वेटिकन सिटी:
दुनियाभर के करोड़ों कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप बेनेडिक्ट 16वें ने 28 फरवरी को पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है, जिसके साथ ही वह पिछले लगभग 600 वर्षों में ऐसा करने वाले पहले पोप बन गए हैं।
पोप के इस निर्णय के बाद मार्च में नए पोप के चुनाव के लिए कॉन्क्लेव होने की संभावना है, क्योंकि वेटिकन सिटी को मार्च के अंत से पहले नए पोप का चुनाव करना होगा। सोमवार की सुबह वेटिकन के कार्डिनलों के साथ हुई एक बैठक के बाद यह फैसला किया।
85-वर्षीय पोप के इस्तीफे की खबर आते ही फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने लगभग तुरन्त ही प्रतिक्रिया व्यक्त की। पोप के निर्णय को 'उत्कृष्ट रूप से सम्मानजनक' बताते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने कहा कि उनका देश 'ऐसा निर्णय लेने वाले पोप की प्रशंसा करता है...' उल्लेखनीय है कि फ्रांस के ज्यादातर नागरिक कैथोलिक ईसाई हैं।
जर्मनी की चांसलर और एक पेस्टर की बेटी एंजेला मार्केल ने कहा कि जर्मनी में जन्मे पोप के इस 'कठिन' निर्णय के लिए उनके मन में 'बहुत सम्मान' है। एंजेला ने कहा, ''वह हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक विचारकों में से एक हैं, और रहेंगे।''
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि 'लाखों लोगों के धार्मिक नेता के तौर पर लोग पोप को बहुत याद करेंगे।' इस्राइल के प्रमुख अश्केनजाई रब्बी योना मेत्जेर ने यहूदीवाद और ईसाइयत के बीच संबंधों को सुधारने के लिए पोप की तारीफ की।
दूसरी आरे पोप बेनेडिक्ट 16वें के इस्तीफे की घोषणा के साथ ही नया पोप कौन बनेगा, इसे लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि नया पोप कनाडा या नाइजीरिया का नागरिक होगा। फिलहाल जिन नामों को लेकर विशेष चर्चा चल रही है, उनमें नाइजीरिया के फ्रांसिस एरिन्ज, घाना के पीटर तुर्कसन और कनाडा के मार्क ओलेट का नाम प्रमुख है।
अतीत में कार्डिनल रहे जोसेफ रैटज़िंगर ने 78 वर्ष की आयु में, तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय के निधन के बाद, पोप बेनेडिक्ट 16वें के रूप में वर्ष 2005 में पद सम्भाला था। पोप ने एक बयान में कहा है, "ईश्वर के समक्ष अपनी अंतरात्मा का बार-बार परीक्षण करने के बाद मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि अधिक उम्र के कारण मेरी शक्ति मंत्रालय के कामकाज के लिए अब उपयुक्त नहीं है..."
बयान में कहा गया है, "आज की दुनिया में, जहां इतनी तेजी के साथ बदलाव हुए हैं और धार्मिक जीवन की गहरी प्रासंगिकता के प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, सेंट पीटर के विरासत को सम्भालने और सुसमाचार के प्रचार के लिए मन और शरीर दोनों की शक्ति आवश्यक है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मेरे भीतर की यह शक्ति इस हद तक क्षीण हुई है कि मैं सौंपे गए मंत्रालय की जिम्मेदारी उचित तरीके से निभा पाने में खुद को अक्षम पाता हूं।"
पोप के इस निर्णय के बाद मार्च में नए पोप के चुनाव के लिए कॉन्क्लेव होने की संभावना है, क्योंकि वेटिकन सिटी को मार्च के अंत से पहले नए पोप का चुनाव करना होगा। सोमवार की सुबह वेटिकन के कार्डिनलों के साथ हुई एक बैठक के बाद यह फैसला किया।
85-वर्षीय पोप के इस्तीफे की खबर आते ही फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने लगभग तुरन्त ही प्रतिक्रिया व्यक्त की। पोप के निर्णय को 'उत्कृष्ट रूप से सम्मानजनक' बताते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद ने कहा कि उनका देश 'ऐसा निर्णय लेने वाले पोप की प्रशंसा करता है...' उल्लेखनीय है कि फ्रांस के ज्यादातर नागरिक कैथोलिक ईसाई हैं।
जर्मनी की चांसलर और एक पेस्टर की बेटी एंजेला मार्केल ने कहा कि जर्मनी में जन्मे पोप के इस 'कठिन' निर्णय के लिए उनके मन में 'बहुत सम्मान' है। एंजेला ने कहा, ''वह हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक विचारकों में से एक हैं, और रहेंगे।''
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि 'लाखों लोगों के धार्मिक नेता के तौर पर लोग पोप को बहुत याद करेंगे।' इस्राइल के प्रमुख अश्केनजाई रब्बी योना मेत्जेर ने यहूदीवाद और ईसाइयत के बीच संबंधों को सुधारने के लिए पोप की तारीफ की।
दूसरी आरे पोप बेनेडिक्ट 16वें के इस्तीफे की घोषणा के साथ ही नया पोप कौन बनेगा, इसे लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि नया पोप कनाडा या नाइजीरिया का नागरिक होगा। फिलहाल जिन नामों को लेकर विशेष चर्चा चल रही है, उनमें नाइजीरिया के फ्रांसिस एरिन्ज, घाना के पीटर तुर्कसन और कनाडा के मार्क ओलेट का नाम प्रमुख है।
अतीत में कार्डिनल रहे जोसेफ रैटज़िंगर ने 78 वर्ष की आयु में, तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय के निधन के बाद, पोप बेनेडिक्ट 16वें के रूप में वर्ष 2005 में पद सम्भाला था। पोप ने एक बयान में कहा है, "ईश्वर के समक्ष अपनी अंतरात्मा का बार-बार परीक्षण करने के बाद मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि अधिक उम्र के कारण मेरी शक्ति मंत्रालय के कामकाज के लिए अब उपयुक्त नहीं है..."
बयान में कहा गया है, "आज की दुनिया में, जहां इतनी तेजी के साथ बदलाव हुए हैं और धार्मिक जीवन की गहरी प्रासंगिकता के प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, सेंट पीटर के विरासत को सम्भालने और सुसमाचार के प्रचार के लिए मन और शरीर दोनों की शक्ति आवश्यक है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मेरे भीतर की यह शक्ति इस हद तक क्षीण हुई है कि मैं सौंपे गए मंत्रालय की जिम्मेदारी उचित तरीके से निभा पाने में खुद को अक्षम पाता हूं।"
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