अक्रा:
घाना ने राजधानी अक्रा स्थित एक विश्वविद्यालय में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा हटाने की मंशा जताई है. पिछले दिनों महात्मा गांधी की एक कथित 'नस्लभेदी टिप्पणी' को लेकर उनकी प्रतिमा हटाने की मांग की जा रही है.
हालांकि सरकार ने साफ किया कि यह कदम प्रतिमा की सुरक्षा के लिए है. इसके साथ ही उसने आलोचकों से कहा कि 'हमें याद रखना चाहिए कि लोगों का विकास होता है.'
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी साल जून में घाना यूनिवर्सिटी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया था, लेकिन यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने पिछले महीने इसे हटाने के लिए एक याचिका शुरू की है.
वहीं घाना के विदेश मंत्रालय का कहना है कि सरकार 'मूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे यूनिवर्सिटी से हटाकर दूसरी जगह लगाएगी.'
इस याचिका को शुरू करने वालों में शामिल ओब्देल कम्बॉन का कहना है कि प्रतिमा को घाना में ही दूसरी जगह स्थापित करना काफी नहीं होगा. उन्होंने आग्रह किया कि सरकार इसे वापस भारत भेज दे. वह कहते हैं, 'हम नहीं सोचते कि इस प्रतिमा का घाना में कहीं भी स्वागत होगा.'
दरअसल महात्मा गांधी युवा वकील के तौर पर वर्ष 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे और वहां दो दशकों तक रहने के दौरान भारतीय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया. घाना में उनकी प्रतिमा हटाने की इस याचिका में उनके उस कथन का जिक्र है, जिसमें उन्होंने कथित रूप से दक्षिण अफ्रीकी अश्वेतों को असभ्य कहा था.
इस पर घाना सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, 'यह स्वीकार करते हुए कि महात्मा गांधी भी इंसान थे और उन्होंने कुछ गल्तियां की, हमें यह याद रखना चाहिए कि लोगों का विकास होता है. उन्होंने दुनिया भर में आजादी और नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन को प्रेरित किया.'
हालांकि सरकार ने साफ किया कि यह कदम प्रतिमा की सुरक्षा के लिए है. इसके साथ ही उसने आलोचकों से कहा कि 'हमें याद रखना चाहिए कि लोगों का विकास होता है.'
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसी साल जून में घाना यूनिवर्सिटी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया था, लेकिन यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने पिछले महीने इसे हटाने के लिए एक याचिका शुरू की है.
वहीं घाना के विदेश मंत्रालय का कहना है कि सरकार 'मूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे यूनिवर्सिटी से हटाकर दूसरी जगह लगाएगी.'
इस याचिका को शुरू करने वालों में शामिल ओब्देल कम्बॉन का कहना है कि प्रतिमा को घाना में ही दूसरी जगह स्थापित करना काफी नहीं होगा. उन्होंने आग्रह किया कि सरकार इसे वापस भारत भेज दे. वह कहते हैं, 'हम नहीं सोचते कि इस प्रतिमा का घाना में कहीं भी स्वागत होगा.'
दरअसल महात्मा गांधी युवा वकील के तौर पर वर्ष 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए थे और वहां दो दशकों तक रहने के दौरान भारतीय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया. घाना में उनकी प्रतिमा हटाने की इस याचिका में उनके उस कथन का जिक्र है, जिसमें उन्होंने कथित रूप से दक्षिण अफ्रीकी अश्वेतों को असभ्य कहा था.
इस पर घाना सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, 'यह स्वीकार करते हुए कि महात्मा गांधी भी इंसान थे और उन्होंने कुछ गल्तियां की, हमें यह याद रखना चाहिए कि लोगों का विकास होता है. उन्होंने दुनिया भर में आजादी और नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन को प्रेरित किया.'
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