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This Article is From May 20, 2011

फिलीस्तीन पर ओबामा के विचार नेतन्याहू को नामंजूर

वाशिंगटन/जेरूसलम: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा इस्रायल-फिलीस्तीन विवाद के समाधान के लिए दो राष्ट्र बनाने की वकालत से इस्रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने असहमति जाहिर की है। ओबामा ने कहा था कि इस्रायल और फिलीस्तीन को दो राष्ट्रों की तरह 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के पहले मौजूद सीमाओं के आधार पर अस्तित्व में रहना चाहिए। ओबामा ने गुरुवार को एक वक्तव्य में पश्चिमी तट, गाजा पट्टी, गोलान पहाड़ियां और सिनाई प्रायद्वीप की उस दीर्घकालिक स्थिति का खाका खींचा, जब इस्रायल ने इन क्षेत्रों पर कब्जा किया था। उन्होंने एक नए मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के बारे में अपना दृष्टिकोण साफ करते हुए अपने 45 मिनट के सम्बोधन में कहा, "अमेरिका का मानना है कि बातचीत के परिणामस्वरूप दो राष्ट्र बनने चाहिए- पहला फिलीस्तीन जिसकी इस्रायल, जोर्डन और मिस्र के साथ स्थायी सीमा हो और दूसरा, इस्रायल जिसकी फिलीस्तीन के साथ स्थायी सीमा हो।" ओबामा ने कहा, "हम मानते हैं कि इस्रायल और फिलीस्तीन की सीमाएं आपसी रजामंदी से अदला-बदली के साथ 1967 की तर्ज पर आधारित होनी चाहिए, ताकि दोनों देशों के लिए सुरक्षित एवं मान्यताप्राप्त सीमाएं निर्धारित हो सकें।" लेकिन नेतन्याहू ने कहा है कि 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के पहले की सीमाएं असुरक्षित थीं। नेतन्याहू, ओबामा से व्हाइट हाउस में इस मुद्दे पर मुलाकात करने वाले हैं। गौरतलब है कि इस्रायल में पश्चिमी तट पर बसाई गई नई बस्तियों में करीब 300,000 इस्रायली रहते हैं। ये बस्तियां उन पुरानी सीमाओं से बाहर हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक ये बस्तियां गैरकानूनी हैं, लेकिन इस्रायल ऐसा नहीं मानता है। नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री ने शांति के प्रति ओबामा की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की है, लेकिन उस शांति के लिए इकलौते यहूदी राष्ट्र की व्यवहारिकता को किसी फिलीस्तीनी राज्य की व्यवहारिकता के लिए कुर्बान नहीं किया जा सकता। बयान में ओबामा से आग्रह किया गया है कि अमेरिका 2004 में इस्रायल से किए वादे से पीछे न हटें। ओबामा ने यहीं पर इस्रायल की सुरक्षा के लिए अमेरिका के खुले समर्थन की बात दोहराई, और उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू सरकार के बातचीत के खास रुख का समर्थन किया है। ओबामा ने घोषणा की है कि इस्रायल की सुरक्षा के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता अडिग है। उन्होंने कहा, "हर राष्ट्र को आत्मरक्षा का अधिकार है, और इस्रायल को किसी भी खतरे के खिलाफ अपनी रक्षा करने में सक्षम होना चाहिए।" ओबामा ने कहा, "लेकिन यथास्थिति अस्थायी है, और इस्रायल को भी अंतिम शांति के लिए साहस के साथ आगे आना चाहिए। स्थायी कब्जे से एक यहूदी और लोकतांत्रिक राष्ट्र का सपना पूरा नहीं किया जा सकता।" ओबामा ने इस्रायल के अस्तित्व के अधिकार को चुनौती देने की फिलीस्तीन की किसी भी कोशिश को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इसमें सफल नहीं हो पाएंगे। इस बीच फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास अगले कदम पर निर्णय के लिए शुक्रवार को सहयोगियों से मुलाकात कर रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे संवाददाताओं से कोई बातचीत न करें। ज्ञात हो कि फिलीस्तीनी नेतृत्व फिलीस्तीनी सरकार और इस्लामिक आंदोलन 'हमास' में बंटा हुआ है। फिलीस्तीनी सरकार पर 'फतह' राजनीतिक गुट का कब्जा है और वह पश्चिमी तट पर शासन करता है। जबकि 'हमास' गाजा पट्टी पर शासन करता है। 'हमास' के वरिष्ठ सदस्य, विदेश मंत्री मोहम्मद अवाद ने कहा कि ओबामा को बयानबाजी के बदले ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "ओबामा ने 63 वर्ष से अधिक समय से पीड़ित फिलीस्तीनी जनता की पीड़ाओं के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।"

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फिलीस्तीन, ओबामा, नेतन्याहू
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