पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की फाइल फोटो
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र में फिर कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान पर पलटवार करते हुए भारत ने अपने इस पड़ोसी को 'गैर-जिम्मेदार ऑपरेटर' (फ्लाई-बाई-नाइट ऑपरेटर) करार देते हुए कहा कि इस्लामाबाद अपने 'क्षेत्र को बढ़ाने' के लिए विश्व संस्था के इस मंच का 'धड़ल्ले' से गलत इस्तेमाल करता है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में 'मिनिस्टर' श्रीनिवास प्रसाद ने जवाब देने के हक का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी की ओर से दिए गए बयान को खारिज किया. लोधी ने कहा था कि कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों पर अमल नहीं किया जाना संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है.
स्पेशल पॉलिटिकल एंड डीकोलोनाइजेशन कमिटी की आम बहस में प्रसाद ने कहा, 'हम इस सदन में अपने जवाब देने के हक का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि हमने अभी एक देश (पाकिस्तान) को भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का हवाला देते हुए सुना, वह भी एक अप्रासंगिक मुद्दे को इस समिति तक लाने की धूर्त कोशिश के तहत.'
लोधी के बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा, 'गैर-जिम्मेदार ऑपरेटर की तरह काम कर रहे पाकिस्तान ने इस समिति की ओर से मुहैया कराए गए मंच का अपने क्षेत्र को विस्तार देने के लिए धड़ल्ले से गलत इस्तेमाल किया है.' प्रसाद ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा इस समिति के एजेंडे में नहीं है और यह सिर्फ अनौपनिवेशीकरण और 'गैर-स्वशासी क्षेत्रों' पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
इससे पहले, पाकिस्तान ने कहा था कि कश्मीर घाटी में जनमत-संग्रह कराने के लिए यूएनएससी के प्रस्तावों पर अमल नहीं किया जाना संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने महासभा में 'स्पेशल पॉलिटिकल एंड डीकोलोनाइजेशन कमिटी' की एक बहस के दौरान कहा, 'जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान के बगैर संयुक्त राष्ट्र का अनौपनिवेशकरण का एजेंडा अधूरा रहेगा.'
लोधी ने कहा कि कश्मीरी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में एक जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किए जाने के छह दशक बीत जाने के बाद भी इसे अमल में नहीं लाया जा सका है. उन्होंने कहा, 'यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है.' उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ टूटे वादे और क्रूर दमन देखे हैं.
लोधी ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग 'कभी नहीं था और कभी नहीं हो सकता', बल्कि वह एक विवादित क्षेत्र है, जिसकी अंतिम स्थिति यूएनएससी के कई प्रस्तावों के मुताबिक तय की जानी है.
पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा कि औपनिवेशिक वर्चस्व और विदेशी कब्जे से जूझ रहे लोगों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की एक नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, 'अधूरे एजेंडे को पूरा करने के लिए काम करने और उपनिवेशवाद के आखिरी निशान को खत्म करने की सख्त जरूरत है. हमें उम्मीद है कि देर-सवेर हम इस साझा लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.'
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में 'मिनिस्टर' श्रीनिवास प्रसाद ने जवाब देने के हक का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी की ओर से दिए गए बयान को खारिज किया. लोधी ने कहा था कि कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों पर अमल नहीं किया जाना संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है.
स्पेशल पॉलिटिकल एंड डीकोलोनाइजेशन कमिटी की आम बहस में प्रसाद ने कहा, 'हम इस सदन में अपने जवाब देने के हक का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि हमने अभी एक देश (पाकिस्तान) को भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का हवाला देते हुए सुना, वह भी एक अप्रासंगिक मुद्दे को इस समिति तक लाने की धूर्त कोशिश के तहत.'
लोधी के बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए प्रसाद ने कहा, 'गैर-जिम्मेदार ऑपरेटर की तरह काम कर रहे पाकिस्तान ने इस समिति की ओर से मुहैया कराए गए मंच का अपने क्षेत्र को विस्तार देने के लिए धड़ल्ले से गलत इस्तेमाल किया है.' प्रसाद ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा इस समिति के एजेंडे में नहीं है और यह सिर्फ अनौपनिवेशीकरण और 'गैर-स्वशासी क्षेत्रों' पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
इससे पहले, पाकिस्तान ने कहा था कि कश्मीर घाटी में जनमत-संग्रह कराने के लिए यूएनएससी के प्रस्तावों पर अमल नहीं किया जाना संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने महासभा में 'स्पेशल पॉलिटिकल एंड डीकोलोनाइजेशन कमिटी' की एक बहस के दौरान कहा, 'जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान के बगैर संयुक्त राष्ट्र का अनौपनिवेशकरण का एजेंडा अधूरा रहेगा.'
लोधी ने कहा कि कश्मीरी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में एक जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित किए जाने के छह दशक बीत जाने के बाद भी इसे अमल में नहीं लाया जा सका है. उन्होंने कहा, 'यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी नाकामी है.' उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरियों ने पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ टूटे वादे और क्रूर दमन देखे हैं.
लोधी ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग 'कभी नहीं था और कभी नहीं हो सकता', बल्कि वह एक विवादित क्षेत्र है, जिसकी अंतिम स्थिति यूएनएससी के कई प्रस्तावों के मुताबिक तय की जानी है.
पाकिस्तानी राजनयिक ने कहा कि औपनिवेशिक वर्चस्व और विदेशी कब्जे से जूझ रहे लोगों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की एक नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, 'अधूरे एजेंडे को पूरा करने के लिए काम करने और उपनिवेशवाद के आखिरी निशान को खत्म करने की सख्त जरूरत है. हमें उम्मीद है कि देर-सवेर हम इस साझा लक्ष्य को हासिल कर लेंगे.'
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