आतंकी बुरहान वानी के मामले में अमेरिकी सांसदों ने पाक का आड़े हाथ लिया है। (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिकी सांसदों ने कहा है कि प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन समूह के एक कश्मीरी आतंकवादी की हत्या की पाकिस्तान द्वारा निंदा किया जाना आतंकवादी संगठनों को उसके समर्थन का 'निर्विवाद' प्रमाण है।
फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डिमोक्रेसीज के लॉन्ग वार जर्नल के वरिष्ठ संपादक बिल रोजियो ने कहा, 'भारतीयों ने इसी सप्ताहांत एक कश्मीरी आतंकवादी को मारा जो हिजबुल मुजाहिदीन का सदस्य था। यह एक खूंखार आतंकवादी संगठन है। पाकिस्तान ने क्या इस आतंकवादी के मारे जाने की घटना का स्वागत किया? नहीं।'
रोजियो ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान मंगलवार को कहा, 'दरअसल, उन्होंने इसकी निंदा की और उसे कश्मीरी अलगाववादी बताया। यह वह व्यक्ति (बुरहान) था जो युद्ध के लिए ऑनलाइन भर्ती करता था और आतंकवादी हमले करने के लिए युवाओं में जहर घोल रहा था।' उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, 'आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन संबंधी सबूत स्पष्ट हैं।' रोजियो ने कहा कि यह केवल कश्मीर या पाकिस्तान का मामला नहीं है। पाकिस्तान सरकार से सहायता प्राप्त करने वाले कश्मीरी आतंकवादी संगठनों के आधार अफगानिस्तान में है।
उन्होंने कहा, 'मैं समूहों की सूची बना सकता हूं। लश्कर ए तैयबा, हरकत उल मुजाहिदीन, जिनके बारे में विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2014 में कहा था कि वे अफगानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं। ये समूह अमेरिकी जवानों पर हमला कर रहे हैं और उनकी हत्या कर रहे है। मैंने अभी तालिबान, हक्कानी नेटवर्क या मुल्ला नजीर समूह जैसे संगठनों की बात तो की ही नहीं है। ये केवल छोटे समूह हैं।'
रोजियो ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान शानदार तरीके से एक छद्म खेल खेल रहा है। उन्होंने कहा, 'वह अच्छे तालिबान बनाम बुरे तालिबान की बात करते हैं। अच्छा तालिबान हर वह समूह है जिसे पाकिस्तान पसंद करता है और जो समूह पाकिस्तान पर हमला नहीं करता। ये वे समूह हैं जो पाकिस्तानी विदेश नीति को आगे ले जाते है। हक्कानी नेटवर्क, अफगान तालिबान, मुल्ला नजीर समूह.. ।' रोजियो ने कहा, 'और बुरा तालिबान वे समूह हैं जो पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हैं। वे उनमें से हैं जिन पर उत्तरी वजीरिस्तान में शावल घाटी में हमला किया जाता है। जब पाकिस्तानी इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो वे यह दिखाते हैं कि वे हक्कानी नेटवर्क या मुल्ला नजीर समूह या अफगान तालिबान को निशाना बना रहे हैं लेकिन वास्तव में वे ऐसा नहीं करते।'
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने इन अभियानों में मारे गए एक भी बड़े, मध्य स्तर के या निचले स्तर के नेता का नाम नहीं बताया क्योंकि उन्होंने किसी को मारा ही नहीं। उन्होंने किसी को गिरफ्तार नहीं किया। ये सब पाकिस्तानी सरकार के हित में चयनित निशाना बनाए जाने का मामला है।' रोजियो ने कहा कि वे इन समूहों का समर्थन इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत का सामना करने के लिए उनके पास यह सबसे अच्छा अवसर है।
उन्होंने कहा, 'मेरा यह भी मानना है कि सैन्य एवं खुफिया सेवाओं के बड़े तत्वों के भीतर विचारधारा संबंधी पहलू भी हैं। यह भारत में उनकी नीति में मदद करता है और साथ ही उन्हें कट्टरपंथी जिहादियों का समर्थन भी मिलता है।' रोजियो ने कहा, 'यदि पाकिस्तान खुद को नहीं बदलता है तो हमें हमारी गणना को बदलना होगा। मुझे लगता है कि सारी आर्थिक मदद रक जानी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'यदि हम पाकिस्तानी शिक्षा के लिए आर्थिक मदद दे रहे हैं तो वे अपनी बचत राशि का इस्तेमाल पाकिस्तानी आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने में कर सकते हैं। हमें प्रतिबंधों पर विचार करना होगा।'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डिमोक्रेसीज के लॉन्ग वार जर्नल के वरिष्ठ संपादक बिल रोजियो ने कहा, 'भारतीयों ने इसी सप्ताहांत एक कश्मीरी आतंकवादी को मारा जो हिजबुल मुजाहिदीन का सदस्य था। यह एक खूंखार आतंकवादी संगठन है। पाकिस्तान ने क्या इस आतंकवादी के मारे जाने की घटना का स्वागत किया? नहीं।'
