Islamabad:
पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में मर्दान स्थित सैन्य प्रशिक्षण केंद्र में एक परेड के दौरान एक स्कूली किशोर द्वारा किए गए आत्मघाती विस्फोट में 31 सैनिकों की मौत हो गई और 40 अन्य घायल हो गए। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब्दुल्ला खान ने सेना के पंजाब रेजिमेंटल केंद्र में गुरुवार तड़के हुए हमले का ब्यौरा देते हुए बताया, यह एक आत्मघाती हमला था। किशोर हमलावर पैदल आया था और वह स्कूली पोशाक पहने हुए था। उन्होंने बताया कि इस हमले में पाकिस्तानी सेना के 31 जवानों की मौत हो गई और 40 अन्य घायल हो गए, जिनमें से ज्यादातर की हालत गंभीर है। सेना के एक प्रवक्ता ने इस घटना की पुष्टि की है। पुलिस ने बताया कि कुछ घायलों की हालत गंभीर है और मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। पंजाब रेजिमेंटल केंद्र पर किया गया यह हमला पाकिस्तानी सेना पर हुए सबसे भीषण हमलों में से एक है। यह रेजिमेंट अफगानिस्तान की सीमा से सटे अशांत खबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले दो साल से तालिबान को खदेड़ने के अभियान में लगी हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोटकों को संभवत: एक स्कूल बैग में लाया गया था, यह विस्फोटक इतना विनाशकारी था कि इसने परेड में शामिल सैनिकों के चिथड़े उड़ा दिए।पाकिस्तानी तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया यह कबायली क्षेत्रों में अमेरिकी ड्रोन हमलों और पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई का प्रतिशोध है। हमलावर की पहचान को लेकर विरोधाभासी खबरें मिल रही हैं। पुलिस और सैन्य अधिकारियों का कहना है कि हमला स्कूली किशोर द्वारा किया गया, लेकिन तालिबान का दावा है कि यह एक सैनिक का काम था, जिसने अपना पाला बदल लिया था। पुलिस ने बताया कि घटनास्थल पर क्षत-विक्षत शव को देखने से यह संकेत मिलता है कि हमलावर की उम्र 15 साल के आसपास थी। बहरहाल, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि हमलावर किस तरह से इस कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में घुसने में कामयाब हुआ। गौरतलब है कि 2006 में भी यहां एक हमला हुआ था, जिसमें 35 सैनिकों की मौत हो गई थी। सैनिकों ने इलाके की नाकेबंदी कर दी है और यहां तक कि पुलिसकर्मियों एवं मीडिया कर्मियों को भी वहां पहुंचने में मुश्किल हो रही है। सेना के स्थानीय अस्पताल ने आपातस्थिति की घोषणा की है। सेना ने राहत कार्य खुद अपने हाथों में संभाल रखा है। असैन्य बचाव एजेंसियों और मीडिया को घटनास्थल पर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। इस बीच, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने कहा, इस तरह के कायराना हमले सुरक्षा एजेंसियों के मनोबल पर असर नहीं डाल सकते हैं।
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मरदान, 27 फौजी, मौत, आत्मघाती हमला