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This Article is From Feb 23, 2011

लीबिया के आंतरिक मंत्री का इस्तीफा, नरसंहार का खतरा

मुअम्मार गद्दाफी के सहयोगी और राजनयिक उनका साथ छोड़ रहे है वहीं देश में भीषण नरसंहार का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
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वाशिंगटन/न्यूयार्क/नई दिल्ली: लीबिया में एक ओर जहां 41 साल से सत्ता में बने मुअम्मार गद्दाफी के सहयोगी और राजनयिक उनका साथ छोड़ रहे है वहीं देश में भीषण नरसंहार का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के एक राजनयिक ने मंगलवार को कहा है कि गद्दाफी ने लीबिया के पश्चिमी हिस्से में नागरिकों पर हमले करने के लिए सेना भेजी है, वहीं बेनगाजी में 300 लोगों की मौत की खबर के बाद देश के आंतरिक मामलों के मंत्री ने प्रदर्शनकारियों के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने गद्दाफी को जिद्दी बताते हुए कहा कि वह बड़े पैमाने पर आम लोगों पर हमलों की साजिश रच रहे हैं। इधर, लीबिया में जारी रक्तपात को देखते हुए भारत सरकार अपने नागरिकों को लाने की योजना बना रही है। लीबिया में करीब 18,000 भारतीय मौजूद हैं। विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने लोकसभा में बुधवार को अपने एक बयान में कहा कि भूमि, जल या वायु मार्ग से भारतीयों की संभावित निकासी की योजना तैयार की जा रही है। समाचार चैनल सीएनएन के मुताबिक आंतरिक मामलों के मंत्री अब्दुल फत्ताह यूनिस अल अबिदि ने लीबिया के पूर्वी शहर बेनगाजी में 300 नागरिकों के मारे जाने की खबर सुनने के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि गद्दाफी बड़े पैमाने पर लोगों पर हमलों की योजना बना रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि गद्दाफी की सत्ता समाप्त होने में अब चंद दिन या चंद घंटे ही बाकी है, इस लड़ाई में जनता की जीत होगी। अबिदि ने बुधवार को कहा, "गद्दाफी ने मुझसे कहा था कि वह बेनगाजी में लोगों के खिलाफ विमानों के इस्तेमाल की योजना बना रहे हैं और मैंने उनसे कहा था ऐसा करने पर हजारों लोग मारे जाएंगे।" गद्दाफी ने मंगलवार को टेलीविजन पर प्रसारित अपने बयान में कहा कि वह देशव्यापी विद्रोह के बावजूद अपना पद नहीं छोड़ेंगे और अपने देश में शहीद की तरह मरने के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण करने का संकल्प जताया। गद्दाफी ने कहा कि यदि विरोधियों ने आत्मसमर्पण नहीं किया तो वह 'लीबिया के एक-एक घर को उनसे मुक्त कराएंगे।' अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मुताबिक लीबिया में 15 फरवरी के बाद से शुरू हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अब तक 500 लोगों को मार दिया गया है और सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 4,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में लीबिया के उप राजदूत इब्राहिम दुब्बासी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि लीबिया के पश्चिमी क्षेत्र में नरसंहार शुरू हो गया है। दुब्बासी ने मंगलवार को कहा कि गद्दाफी ने देश के पश्चिमी हिस्से में नागरिकों पर हमला करने के लिए सेना भेजी है। दुब्बासी के नेतृत्व में लीबिया के अन्य राजदूतों ने गद्दाफी द्वारा प्रदर्शनकारियों के दमन की निंदा की। उन्होंने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए कहा कि वह लीबियाई लोगों के लिए काम करते हैं सरकार के किसी व्यक्ति के लिए नहीं। संयुक्त राष्ट्र ने भी लीबिया के शासक मुअम्मार गद्दाफी द्वारा समर्थकों को सड़कों पर उतारने की घोषणा पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के राजनीतिक मामलों के अवर महासचिव लिन पास्को ने पत्रकारों से कहा, "स्थितियां और बदतर हो सकती हैं।" उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को दूसरे लोगों पर हमला करने के लिए कहना बेहद खतरनाक है। इधर, नई दिल्ली विदेश राज्य मंत्री एस. एम. कृष्णा ने कहा, "हम भूमि, जल या वायु मार्ग से भारतीय मूल के लोगों की लीबिया से संभावित निकासी की योजना तैयार कर रहे हैं।" लीबिया के अलावा यमन और बहरीन में जारी विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए कृष्णा ने कहा इन देशों में काफी संख्या में भारतीय मौजूद हैं और इनमें से ज्यादातर लोग यहां जीविकोपार्जन के लिए गए हैं। यह सभी लोग इन देशों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यमन में इस समय 14,000 और बहरीन में 3.5 लाख भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी संकटग्रस्त देशों में भारतीय समुदाय के लोग कथित रूप से सुरक्षित हैं।

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