
सोमवार को एक खबर आई कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो का एक वैक्स स्टैच्यू चोरी हो गया है. उनका यह पुतला पेरिस स्थित ग्रीविन म्यूजियम से चोरी हुआ था. हर कोई जानना चाहता था कि आखिर मैंक्रो का आदमकद पुतला आखिर जा कहां सकता है. कुछ मिनट बाद पुतला मिल गया और यह रूस के दूतावास के बाहर मौजूद था. दरअसल पुतला चुराना एक तरह के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा था जो ग्रीनपीस एक्टिविस्ट्स की तरफ से किया जा रहा था.
टूरिस्ट्स बनकर गए, मजदूर बनकर निकले
ग्रीनपीस एक्टिविस्ट्स यूक्रेन पर आक्रमण के बाद भी रूस के साथ जारी फ्रांस के आर्थिक संबंधों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी एएफपी ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया कि दो महिलाएं और एक पुरुष टूरिस्ट्स के तौर पर ग्रीविन म्यूजियम में दाखिल हुए. अंदर जाने के बाद उन्होंने अपने कपड़े बदल लिए और खुद को मजदूरों के रूप में पेश किया. इसके बाद ये अनजान लोग मैंक्रो के वैक्स स्टैच्यू के साथ इमरजेंसी एग्जिट से बाहर निकल गए. बताया जा रहा है कि इस स्टैच्यू की अनुमानित कीमत 40,000 यूरो है. हैरानी की बात है कि टूरिस्ट्स ने इस पुतले को ढंक दिया था और किसी को भी इसकी खबर नहीं हो पाई.
म्यूजियम के बारे में जानते थे सब
म्यूजियम की तरफ से कहा गया है कि कार्यकर्ताओं ने वादा किया था कि मूर्ति को 'बिना किसी नुकसान के' वापस कर दिया जाएगा. म्यूजियम की प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, 'उन्होंने साफतौर पर अपनी जांच बहुत अच्छी तरह से की थी.' प्रवक्ता के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने विकलांगों के लिए लिफ्ट के बारे में सवाल पूछकर सिक्योरिटी गार्ड का ध्यान भटकाया था. कुछ टूरिस्ट्स ने मेनटेंस स्टाफ की तरह कोट पहन रखे थे.
मैंक्रा का स्टैच्यू ले जाने के बाद एक्टिविस्ट्स ने इसे गैस, रासायनिक उर्वरक और परमाणु क्षेत्रों में फ्रांस और रूस के बीच आर्थिक संबंधों के विरोध में रूसी दूतावास के सामने रख दिया. दूतावास के सामने की कार्रवाई कुछ ही मिनटों तक चली. कार्यकर्ताओं ने मैक्रों के स्टैच्यू के पीछे रूस काझंडा फहराया. जबकि एक व्यक्ति ने पीले रंग का प्लेकार्ड ले रखा था जिस पर लिखा था 'व्यापार ही व्यापार है'. कार्यकर्ताओं ने नकली नोट भी इधर-उधर फेंके.
फ्रांस खेल रहा डबल गेम
ग्रीनपीस फ्रांस के मुखिया जीन-फ्रैंकोइस जुलियार्ड ने कहा, 'फ्रांस डबल गेम खेल रहा है. इमैनुएल मैक्रों इसी डबल स्टैंडर्ड को बयां करते हैं. वह यूक्रेन का समर्थन तो करते हैं लेकिन फ्रेंच कंपनियों को रूस के साथ व्यापार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं.' फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से फ्रांस कीव का सबसे मुखर समर्थकों में से एक रहा है.
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