लखनऊ:
केंद्र सरकार ने गरीब परिवारों के छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए जहां शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था कर दी है, वहीं उत्तर प्रदेश में बच्चों को 'ब' से 'बम' और 'च' से 'चाकू' बताकर वर्णमाला का ज्ञान कराया जा रहा है। यही नहीं, एक अन्य पुस्तक में राष्ट्रीय ध्वज में इस्तेमाल रंगों का क्रम भी विपरीत रखा गया है।
इन पुस्तकों का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश बोर्ड एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के तहत किया जा रहा है। पुस्तकों में इस तरह की भयंकर गलती देख अभिभावक भी सन्न हैं जबकि शिक्षा अधिकारी मामले को दबाने में जुट गए हैं।
कक्षा आठ के लिए नैतिक शिक्षा की पुस्तक 'न्यू वे ब्लूम' में राष्ट्रीय ध्वज को प्रकाशित किया गया है। प्रकाशित राष्ट्रध्वज के रंग का क्रम ऊपर से नीचे हरा, सफेद एवं केसरिया है। उलटे रंग क्रम वाले राष्ट्रध्वज को प्रकाशित करने की गलती एक जगह नहीं बल्कि कम से कम पांच स्थानों पर हुई है।
ज्ञात हो कि बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करने के लिए इस पुस्तक का प्रकाशन नई दिल्ली स्थित गुरुकुल प्रकाशन ने किया है।
मुरादाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी बाल मुकुंद ने कहा कि यह एक गम्भीर अपराध है और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साझा पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में इस पुस्तक को एक निजी स्कूल में पढ़ाया जा रहा है।
इस बारे में जब प्रकाशकों से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पुस्तक को तत्काल प्रभाव से बाजार से हटा लिया गया है।
गुरुकुल प्रकाशन की कर्मचारी अंकुर जुल्का ने कहा, "हमारी तरफ से यह बहुत बड़ी गलती हुई है।" उन्होंने कहा, "हमने पुस्तक को तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली के उत्तम नगर स्थित बुक जोन को दी थी और छपने के बाद पुस्तक को न देखने की वजह से यह गलती हुई।"
शिक्षा की विषय सामग्री तैयार करने की एक बड़ी गलती नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चों की किताब में भी सामने आई है। कई निजी स्कूलों में बच्चों को 'ब' से 'बम' और 'च' से 'चाकू' बताकर वर्णमाला का ज्ञान कराया जा रहा है। वर्णमाला को बोध कराने वाली इस पुस्तक का नाम 'आलोक शब्द' है।
अभिभावक श्रुति आहुजा ने कहा कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, "कम उम्र वाले इन छोटे बच्चों को कोई यह कैसे पढ़ा सकता है?"
पेशे से शिक्षिका एवं अभिभावक आरती मिश्रा ने कहा, "मैं हैरान हूं कि कैसे ऐसे शब्दों एवं पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।"
सीबीएसई के तहत पढ़ाए जा रहे इस पुस्तक ने बोर्ड के अधिकारियों को भी हैरत में डाल दिया है। बोर्ड ने हालांकि, नकारात्मक मानसिकता, हिंसा एवं घृणा को बढ़ावा देने वाले शब्दों को पुस्तक में शामिल करने का खंडन किया है।
सीबीएसई के शहर समन्वयक जावेद आलम ने कहा कि 32 पन्ने की पुस्तक प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "शब्दों का इस तरह से नकारात्मक इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
इन पुस्तकों का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश बोर्ड एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के तहत किया जा रहा है। पुस्तकों में इस तरह की भयंकर गलती देख अभिभावक भी सन्न हैं जबकि शिक्षा अधिकारी मामले को दबाने में जुट गए हैं।
कक्षा आठ के लिए नैतिक शिक्षा की पुस्तक 'न्यू वे ब्लूम' में राष्ट्रीय ध्वज को प्रकाशित किया गया है। प्रकाशित राष्ट्रध्वज के रंग का क्रम ऊपर से नीचे हरा, सफेद एवं केसरिया है। उलटे रंग क्रम वाले राष्ट्रध्वज को प्रकाशित करने की गलती एक जगह नहीं बल्कि कम से कम पांच स्थानों पर हुई है।
ज्ञात हो कि बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करने के लिए इस पुस्तक का प्रकाशन नई दिल्ली स्थित गुरुकुल प्रकाशन ने किया है।
मुरादाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी बाल मुकुंद ने कहा कि यह एक गम्भीर अपराध है और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश बोर्ड के तहत राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के साझा पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में इस पुस्तक को एक निजी स्कूल में पढ़ाया जा रहा है।
इस बारे में जब प्रकाशकों से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पुस्तक को तत्काल प्रभाव से बाजार से हटा लिया गया है।
गुरुकुल प्रकाशन की कर्मचारी अंकुर जुल्का ने कहा, "हमारी तरफ से यह बहुत बड़ी गलती हुई है।" उन्होंने कहा, "हमने पुस्तक को तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली के उत्तम नगर स्थित बुक जोन को दी थी और छपने के बाद पुस्तक को न देखने की वजह से यह गलती हुई।"
शिक्षा की विषय सामग्री तैयार करने की एक बड़ी गलती नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चों की किताब में भी सामने आई है। कई निजी स्कूलों में बच्चों को 'ब' से 'बम' और 'च' से 'चाकू' बताकर वर्णमाला का ज्ञान कराया जा रहा है। वर्णमाला को बोध कराने वाली इस पुस्तक का नाम 'आलोक शब्द' है।
अभिभावक श्रुति आहुजा ने कहा कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, "कम उम्र वाले इन छोटे बच्चों को कोई यह कैसे पढ़ा सकता है?"
पेशे से शिक्षिका एवं अभिभावक आरती मिश्रा ने कहा, "मैं हैरान हूं कि कैसे ऐसे शब्दों एवं पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।"
सीबीएसई के तहत पढ़ाए जा रहे इस पुस्तक ने बोर्ड के अधिकारियों को भी हैरत में डाल दिया है। बोर्ड ने हालांकि, नकारात्मक मानसिकता, हिंसा एवं घृणा को बढ़ावा देने वाले शब्दों को पुस्तक में शामिल करने का खंडन किया है।
सीबीएसई के शहर समन्वयक जावेद आलम ने कहा कि 32 पन्ने की पुस्तक प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "शब्दों का इस तरह से नकारात्मक इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
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