विज्ञापन
This Article is From Apr 25, 2017

अप्रैल महीने का शिकार होने से बाल-बाल बचे नवाज शरीफ, टूटा पुराना मिथक

अप्रैल महीने का शिकार होने से बाल-बाल बचे नवाज शरीफ, टूटा पुराना मिथक
नवाज शरीफ को अप्रैल के महीने में ही हुई थी उम्रकैद की सजा
इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अप्रैल महीने का शिकार बनने से बाल- बाल बच गए हैं. दरअसल, इसी महीने अतीत में पाकिस्तानी हुक्मरानों का तख्तापलट हुआ है, उन्हें उम्र कैद की सजा मिली है और फांसी के फंदे पर लटकाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के दो के मुकाबले तीन न्यायाधीशों के अपने पक्ष में एक फैसला दिए जाने के बाद शरीफ (67) आज बाल -बाल बच गए. इस खंडित फैसले के चलते वह अयोग्य ठहराये जाने से बच गए. न्यायालय ने उनके परिवार के खिलाफ धन शोधन के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त जांच टीम गठित करने का आदेश दिया है. टीम हर दो हफ्ते के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और 60 दिन में जांच पूरी करेगी.

दिलचस्प है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उसी महीने आया है जिस महीने अब से पहले शरीफ को 2000 में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी और उनकी सरकार 1993 में बर्खास्त कर दी गई थी. प्रधानमंत्री शरीफ की सरकार को तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर अप्रैल 1993 में बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद 6 अप्रैल 2000 को कुख्यात विमान अपहरण मामले में एक अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

हालांकि, अन्य पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों के लिए भी अप्रैल का महीना बुरा रहा है. 4 अप्रैल 1979 को पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को एक प्रमुख नेता की हत्या की आपराधिक साजिश रचने को लेकर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था. इसके कई बरस बाद 26 अप्रैल 2012 को तत्कालीन प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को अदालत के एक आदेश की अवहेलना का दोषी ठहराया गया. उसी दिन गिलानी को इस्तीफा देना पड़ा था.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com