लंदन:
ब्रिटेन की कठोर वीजा नीति के कारण उच्च शिक्षा के लिए यहां आने वाले भारतीय विद्यार्थियों की संख्या में भारी कमी आई है। ब्रिटेन के स्कूलों और विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए भारत से आने वालों की संख्या में 23.5 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर विद्यार्थियों की संख्या में 28 प्रतिशत की कमी आई है।
'हायर एजुकेशन स्टैटिस्टिक एजेंसी' की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011-12 में ब्रिटेन के उच्च शिक्षण संस्थानों में महज 30,000 भारतीय विद्यार्थी हैं, जबकि पिछले वर्ष उनकी संख्या करीब 40,000 थी। हालांकि ब्रिटेन में शिक्षा के लिए आने वाले विद्यार्थियों की संख्या की लिहाज से भारत दूसरे नंबर पर आता है। 79,000 विद्यार्थियों के साथ चीन पहले स्थान पर है।
विश्वविद्यालयों ने सरकार को चेतावनी दी है कि इस कठोर वीजा नीति के कारण हमारे यहां आने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थी अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की ओर चले जाएंगे। इससे पहले, देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की प्रतिनिधि संस्था 'यूनिवर्सिटीज ब्रिटेन' की मुख्य कार्यकारी निकोला डैंड्रीज ने कहा था कि विदेशी छात्रों को यहां अवांछनीय महसूस कराया जा रहा है और इस वजह से वे अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का रुख कर रहे हैं।
ब्रिटेन के व्यापार, नवोन्मेष और कौशल विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक, विदेशी विद्यार्थी हर वर्ष अर्थव्यवस्था में आठ अरब पाउंड का योगदान देते हैं और वर्ष 2025 तक इस राशि के 16.8 अरब पाउंड हो जाने का अनुमान था।
'हायर एजुकेशन स्टैटिस्टिक एजेंसी' की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2011-12 में ब्रिटेन के उच्च शिक्षण संस्थानों में महज 30,000 भारतीय विद्यार्थी हैं, जबकि पिछले वर्ष उनकी संख्या करीब 40,000 थी। हालांकि ब्रिटेन में शिक्षा के लिए आने वाले विद्यार्थियों की संख्या की लिहाज से भारत दूसरे नंबर पर आता है। 79,000 विद्यार्थियों के साथ चीन पहले स्थान पर है।
विश्वविद्यालयों ने सरकार को चेतावनी दी है कि इस कठोर वीजा नीति के कारण हमारे यहां आने वाले प्रतिभाशाली विद्यार्थी अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की ओर चले जाएंगे। इससे पहले, देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों की प्रतिनिधि संस्था 'यूनिवर्सिटीज ब्रिटेन' की मुख्य कार्यकारी निकोला डैंड्रीज ने कहा था कि विदेशी छात्रों को यहां अवांछनीय महसूस कराया जा रहा है और इस वजह से वे अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का रुख कर रहे हैं।
ब्रिटेन के व्यापार, नवोन्मेष और कौशल विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक, विदेशी विद्यार्थी हर वर्ष अर्थव्यवस्था में आठ अरब पाउंड का योगदान देते हैं और वर्ष 2025 तक इस राशि के 16.8 अरब पाउंड हो जाने का अनुमान था।
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