अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
वाशिंगटन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर प्रहार करते हुए कहा कि भारत के पड़ोस में आतंकवाद का पोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस को राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद का उपदेश देने वालों को स्पष्ट संदेश देना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यूं तो इसकी (आतंकवाद की) छाया दुनिया भर में फैल रही है, लेकिन भारत के पड़ोस में यह फल-फूल रहा है।' इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि आतंकवाद को शरण, समर्थन और प्रायोजित करने वाले को अलग थलग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों इनाम देना बंद करना उन्हें जवाबदेह बनाने का पहले कदम होगा।'
(पढ़ें - 'भारत साथ जीता है, साथ बढ़ता है' : अमेरिकी कांग्रेस में पीएम मोदी के भाषण की खास बातें)
यूएस कांग्रेस में बार-बार तालियों की गड़गड़हाट के बीच अमेरिकी सांसदों ने खड़े होकर प्रधानमंत्री की कही बातों का अभिनंदन किया। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और न ही अच्छे और बुरे आतंकवाद में कोई फर्क किया जाना चाहिए। वैश्विक आतंकवाद को दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जो मानवता में यकीन रखते हैं वो साथ आएं।
(अच्छे-बुरे आतंक में फर्क न हो : US कांग्रेस में पीएम मोदी)
प्रधानमंत्री ने राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका अनुपालन करने वालों को पुरस्कृत करने से इनकार करके अमेरिकी संसद द्वारा स्पष्ट संदेश देने की सराहना की। उनका आशय प्रत्यक्षत: पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री का मार्ग अवरूद्ध करने की घटना से था। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा सहयोग ऐसी नीतियों पर आधारित होना चाहिए, जो आतंकवादियों को पनाह देने वालों, उनका समर्थन करने वालों और प्रायोजित करने वालों को अलग-थलग करता हो।
(पढ़ें - अमेरिका के सामरिक हित में है मजबूत और संपन्न भारत : पीएम मोदी)
अपने 45 मिनट के भाषण में उन्होंने भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण आयामों की चर्चा की, जिसमें विशेष तौर पर असैन्य परमाणु सहयोग शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सहमत सुरक्षा ढांचे के अभाव में अनिश्चितता उभरी है। आतंक का खतरा बढ़ रहा है और साइबर और बाहरी दुनियर से चुनौतियां उभर कर आई है। 20वीं सदी की वैश्विक संस्थाएं लगता है कि इन नई चुनौतियों से निपटने में अक्षम हैं। इस संदर्भ में हमारा सहयोग अंतर पैदा कर सकता है।
(पढ़ें - अमेरिका में कर्व बॉल फेंकने वालों से ज्यादा योग करने वालों की तादाद : पीएम मोदी)
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों और सैनिकों को खोया है, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि किस प्रकार से 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिका, भारत के साथ खड़ा रहा था। भारत-अमेरिकी संबंध को गतिशील भविष्य का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच गठजोड़ एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि और स्थिरता का वाहक बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यूं तो इसकी (आतंकवाद की) छाया दुनिया भर में फैल रही है, लेकिन भारत के पड़ोस में यह फल-फूल रहा है।' इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि आतंकवाद को शरण, समर्थन और प्रायोजित करने वाले को अलग थलग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'अपने राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों इनाम देना बंद करना उन्हें जवाबदेह बनाने का पहले कदम होगा।'
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प्रधानमंत्री ने राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका अनुपालन करने वालों को पुरस्कृत करने से इनकार करके अमेरिकी संसद द्वारा स्पष्ट संदेश देने की सराहना की। उनका आशय प्रत्यक्षत: पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री का मार्ग अवरूद्ध करने की घटना से था। पीएम मोदी ने कहा कि हमारा सहयोग ऐसी नीतियों पर आधारित होना चाहिए, जो आतंकवादियों को पनाह देने वालों, उनका समर्थन करने वालों और प्रायोजित करने वालों को अलग-थलग करता हो।
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अपने 45 मिनट के भाषण में उन्होंने भारत और अमेरिका के बढ़ते संबंधों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण आयामों की चर्चा की, जिसमें विशेष तौर पर असैन्य परमाणु सहयोग शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सहमत सुरक्षा ढांचे के अभाव में अनिश्चितता उभरी है। आतंक का खतरा बढ़ रहा है और साइबर और बाहरी दुनियर से चुनौतियां उभर कर आई है। 20वीं सदी की वैश्विक संस्थाएं लगता है कि इन नई चुनौतियों से निपटने में अक्षम हैं। इस संदर्भ में हमारा सहयोग अंतर पैदा कर सकता है।
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पीएम मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों और सैनिकों को खोया है, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि किस प्रकार से 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिका, भारत के साथ खड़ा रहा था। भारत-अमेरिकी संबंध को गतिशील भविष्य का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच गठजोड़ एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि और स्थिरता का वाहक बन सकता है।
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