
- जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी घटनाओं में जान गंवाने वाले 40 मृतकों के परिवारों को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नियुक्ति पत्र सौंपे.
- उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ित परिवारों को न्याय, नौकरी, मान्यता और समर्थन देने की प्रतिबद्धता दोहराई और उनके दर्द को समझने का आश्वासन दिया.
- मनोज सिन्हा ने आतंकवाद समर्थकों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे देश की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाली विचारधारा से दूर रहें और शांति भंग न करें.
आतंकी घटनाओं में अपने किसी करीबी को गंवा चुके जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए रविवार का दिन एतिहासिक था जब लेफ्टिनेंट जनरल (एलजी) मनोज सिन्हा ने उन्हें अप्वाइंटमेंट लेटर्स सौंपे. ये नियुक्ति पत्र बारामूला में नेक्स्ट ऑफ किन्स (NoKs) को सौंपे गए और इसे पीड़ितों के साथ हुआ इंसाफ करार दिया जा रहा है. 29 जून 2025 को अनंतनाग में एलजी ने पीड़ितों के परिवार से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि अगले 30 दिनों के अंदर परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी.
15 दिनों में मिला अप्वांटमेंट लेटर
अगले 15 दिनों में एलजी ने अपना वादा पूरा किया और 13 जुलाई यानी रविवार को उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे. उपराज्यपाल सिन्हा ने आतंकी वारदातों में जान गंवाने वाले 40 मृतकों के परिवार को अप्वाइंटमेंट लेटर्स सौंपे हैं. यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक हर पीड़ित के परिवार का पूरी तरह से पुनर्वास नहीं हो जाता. जिन परिवारों के प्रियजनों को आतंकवादियों ने बेरहमी से मार डाला, उन्होंने उस भयावह घटनाओं के बारे में बताया. साथ ही इस बारे में भी बताया कि कैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने उनसे उनका कोई अपना छीन लिया.
उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ित परिवारों को न्याय, नौकरी, मान्यता और समर्थन सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. उनका कहना था कि कई साल तक दर्द झेलने के बाद ये अब इसके हकदार हैं. उनके शब्दों में, 'आतंकवाद पीड़ित परिवार, जिन्हें त्याग दिया गया और भुला दिया गया, दशकों तक चुपचाप दर्द सहते रहे. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने उन्हें बेरहमी से मार दिया और अब उनके प्रियजनों की कहानियां सामने आ रही हैं.'
शांति भंग करने की कोशिश
एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, 'इन परिवारों की सच्चाई जानबूझकर दबाई गई. कोई भी उनके आंसू पोंछने नहीं आया. सभी जानते थे कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी नृशंस हत्याओं में शामिल थे, लेकिन किसी ने भी हजारों बुजुर्ग माता-पिता, पत्नियों, भाइयों या बहनों को न्याय नहीं दिलाया.' उपराज्यपाल ने आतंकवाद के समर्थकों को कड़ी चेतावनी दी और उनसे देश की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली विचारधारा से बचने को कहा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों की विचारधारा का प्रचार करके, वो खून-पसीने से स्थापित शांति को खत्म कर रहे हैं.
उपराज्यपाल ने कहा, 'करीब तीन दशकों तक संघर्ष को बढ़ावा देने वाले घाटी में राज कर रहे थे और वो इन परिवारों को धमकाते भी रहे. इन संघर्ष के समर्थकों ने बड़ी चालाकी से एक अजीब कहानी गढ़ी जिसमें भारत को आक्रमणकारी और आतंकवादियों को पीड़ित दिखाया गया था. लेकिन अब इस झूठी कहानी का पूरी तरह से खंडन किया जा चुका है. आतंकवाद के असली पीड़ितों ने अब पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का पर्दाफाश कर दिया है.'
अब आतंकियों पर होगी कार्रवाई
उपराज्यपाल ने लोगों को भरोसा दिलाया कि अब वो दिन लद गए जब खूंखार आतंकियों के परिवारवालों को नौकरी मिलती थी. उन्होंने कहा, 'हम ऐसे तत्वों की पहचान कर रहे हैं और उन्हें सरकारी नौकरियों से हटा रहे हैं. हम आतंकवाद के वास्तविक पीड़ितों का पुनर्वास करेंगे. कुछ ऐसे तत्व हैं जो आतंकवादी देश पाकिस्तान के इशारे पर अभी भी आतंक-तंत्र को पोषित करने का काम कर रहे हैं. उनके खिलाफ कानून के अनुसार सही कार्रवाई की जाएगी और हम आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर के सपने को साकार करेंगे.'
उपराज्यपाल ने कहा कि प्रशासन अब उन सभी परिवारों के दरवाजे तक पहुंचेगा जो दशकों से न्याय और नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उनके पुनर्वास और आजीविका की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा मारे गए कश्मीरी पंडितों के मामलों की गहन जांच का भी भरोसा दिया.
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश समावेशी विकास, शांति और सामाजिक न्याय का एक स्वर्णिम अध्याय लिख रहा है. उन्होंने कुशल, पारदर्शी और जन-केंद्रित शासन का मार्ग प्रशस्त किया है.' उन्होंने बताया कि आतंकवाद पीड़ितों की शिकायतें दर्ज करने के लिए जिलों में हेल्पलाइन स्थापित की गई हैं. हमें 90 के दशक से भी सैकड़ों शिकायतें मिल रही हैं. कई मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गईं, जमीनों पर अतिक्रमण किया गया और संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया. एलजी ने कहा, 'मैं लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.'
एक ही परिवार ने खो दिए 3 बेटे
उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों से बातचीत की और उनका दर्द साझा किया. उन्होंने 9 जून, 1992 की उस दिल दहला देने वाली घटना को याद किया जब वली मोहम्मद लोन के बेटे बशीर लोन की बारामूला के फतेहगढ़ गांव में पास की एक मस्जिद से घर लौटते समय आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. ठीक एक साल बाद, आतंकवादियों ने वली मोहम्मद लोन के दो और बेटों, गुलाम मोहिउद्दीन लोन और अब्दुल राशिद लोन का अपहरण कर लिया. आज तक उनके शव नहीं मिले हैं.
इसी तरह से कुपवाड़ा के लीलम गांव की राजा बेगम ने न्याय के लिए 26 साल इंतजार किया. साल 1999 में, आतंकियों ने उनके पति गुलाम हसन लोन, बेटों जाविद अहमद और इरशाद अहमद, और बेटी दिलशादा की बेरहमी से हत्या कर दी, क्योंकि उन्होंने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया था. उपराज्यपाल ने कहा, हम राजा बेगम और आतंकवाद पीड़ित सभी परिवारों के साथ मजबूती से खड़े हैं. प्रशासन उन सभी परिवारों की पहचान करने के प्रयास कर रहा है, जिन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण नुकसान उठाया है.
उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के लोगों, मीडिया जगत और देश के हर नागरिक से आतंकवाद के वास्तविक पीड़ित परिवारों का सम्मान बहाल करने और उन्हें न्याय दिलाने में प्रशासन की मदद करने की अपील की. मुख्य सचिव अटल डुल्लू,पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात; प्रमुख गृह सचिव चंद्राकर भारती; कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी, बारामूला के उपायुक्त मिंगा शेरपा, सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन के अध्यक्ष वजाहत फारूक भट और फाउंडेशन के अन्य सदस्य, वरिष्ठ अधिकारी और आतंकवाद पीड़ितों के परिवार के सदस्य उपस्थित थे.
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