जीका से लड़ने को 6 नए एंटीबॉडी विकसित
नई दिल्ली:
पिछले कुछ महीनों में राजस्थान और बिहार के कई जगहों पर जीका वायरस का आतंक देखा गया. जयपुर में 22 से ज्यादा लोगों में जीका वायरस का संक्रमण पाया गया था. अभी तक इस वायरस का कोई टीका नहीं था और न ही कोई उपचार. इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल (एसिटामिनोफेन) दी जा रही थी. लेकिन एक भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सक के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने छह जीका वायरस एंटीबॉडी विकसित कर लिये हैं. जो मच्छर से पैदा होने वाली बीमारी के इलाज में मददगार हो सकते हैं. जीका से पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर के 15 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.
शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक रवि दुर्वासुला ने कहा, "एंटीबॉडी दो तरह से उपयोगी हो सकता है, पहला तो इसमें जीका वायरस संक्रमण को पहचानने की क्षमता है और दूसरा कि यह आगे चलकर संक्रमण के इलाज के लिए भी उपयोगी हो सकता है."
यहां जानिए जीका वायरस के लक्षणों से बचाव तक के बारे में सब कुछ
उन्होंने कहा कि उत्पादन में किफायती इस एंटीबॉडी को जीका वायरस का पता लगाने के लिए एक साधारण फिल्टर पेपर टेस्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है जो अभी भी मौजूद है. परीक्षण के दौरान अगर फिल्टर पेपर का रंग बदल जाता है तो इसका मतलब जीका का प्रभाव है.
एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाई गई वाई-आकार वाली प्रोटीन है.
इस शोध के लिए रीबोसम डिस्प्ले तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान छह तरह के सिंथेटिक एंटीबॉडी को विकसित किया गया है जो जीका वायरस से जुड़े हैं. गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमित महिला का गर्भपात होने, बच्चा मरा हुआ पैदा होने या फिर जन्मजात माइक्रोसेफली नामक रोग के साथ संतान पैदा होने का खतरा होता है.
शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक रवि दुर्वासुला ने कहा, "एंटीबॉडी दो तरह से उपयोगी हो सकता है, पहला तो इसमें जीका वायरस संक्रमण को पहचानने की क्षमता है और दूसरा कि यह आगे चलकर संक्रमण के इलाज के लिए भी उपयोगी हो सकता है."
यहां जानिए जीका वायरस के लक्षणों से बचाव तक के बारे में सब कुछ
उन्होंने कहा कि उत्पादन में किफायती इस एंटीबॉडी को जीका वायरस का पता लगाने के लिए एक साधारण फिल्टर पेपर टेस्ट में इस्तेमाल किया जा सकता है जो अभी भी मौजूद है. परीक्षण के दौरान अगर फिल्टर पेपर का रंग बदल जाता है तो इसका मतलब जीका का प्रभाव है.
एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाई गई वाई-आकार वाली प्रोटीन है.
इस शोध के लिए रीबोसम डिस्प्ले तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान छह तरह के सिंथेटिक एंटीबॉडी को विकसित किया गया है जो जीका वायरस से जुड़े हैं. गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस से संक्रमित महिला का गर्भपात होने, बच्चा मरा हुआ पैदा होने या फिर जन्मजात माइक्रोसेफली नामक रोग के साथ संतान पैदा होने का खतरा होता है.
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