रोजियो ने कांग्रेस की सुनवाई के दौरान मंगलवार को कहा, 'दरअसल, उन्होंने इसकी निंदा की और उसे कश्मीरी अलगाववादी बताया। यह वह व्यक्ति (बुरहान) था जो युद्ध के लिए ऑनलाइन भर्ती करता था और आतंकवादी हमले करने के लिए युवाओं में जहर घोल रहा था।' उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, 'आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान के समर्थन संबंधी सबूत स्पष्ट हैं।' रोजियो ने कहा कि यह केवल कश्मीर या पाकिस्तान का मामला नहीं है। पाकिस्तान सरकार से सहायता प्राप्त करने वाले कश्मीरी आतंकवादी संगठनों के आधार अफगानिस्तान में है।
उन्होंने कहा, 'मैं समूहों की सूची बना सकता हूं। लश्कर ए तैयबा, हरकत उल मुजाहिदीन, जिनके बारे में विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2014 में कहा था कि वे अफगानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं। ये समूह अमेरिकी जवानों पर हमला कर रहे हैं और उनकी हत्या कर रहे है। मैंने अभी तालिबान, हक्कानी नेटवर्क या मुल्ला नजीर समूह जैसे संगठनों की बात तो की ही नहीं है। ये केवल छोटे समूह हैं।'
रोजियो ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान शानदार तरीके से एक छद्म खेल खेल रहा है। उन्होंने कहा, 'वह अच्छे तालिबान बनाम बुरे तालिबान की बात करते हैं। अच्छा तालिबान हर वह समूह है जिसे पाकिस्तान पसंद करता है और जो समूह पाकिस्तान पर हमला नहीं करता। ये वे समूह हैं जो पाकिस्तानी विदेश नीति को आगे ले जाते है। हक्कानी नेटवर्क, अफगान तालिबान, मुल्ला नजीर समूह.. ।' रोजियो ने कहा, 'और बुरा तालिबान वे समूह हैं जो पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हैं। वे उनमें से हैं जिन पर उत्तरी वजीरिस्तान में शावल घाटी में हमला किया जाता है। जब पाकिस्तानी इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो वे यह दिखाते हैं कि वे हक्कानी नेटवर्क या मुल्ला नजीर समूह या अफगान तालिबान को निशाना बना रहे हैं लेकिन वास्तव में वे ऐसा नहीं करते।'
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान ने इन अभियानों में मारे गए एक भी बड़े, मध्य स्तर के या निचले स्तर के नेता का नाम नहीं बताया क्योंकि उन्होंने किसी को मारा ही नहीं। उन्होंने किसी को गिरफ्तार नहीं किया। ये सब पाकिस्तानी सरकार के हित में चयनित निशाना बनाए जाने का मामला है।' रोजियो ने कहा कि वे इन समूहों का समर्थन इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत का सामना करने के लिए उनके पास यह सबसे अच्छा अवसर है।
उन्होंने कहा, 'मेरा यह भी मानना है कि सैन्य एवं खुफिया सेवाओं के बड़े तत्वों के भीतर विचारधारा संबंधी पहलू भी हैं। यह भारत में उनकी नीति में मदद करता है और साथ ही उन्हें कट्टरपंथी जिहादियों का समर्थन भी मिलता है।' रोजियो ने कहा, 'यदि पाकिस्तान खुद को नहीं बदलता है तो हमें हमारी गणना को बदलना होगा। मुझे लगता है कि सारी आर्थिक मदद रक जानी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'यदि हम पाकिस्तानी शिक्षा के लिए आर्थिक मदद दे रहे हैं तो वे अपनी बचत राशि का इस्तेमाल पाकिस्तानी आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने में कर सकते हैं। हमें प्रतिबंधों पर विचार करना होगा।'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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