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This Article is From Nov 18, 2012

प्रधानमंत्री नोम पेन्ह पहुंचे, जियाबाओ से होगी मुलाकात

प्रधानमंत्री नोम पेन्ह पहुंचे, जियाबाओ से होगी मुलाकात
नोम पेन्ह/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को कम्बोडिया की राजधानी नोम पेन्ह पहुंच गए, जहां वह दो क्षेत्रीय शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वह चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ सहित छह नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।

प्रधानमंत्री 18 से 20 नवम्बर तक की अपनी इस यात्रा के दौरान 10वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन तथा 7वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

प्रधानमंत्री ने रविवार को कम्बोडिया के लिए रवाना होने से पहले नई दिल्ली में कहा कि आसियान के देशों तथा भारत सहित इसके आर्थिक भागीदारों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी के लिए बातचीत शुरू करना क्षेत्र में आर्थिक समुदाय बनाने की दिशा में 'एक बड़ा कदम' होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन, एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने कहा, "इस साल हम आसियान तथा भारत सहित उसके अन्य एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) भागीदारों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के लिए वार्ता शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। यह क्षेत्र में आर्थिक समुदाय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह मंच क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर मुहैया कराता है।"

पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान मनमोहन सिंह की चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत होने वाली है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से आसियान के साथ भारत की भागीदारी 'मजबूत, व्यापक और बहुआयामी' हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "नोम पेन्ह में होने वाले सम्मेलन से हमें अगले महीने दिल्ली में होने वाले सम्मेलन के लिए पूर्वावलोकन और महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार करने का अवसर मिलेगा। साथ ही यह भारत-आसियान सम्बंधों को नए स्तर पर ले जाएगा।"

इस बीच, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि कम्बोडिया में 19-20 नवम्बर को हो रहे दो शिखर सम्मेलनों में भारत, आसियान देशों और पूर्व एशियाई देशों के साथ सम्बंध बढ़ाने की कोशिश करेगा और अपनी पूर्वोन्मुखी नीति को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।

शर्मा ने विशेष विमान में साथ गए पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब दुनिया की निगाह एशिया और प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित हो गई है, जहां दुनिया की तीन अरब आबादी निवास करती है और 40 प्रतिशत जीडीपी है।

शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और कम्बोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन सहित अन्य नेताओं के साथ छह द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।

शर्मा ने कहा, "भारत दक्षिण एशियाई देशों के संगठन (आसियान) और पूर्व एशिया (आसियान के साथ आठ और देश) के साथ अपने आदान-प्रदान को, अपनी पूर्वोन्मुखी नीति के लिए इस क्षेत्र के साथ जुड़ाव के अपने दृष्टिकोण के लिए बहुत महत्वपूर्ण व अभिन्न मानता है।"

शर्मा ने कहा कि आसियान के आर्थिक मंत्रियों ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के मसौदे (आरसीईपी) को मंजूरी दे दी है। यह समझौता अगस्त 2012 में पूर्व एशियाई देशों के साथ हुआ था, जिसपर शिखर सम्मेलन में दृष्टिपात किया जाएगा।

शर्मा ने कहा, "शिखर सम्मेलन पूर्व एशिया सिफारिशों पर विचार करेगा और उचित रुख अपनाएगा।" शिखर सम्मेलन में आरसीईपी पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक बयान जारी किया जाएगा।

शर्मा ने कहा कि भारत ने आसियान के साथ वस्तु पर मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जबकि निवेश और सेवा पर एफटीए अपने अंतिम चरणों में है।

निवेश और सेवा समझौते से सम्बंधित एक सवाल पर शर्मा ने कहा कि वार्ताकारों ने नोम पेन्ह में शनिवार और रविवार को मुलाकात की और हमें आशा है कि यह जल्द ही अपने निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि यह दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा, जब नई दिल्ली आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन (20-21 दिसम्बर) की मेजबानी करेगा।

शर्मा ने कहा कि भारत और आसियान के बीच दोतरफा व्यापार 75 अरब डॉलर का है। इसमें आसियान से 40 अरब डॉलर और भारत से 35 अरब डॉलर का व्यापार शामिल है।

शर्मा ने कहा कि दोतरफा निवेश की स्थिति काफी मजबूत है। भारत 61 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है और आसियान देश 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "बड़े निवेश जापान और दक्षिण कोरिया से आ रहे हैं।"

शर्मा ने कहा कि पूर्व एशियाई देशों के साथ दोतरफा व्यापार 194 डॉलर का है। अमेरिका, चीन और रूस पूर्व एशियाई देशों के साथ संवाद साझेदार हैं।

शर्मा ने कहा कि चूंकि भारत-चीन एक प्रमुख रणनीतिक व सहयोगी साझेदार हैं, लिहाजा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के बीच मुलाकात में सभी मुद्दे शामिल होंगे। भारत ने निष्पक्ष व्यापार संतुलन और आईटी व फार्मास्युटिकल सेक्टरों में भारत के लिए बाजार सुलभता के मुद्दे खड़े किए है।

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