प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें क्रिसमस फादर भी कहा जाता है से जुड़ा एक ताजा दावा किया गया है. दावे में पुरातत्वविदों ने सेंट निकोलस का मकबरा खोज निकालने की बात कही है जिनके गुप्त उपहार देने के स्वभाव के कारण सांता क्लॉस की कथा का जन्म हुआ. यह मकबरा तुर्की में एक चर्च के खंडहर के नीचे मिला है. शोधकर्ताओं ने डेमरे जिले में सेंट निकोलस चर्च के नीचे एक अक्षुण्ण गिरिजाघर का पता लगाया है. वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यों के दौरान गिरिजाघर के एक विशेष खंड का पता चला है. ऐसी अटकलें हैं कि वहां पर मकबरा भी दफन होगा.
तुर्की में सर्वेइंग एंड मान्यूमन्ट के अंटाल्या निदेशक केमिल कारबयराम ने बताया कि चर्च की सतह के नीचे डिजिटल सर्वेक्षण के दौरान शोधकर्ताओं को एक अज्ञात मकबरे का पता चला है. शोधकर्ताओं ने बताया कि वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन में खुलासा हुआ कि चर्च के नीचे सही सलामत एक मकबरा मौजूद है. करबयराम ने ‘हुर्रियत डेली न्यूज’ को बताया, ‘हमारा मानना है कि इस मकबरे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन इसके फर्श पर पच्चीकारी के कारण उस तक पहुंचना काफी मुश्किल है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अब तक माना जाता था कि निकोलस की हड्डियां इटली में है.
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करबयराम ने बताया, ‘हमने 1942 से 1966 के बीच के सभी दस्तावेजों का अध्ययन किया. इन दस्तावेजों के मुताबिक इस चर्च को तोड़ दिया गया और इसका पुनर्निर्माण किया गया था. ’ उन्होंने बताया, ‘फिर से निर्माण के दौरान बारी के व्यापारियों को हड्डियां मिली. लेकिन इसमें बताया गया कि ये हड्डियां सेंट निकोलस की नहीं बल्कि किसी और पादरी की थीं.’
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शोधकर्ता तीन महीनों से काम कर रहे हैं और इस कार्य में एक सीटी स्कैन, एक जियो रडार और अंतिम चरण में उत्खनन कार्य के लिए आठ आदमियों की मदद ली गई है. उन्होंने बताया, ‘विश्व में सभी की नजरें यहा लगी है. हमारा दावा है कि बिना किसी नुकसान के इस चर्च में सेंट निकोलस को रखा गया था. उन्होंने बताया कि हम अंतिम चरण में हैं.’
(इनपुट भाषा से)
तुर्की में सर्वेइंग एंड मान्यूमन्ट के अंटाल्या निदेशक केमिल कारबयराम ने बताया कि चर्च की सतह के नीचे डिजिटल सर्वेक्षण के दौरान शोधकर्ताओं को एक अज्ञात मकबरे का पता चला है. शोधकर्ताओं ने बताया कि वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन में खुलासा हुआ कि चर्च के नीचे सही सलामत एक मकबरा मौजूद है. करबयराम ने ‘हुर्रियत डेली न्यूज’ को बताया, ‘हमारा मानना है कि इस मकबरे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन इसके फर्श पर पच्चीकारी के कारण उस तक पहुंचना काफी मुश्किल है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अब तक माना जाता था कि निकोलस की हड्डियां इटली में है.
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करबयराम ने बताया, ‘हमने 1942 से 1966 के बीच के सभी दस्तावेजों का अध्ययन किया. इन दस्तावेजों के मुताबिक इस चर्च को तोड़ दिया गया और इसका पुनर्निर्माण किया गया था. ’ उन्होंने बताया, ‘फिर से निर्माण के दौरान बारी के व्यापारियों को हड्डियां मिली. लेकिन इसमें बताया गया कि ये हड्डियां सेंट निकोलस की नहीं बल्कि किसी और पादरी की थीं.’
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शोधकर्ता तीन महीनों से काम कर रहे हैं और इस कार्य में एक सीटी स्कैन, एक जियो रडार और अंतिम चरण में उत्खनन कार्य के लिए आठ आदमियों की मदद ली गई है. उन्होंने बताया, ‘विश्व में सभी की नजरें यहा लगी है. हमारा दावा है कि बिना किसी नुकसान के इस चर्च में सेंट निकोलस को रखा गया था. उन्होंने बताया कि हम अंतिम चरण में हैं.’
(इनपुट भाषा से)
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