विच की तरह काम करता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वीएवी2 की इस भूमिका की खोज का इस्तेमाल कोकीन के आदी लोगों को सुधारने के प्रयासों में किया जा सकता है। दूसरे किस्म के नशीले पदार्थों के आदी लोगों को सुधारने के लिए अलग उपाय करने होंगे। इस खोज से जुड़ा शोधपत्र सात जुलाई को न्यूयार्क के जर्नल नेचर न्यूरोसाइंस की वेबसाइट पर छपा था।
कोकीन डोपामाइन का स्तर बढ़ाकर मस्तिष्क को प्रभावित करती है। डोपामाइन मस्तिष्क संबंधी एक ऐसा ट्रांसमीटर है, जो कि मस्तिष्क के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। इन भूमिकाओं में सम्मान एवं आनंद की अनुभूति भी शामिल है।
कोकीन उन प्रोटीनों पर रोक लगाती है, जो कि डोपामाइन को पुन: अवशोषित कर लेते हैं। इससे डोपामाइन पैदा होता जाता है और व्यक्ति को ‘उच्चतम’स्तर पर आनंद की अनुभूति होती है।
चाइनीज अकादमी ऑफ साइंसेज के तहत आने वाले शंघाई इंस्टीट्यूट्स फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज के एक दल के प्रमुख शोधकर्ता झोउ जियावेई ने कहा कि लत लगने के दौरान डोपामाइन ट्रांसपोर्टर (डीएटी) नामक प्रोटीन तंत्रिका कोशिका में गति करते हुए कोशिका की सतह पर आ जाता है।
झोउ के हवाले से सरकारी अखबार चाइना डेली ने कहा, हमने पाया कि मस्तिष्क में डीएटी की स्थिति ही प्रमुख अंतर पैदा करती है। उन्होंने कहा, उलट स्थिति में यह स्थानांतरण नहीं होगा और इस तरह से लत बढ़ने पर रोक लगाई जा सकती है। शोध दल का मानना है कि लत पर रोक लगाने की कुंजी वीएवी2 नामक छोटे से प्रोटीन में छिपी है, जो कि डीएटी के स्थानांतरण का नियमन करते हुए एक आणविक स्विच की तरह काम करता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वीएवी2 की इस भूमिका की खोज का इस्तेमाल कोकीन के आदी लोगों को सुधारने के प्रयासों में किया जा सकता है। दूसरे किस्म के नशीले पदार्थों के आदी लोगों को सुधारने के लिए अलग उपाय करने होंगे। इस खोज से जुड़ा शोधपत्र सात जुलाई को न्यूयार्क के जर्नल नेचर न्यूरोसाइंस की वेबसाइट पर छपा था।
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